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Nagaur News: नौकरी के नाम पर ठगे 8 लाख, पुलिस पर पक्षपात के आरोप, तीसरी बार SP से गुहार लगाने पहुंचा पीड़ित
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नागौर
Published by: प्रिया वर्मा
Updated Wed, 03 Dec 2025 06:02 PM IST
सार
सरकारी नौकरी के लालच में ठगा गया नागौर का एक युवक अब न्याय की उम्मीद में अधिकारियों के चक्कर काट रहा है। सफाई भर्ती परीक्षा में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगों ने उससे 8 लाख रुपए ऐंठ लिए, लेकिन पुलिस कार्रवाई के बजाय चुप्पी साधे बैठी है।
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न्याय की आस में एसपी ऑफिस के बाहर पीड़ित
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
सफाई कर्मचारी भर्ती परीक्षा में नौकरी लगवाने का झांसा देकर 8 लाख रुपए ठगने के मामले में पुलिस कार्रवाई न होने से नाराज पीड़ित ने तीसरी बार जिला पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छवाहा के पास न्याय की गुहार लगाई है। उसका आरोप है कि आरोपी राजनीतिक रसूखदार हैं, जिनके दबाव में पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है।
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पीड़ित अशोक जावा पुत्र दाऊलाल निवासी नकाश गेट, नागौर ने बताया कि आरोपी बिंदु पत्नी मुकेश अटवाल, मुकेश पुत्र लालचंद अटवाल (निवासी आरसीपी कॉलोनी, सूरतगढ़) तथा उनके सहयोगी सुरेश पुत्र जगदीश और सोहन प्रधान निवासी रायसिंहनगर ने वर्ष 2023 में होने वाली सफाई कर्मचारी भर्ती में नौकरी लगवाने का झांसा दिया था। उन्होंने सचिवालय में पहचान और राजनीतिक संबंधों का हवाला देकर विश्वास दिलाया तथा फोटो दिखाकर भरोसा जीत लिया।
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पीड़ित अशोक और उसके परिजनों ने नौकरी के नाम पर आरोपियों को कुल 8 लाख रुपए दिए। आरोपियों ने कहा कि अगर नौकरी नहीं लगी तो पैसा वापस कर देंगे लेकिन भर्ती रद्द हो जाने के बाद भी उन्होंने पैसे लौटाने से साफ इंकार कर दिया और टालमटोल करते रहे।
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अशोक जावा ने बताया कि उसने बार-बार कोतवाली थाने में शिकायत दी लेकिन मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। आखिरकार उसे न्यायालय की शरण लेनी पड़ी, जिसके आदेश पर केस दर्ज हुआ। उसका आरोप है कि जांच अधिकारी आरोपियों के पक्ष में काम कर रहे हैं और मामले में कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
पीड़ित का यह भी कहना है कि आरोपी खुलेआम धमकी दे रहे हैं कि एफआर लगवाना हमारे हाथ में है, तू कुछ नहीं कर सकता। अशोक के अनुसार जांच अधिकारी भी यही कह रहे हैं कि इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होगी, राजीनामा कर लो। उसने बताया कि जांच अधिकारी को पूर्व में आवेदन और शपथ पत्र भी दिया गया था लेकिन उसे रिकॉर्ड पर लेने से मना कर दिया गया।
पीड़ित ने आरोप लगाया कि आरोपी धनाढ्य और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लोग हैं, जो पुलिस पर दबाव बना रहे हैं। उसका कहना है कि जांच अधिकारी इन लोगों के प्रभाव में आकर निष्पक्ष जांच नहीं कर रहे हैं। अशोक जावा ने बताया कि वह अब तक तीन बार एसपी कार्यालय पहुंच चुका है लेकिन सुनवाई नहीं हुई।
उसका कहना है कि जिला पुलिस अधीक्षक सोशल मीडिया पर तो सक्रिय हैं लेकिन आम नागरिकों की शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पीड़ित ने मांग की है कि जांच अधिकारी बदले जाएं और मामले की निष्पक्ष जांच किसी अन्य अधिकारी से करवाई जाए।
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