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Vikas Dubey: सेमी ऑटोमैटिक राइफल से अधिक घातक साबित हुई कारबाइन, एसटीएफ की जांच में हुआ खुलासा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Tue, 09 Mar 2021 12:40 PM IST
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विकास दुबे कांड
- फोटो : अमर उजाला
बिकरू कांड में एसटीएम की जांच में एक और खुलासा हुआ है। दहशतगर्दों ने जिस कारबाइन से पुलिस पर गोलियां बरसाई थीं, वह सेमी ऑटोमैटिक राइफल से भी अधिक घातक साबित हुई। कारबाइन की मैगजीन तीस कारतूसों की क्षमता रखती है।
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विकास दुबे कांड
- फोटो : amar ujala
एक बार भरने के बाद 20-25 सेकेंड में तीस राउंड फायर होते हैं। इस वजह से पुलिसकर्मियों को जरा भी मौका नहीं मिला। बाकी कसर राइफलों ने पूरी कर दी। एसटीएफ ने एक मार्च को सात आरोपियों को गिरफ्तार कर सात असलहों की बरामदगी की थी। इसमें सेमी ऑटोमैटिक राइफल के साथ 9 एमएम की देसी कारबाइन भी शामिल थी।
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विकास दुबे कांड
- फोटो : amar ujala
बैलिस्टिक जांच के लिए सभी असलहे फोरेंसिक लैब भेजे गए हैं। एसटीएफ के मुताबिक एक बार लोड करने से सेमी ऑटोमैटिक राइफल से आठ राउंड फायर किए जा सकते हैं। देसी कारबाइन से तीस राउंड फायरिंग की जा सकती है। एसटीएफ को पूरी आशंका है कि वारदात की रात सबसे अधिक गोलियां कारबाइन से ही चलीं।
विकास दुबे कांड
- फोटो : अमर उजाला
बेचने वालों तक पहुंचने का प्रयास
एसटीएफ ने बताया कि जिस तरह की कारबाइन बरामद हुई है, उसे किसी मंझे हुए असलहों के कारीगर ने बनाया है। इस तरह के हथियार का अधिकतर इस्तेमाल नक्सली करते हैं। बीहड़ के डकैतों का यह मुख्य असलहा हुआ करता था। सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे ने बिहार या झारखंड से कारबाइन खरीदी थी। एसटीएफ यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि कारबाइन किसने बेची थी।
एसटीएफ ने बताया कि जिस तरह की कारबाइन बरामद हुई है, उसे किसी मंझे हुए असलहों के कारीगर ने बनाया है। इस तरह के हथियार का अधिकतर इस्तेमाल नक्सली करते हैं। बीहड़ के डकैतों का यह मुख्य असलहा हुआ करता था। सूत्रों के मुताबिक विकास दुबे ने बिहार या झारखंड से कारबाइन खरीदी थी। एसटीएफ यह पता लगाने का प्रयास कर रही है कि कारबाइन किसने बेची थी।
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विकास दुबे कांड
- फोटो : amar ujala
पुलिस के असलहों से नहीं, कारबाइन से दागी थीं गोलियां
बिकरू कांड में शहीद पुलिसकर्मियों के शवों के जब पोस्टमार्टम हुए थे तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए थे। सभी पुलिसकर्मियों को छह से लेकर 12 गोलियां लगी थीं। अधिकतर गोलियां 9एमएम की थीं। तब यह आशंका थी कि पुलिसकर्मियों की पिस्टलें लूटकर बदमाशों ने उन पर गोलियां दागीं। अब स्पष्ट हो गया है कि 9एमएम की गोलियां कारबाइन से चलाई गई थीं।
बिकरू कांड में शहीद पुलिसकर्मियों के शवों के जब पोस्टमार्टम हुए थे तो डॉक्टरों के भी होश उड़ गए थे। सभी पुलिसकर्मियों को छह से लेकर 12 गोलियां लगी थीं। अधिकतर गोलियां 9एमएम की थीं। तब यह आशंका थी कि पुलिसकर्मियों की पिस्टलें लूटकर बदमाशों ने उन पर गोलियां दागीं। अब स्पष्ट हो गया है कि 9एमएम की गोलियां कारबाइन से चलाई गई थीं।
