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एक साल में तीन मौतें, फिर खाप पंचायत की सजा...योगी परिवार की पीड़ा हाईकोर्ट पहुंची; क्या है पूरा मामला?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दौसा Published by: दौसा ब्यूरो Updated Mon, 01 Dec 2025 01:01 PM IST
सार

Dausa:  खाप पंचायत से परेशान एक परिवार ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग समेत 38 जनों को नोटिस जारी किए हैं।

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Khap verdict...Sons held guilty of father murder:Ordered to boycott them from society and not invite
खाप पंचायत - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राजस्थान में खाप पंचायत एक पुरानी परंपरा है। छोटे-छोटे गांव में खाप पंचायत एक अदालत के तौर पर काम करती है, जिसमें कुछ सदस्य खुद कानून बनाते है और इस कानून को पूरे गांव को मानना पड़ता है। हालांकि यह कानूनी तौर पर पूरी तरह से अवैध होता है। कई बार तो खाप पंचायत कानून को ताक पर रखते हुए क्रूर फैसले तक ले लेती है। जिससे आम लोगों का पूरा जीवन तक बर्बाद हो जाता है। हाल में दौसा जिले के लालसोट उपखण्ड इलाके में खाप पंचायत के फैसले का एक मामला सामने आया हैं जिसमें एक परिवार को पूरे गांव से बहिष्कार करने जैसा फैसला देखने को मिला है। 

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भाइयों को खाप ने पिता की हत्या का दोषी बताया 
घर का 18 महीने का बच्चा भी मंदिर में चला जाता है तो मंदिर को धोया जाता है। रिश्तेदारों पर दबाव बनाया जा रहा है कि अगर वे हमें निमंत्रण देंगे तो उन्हें भी समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। कहीं भी आने-जाने पर छुआछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है। इतना कहते-कहते सुरेश चंद योगी सहम जाता हैं। फिर कहते हैं कि परिवार में हुईं तीन मौतों का गम कम भी नहीं हुआ कि अब खाप की मनमानी और टॉर्चर शुरू हो गया। आखिर हम इनकी कहां तक सहें। यह पूरा मामला दौसा जिले के राहुवास थाना क्षेत्र के ढोलावास गांव की नाथो की ढाणी का है। यहां के रहने वाले सुरेश और उसके तीन भाइयों को खाप ने पिता की हत्या का दोषी करार देकर सामाजिक बहिष्कार कर दिया। खाप ने भाइयों के पूरे परिवार को गंगा स्नान और कबूतरों को 50-50 किलो ज्वार खिलाने का फरमान सुना दिया। सुरेश योगी का आरोप है कि गांव के मंदिर में उन्हें जाने नहीं दिया जाता है अगर कोई चला जाता तो मंदिर को धोया जाता था।
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पंचायत के फैसले से आहत होकर सुरेश और उनके भाइयों ने 18 नवंबर 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले में संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने 20 नवंबर को राज्य सरकार, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग, दौसा कलेक्टर, दौसा एसपी, रामगढ़ पचवारा एसडीएम, राहुवास थाना अधिकारी समेत 38 लोगों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

एक साल में परिवार में तीन मौत हुई
सुरेश ने बताया कि हम चार भाई है, किशनलाल योगी, रामफूल योगी, सुरेश योगी और हंसराज योगी। 14 फरवरी 2024 को मेरे बड़े भाई किशनलाल योगी के बड़े बेटे नरेश की शादी हुई थी। 20 फरवरी को भतीजे नरेश और नरेश की मां रामवती उर्फ काली देवी की जोशी की कोठी (दौसा) के पास सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसे के बाद पूरा परिवार सदमे में आ गया।

11 महीने बाद 28 जनवरी 2025 को मेरे पिता श्रीराम योगी की हत्या हो गई। पिता का शव घर से 500 मीटर दूर गांव की नदी के इलाके में मिला। मामले में पुलिस ने गांव के ही एक नाबालिग को दो दिन बाद 30 जनवरी को निरुद्ध किया। मामले में मेरे भाई किशनलाल योगी ने अज्ञात के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दी। हमारे परिवार के लोग एक साल में घर में हुई 3 मौतों के बाद सदमे में थे।

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इसी बीच नाथो की ढाणी के लोगों ने आसपास के गांव वालों के साथ मिलकर 4 फरवरी को एक पंचायत बुलाई। उस पंचायत में हम भाइयों को पिता की मौत का दोषी बताते हुए समाज से बहिष्कृत कर दिया। जब हमने पक्ष रखते हुए कहा कि अगर हम दोषी हैं और कोई सबूत है तो प्रशासन को बता दो। मगर हमारी एक ना सुनी।

पंचायत के आयोजनकर्ता रमेश योगी, संतोष योगी, बनवारी योगी, एडवोकेट शंभू योगी, एडवोकेट राजेंद्र योगी, कमलेश योगी और उनके साथ में नौहरा (राहुवास, दौसा) के मीठालाल, कालवास से हनुमान योगी, डूंगरपुर से कैलाश नाथ के साथ समाज के कई लोगों ने हमारे सामाजिक बहिष्कार का समर्थन किया।

पंचायत के बाद हमने मामले के जांच अधिकारी और राहुवास थाने के तत्कालीन एसएचओ रजत खींची से मुलाकात की और बताया कि हमें प्रताड़ित किया जा रहा है। इस पर उन्होंने कहा कि थोड़े दिनों की बात है, गांव का माहौल है। कुछ दिन धैर्य बनाकर रखो, सब ठीक हो जाएगा।

संदेह का लाभ मिलने पर नाबालिग बरी हुआ
सुरेश योगी ने बताया पिता कि हत्या के मामले में पुलिस ने जिस नाबालिग को निरुद्ध किया था। उसे 25 अगस्त 2025 को किशोर न्याय बोर्ड दौसा ने संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इसके बाद नाबालिग के पिता, उनके रिश्तेदार और ढाणी के लोगों ने मिलकर षड्यंत्र रचा और 15 सितंबर को पर्चा बांटकर 21 सितंबर को पंचायत बुलाई। पर्चे में लिखा कि नाबालिग और उसके परिजनों को न्याय दिलाने के लिए पंचायत का आयोजन किया जा रहा है। 21 सितंबर की पंचायत में सुरेश योगी और उसके परिवार को गंगा स्नान और कबूतरों को दाना डालने का फरमान सुनाया गया था। साथ ही पंचायत का 8 हजार रुपए का खर्च वसूला गया।

पंचायत में पहुंचने पर हमसे कहा गया कि आपकी ओर से कौन पक्ष रखेगा। इस पर मैंने कहा कि मैं बोलूंगा। इसके बाद उन्होंने 11 लोगों की कमेटी बना दी। जिसमें हमारे गांव के लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि जो निर्णय होगा आपको मानना पड़ेगा। आप समाज से बड़े नहीं हो। हमसे पंचायत के आयोजन का खर्चा मांगा गया।

जब मेरे बड़े भाई किशनलाल ने विरोध किया तो उन्होंने दादागीरी से हमसे 8 हजार रुपए वसूल लिए। इसके बाद पूरे परिवार को हत्या का दोषी बताकर सभी को गंगा स्नान का फरमान सुना दिया। साथ ही कहा कि 50-50 किलो ज्वार आप कबूतरों को बिखेरें। बार-बार खाप के फरमानों से परेशान होकर परिवार ने न्यायालय की शरण ली।

15 दिसंबर को मामले में अगली सुनवाई
सुरेश के परिवार के वकील प्रदीप माथुर ने बताया कि श्रीराम योगी के बेटे मेरे पास आए थे, उन्होंने पूरी घटना की जानकारी दी। हमने 18 नवंबर को हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर में की। 19 नवंबर को सुनवाई नहीं हो सकी और 20 नवंबर को न्यायालय ने राज्य सरकार, डीजीपी, मानवाधिकार आयोग समेत 38 जनों को नोटिस जारी किए हैं। सभी के नोटिस तामील भी हो चुके हैं। 15 दिसंबर को इस मामले पर सुनवाई होनी है। प्रदीप माथुर ने बताया कि खाप पंचायत में लालसोट क्षेत्र के दो एडवोकेट के भी शामिल होने का आरोप है। उनकी सदस्यता रद्द करने को लेकर बार काउंसिल को भी पत्र लिखा गया है।

एडवोकेट ने कहा- किसी पंचायत में शामिल नहीं हुआ
एडवोकेट राजेंद्र योगी ने बताया कि ना तो मैं किसी का पंचायत में गया हूं और ना ही मुझे कोई खाप पंचायत की जानकारी है। मैं ढोलावास का रहने वाला हूं, लेकिन दौसा रहता हूं। मेरा नाम तो वैसे ही लिखाया गया है। हाईकोर्ट का जो नोटिस आया है, यह कानूनी प्रक्रिया है, उसका जवाब भी देंगे।

पंचायत में शामिल सदस्य बोले- नाबालिग के बयान लिए थे
खाप पंचायत में शामिल सदस्य कजोड़ नाथ योगी ने बताया कि पहली बार आयोजित हुई पंचायत में गांव वालों ने ही श्रीराम योगी (मृतक) के चारों बेटों को हत्या का दोषी ठहराया था। वह निर्णय गांव वालों का ही था। 21 सितंबर को हुई खाप पंचायत में नाबालिग के बयान लिए थे। इसमें उसने बताया कि श्रीराम योगी का बेटा रामफूल योगी भी मेरे साथ हत्या में शामिल था। उसी आधार पर पंचायत ने दोनों को ही गंगा स्नान का फरमान सुनाया है।

 

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