Rajasthan News: 'हमें सहयोगी बनकर चलना चाहिए, बाधक नहीं'- ब्रह्माकुमारीज को लेकर बोले RSS प्रमुख भागवत; क्यों?
Sirohi News: संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज दुनिया भारत से सीखने की उम्मीद कर रही है। संघ और ब्रह्माकुमारीज जैसे संगठनों का कार्य भारत को भरपूर और आत्मसंपन्न बनाना है। उन्होंने कहा कि भारत को जानने और समझने की जरूरत है।
विस्तार
ब्रह्माकुमारीज नागपुर के विश्व शांति सरोवर के सातवें स्थापना दिवस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज का कार्य मनुष्य और राष्ट्र के कल्याण से जुड़ा है और पूरी दुनिया को सुख-शांति से युक्त बनाने की दिशा में बड़ा योगदान दे रहा है। संघ भी इसी ध्येय से कार्य करता है, फर्क केवल तरीकों का है। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज शील और चरित्र का निर्माण करती हैं, और संघ भी मानता है कि परिवर्तन अंदर से होना चाहिए। मूल उद्देश्य एक ही है- अंतर को जगाना। इसलिए हमें सहयोगी बनकर चलना चाहिए, बाधक नहीं।
भारत को फिर से विश्वगुरु बनाने की जरूरत
डॉ. भागवत ने कहा कि आज दुनिया भारत से सीखने की उम्मीद कर रही है। संघ और ब्रह्माकुमारीज जैसे संगठनों का कार्य भारत को भरपूर और आत्मसंपन्न बनाना है। उन्होंने कहा कि भारत को जानने और समझने की जरूरत है। हमारे शास्त्र कहते हैं- वसुधैव कुटुम्बकम्। यह भाव हमारे अंदर मौजूद है, लेकिन इसे हमारी कृति से भी दिखना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में साधारण इंसान भी पेड़ की छांव में संतोषपूर्वक सो जाता है, जबकि अन्य देशों में करोड़पति भी नींद की दवाओं के सहारे चैन नहीं पा पाते।
‘स्व’ और ‘मेरा’ से उत्पन्न होता है झगड़ा
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि सभी जीव परमात्मा की संतान हैं। पूरी सृष्टि उसी की बनाई हुई है, लेकिन समस्याएं तब पैदा होती हैं जब ‘मैं और मेरा’ की भावना हावी हो जाती है। यही स्वार्थ जगत में झगड़े और संघर्ष की जड़ है। उन्होंने कहा कि यदि इंसान ‘हम और हमारा’ की सोच अपनाए तो दुनिया की अधिकांश समस्याएं खत्म हो सकती हैं।
‘जल्द आएंगे माउंट आबू’
संघ प्रमुख ने कहा कि वे बहुत जल्द माउंट आबू आएंगे। वहां वे ज्ञान देने के लिए नहीं, बल्कि सीखने की भावना से जाएंगे। उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज बिना किसी खर्च मांगे सेवाओं का विस्तार करती हैं और संघ भी इसी तरह समाज के सहयोग से चलता है।
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कार्यक्रम में शांतिवन मुख्यालय से पहुंचे अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई ने कहा कि वर्तमान समय में विश्व को शांति, प्रेम और सद्भाव की आवश्यकता है। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी संतोष दीदी ने कहा कि भारत वह भूमि है, जिसने दुनिया को सर्वोत्तम विचार दिए हैं और फिर से रामराज्य का निर्माण होगा। वरिष्ठ शिक्षिका बीके ऊषा दीदी और बीके शारदा दीदी ने भी संबोधित किया और राजयोग मेडिटेशन से शांति का अनुभव कराया।
सम्मान समारोह में हुआ स्वागत
समारोह में डॉ. मोहन भागवत का स्वागत अतिरिक्त महासचिव डॉ. बीके मृत्युंजय भाई, राजयोगिनी ऊषा दीदी और प्रभारी बीके देव भाई ने शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। इसी तरह बीके रजनी दीदी और संतोष दीदी का भी सम्मान किया गया। इस मौके पर पीआरओ बीके कोमल ने ‘सेवांजली’ वार्षिक रिपोर्ट भेंट कर संस्थान की सामाजिक सेवाओं का विवरण प्रस्तुत किया।
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