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सूफियाना गायकी के सरताज कैलाश खेर के गीतों पर झूमी काशी, देखें तस्वीरें...
ब्यूरो,अमर उजाला,वाराणसी
Updated Mon, 13 Nov 2017 10:33 AM IST
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kailash kher
- फोटो : अमर उजाला
ठुमरी, दादरा, निर्गुन, भजनों, गीतों के साथ रविवार की शाम तीन दिवसीय कबीरा महोत्सव की आखिरी शाम सूफी गायक कैलाश खेर के सुरों से निखरी। उनके गीतों पर लोग बरबस झूम उठे। खूब तालियों की बौछार हुई और हर हर महादेव के जयकारे गूंजे। आगे की स्लाइड्स में देखें तस्वीरें...
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- फोटो : अमर उजाला
रात करीब नौ बजे अस्सी घाट पर कैलाश खेर के मंच संभालने के साथ ही हर हर महादेव के जयकारे के साथ लोगों ने स्वागत किया। कैलाश ने अपने चिरपरिचित अंदाज में अभिवादन किया। उन्होंने जब संत कबीर को समर्पित गीत-पिया के रंग में रंग दीन्हीं ओढ़नी... पर सुर लगाया तो लोग झूमने लगे।
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घाट की सीढ़ियां संगीत प्रेमियों से खचाखच भरी हुई थीं। इसके बाद गीत के बोल- जाना जोगी दे नाल मैं.../तेरे बिन नहीं लगदा दिल मेरा ढोलना.../ चंदन मैं../तेरी दीवानी/बम बम बमबम बम लहरी... की प्रस्तुति से उन्होंने हजारों लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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इससे पहले सुबह दरभंगा घाट पर गायक हरप्रीत सिंह ने कबीर के दोहों के अलावा बाबा बुल्ले शाह, अवतार सिंह पाश, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के गीतों-कविताओं का गायन किया। उनके एख गीत के बोल थे- ना मैं धर्मी ना अधर्मी साईं से लगन कठिन है भाई...।
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इनके बाद उप शास्त्रीय गायिका सुचरिता गुप्ता ने कौन ठगवा नगरिया लूटल हो... सैंया रूठ गए मैं मनाती रही.. जैसी ठुमरी से महफिल लूटी। तबले पर ललित कुमार, हारमोनियम पर इंद्रदेव चौधरी ने संगत की।