Himachal: पंजाब में नहरों की मरम्मत से और बढ़ेगा भाखड़ा डैम में पानी, जानें क्या कहता है प्रबंधन
गोबिंद सागर जलाशय का जलस्तर गुरुवार को 1672.75 फीट दर्ज किया गया, जो पिछले साल की इसी तारीख से 39.27 फीट ज्यादा है।
विस्तार
भाखड़ा बांध इन दिनों अपने पूरे कद का प्रदर्शन कर रहा है। गोबिंद सागर जलाशय का जलस्तर गुरुवार को 1672.75 फीट दर्ज किया गया, जो पिछले साल की इसी तारीख से 39.27 फीट ज्यादा है। जलाशय की क्षमता का 94 फीसदी हिस्सा भर चुका है और सिर्फ 0.34 बीसीएम यानी 6 फीसदी जगह खाली बची है। अधिकतम भराव स्तर 1685 फीट से अभी भी करीब 12 फीट नीचे है। दिसंबर में पंजाब की नहरों की मरम्मत शुरू होगी। इसलिए नहरों में पानी नहीं छोड़ा जाएगा। तब जलस्तर भी बढ़ेगा और दबाव भी।
हालांकि, यह सब भाखड़ा बांध में गुरुवार को 1672.75 फीट पानी दर्ज किया गया। जबकि पिछले साल 1633.48 फीट पानी बांध में इसी दिन दर्ज था। 7811 क्यूसेक पानी का इनफ्लो रहा। 17338 क्यूसेक पानी गुरुवार को रिलीज किया गया। डिजायन का हिस्सा है। इस असामान्य रूप से ऊंचे जलस्तर के कारण डैम में डिफ्लेक्शन (झुकाव) देखा जा रहा है, जो पिछले कुछ दिनों से चर्चा का विषय बना है। यह झुकाव सामान्य है। जब भी कोई बड़ी संरचना बनाई जाती है, उसमें पानी के लोड के हिसाब से झुकाव का प्रावधान पहले से रखा जाता है। यह कोई नई बात नहीं है। बताया जा रहा है कि इस साल मानसून के बाद से जलस्तर लगातार ऊंचा बना हुआ है। इसके साथ ही गोबिंद सागर झील में करीब तीन लाख मीट्रिक टन सिल्ट जमा हो चुकी है, जो हर साल बढ़ रही है।
पानी के साथ सिल्ट का भी दवाव बांध पर पड़ रहा है। भाखड़ा बांध का मुख्य काम सिंचाई है, बिजली उत्पादन उसका दूसरा उद्देश्य है। गर्मियों में पीक सीजन में 800 से 900 मेगावाट तक बिजली बनती थी, लेकिन इस समय सिंचाई की डिमांड लगभग खत्म होने से सिर्फ 300-400 मेगावाट ही बन पा रही है। इससे आय में करीब 50 फीसदी की कमी आई है। गर्मियों में रोजाना 25,000 क्यूसेक तक पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जाता था, जबकि अभी सिर्फ 17,338 क्यूसेक ही छोड़ा जा रहा है।
क्या है डिफ्लेक्शन और रिफ्लेक्शन
डिफ्लेक्शन या भार पड़ने पर हल्का झुकना या विक्षेपित होना। यह झुकाव बहुत छोटा होता है और इसे सुरक्षा के अनुसार डिजाइन किया जाता है। रिफ्लेक्शन का मतलब है संरचना में होने वाले दबाव की प्रतिक्रिया। जब बांध पर दबाव आता है, तो बांध की सामग्री उस दबाव को पलटाव के रूप में बाहर भेजती है, यानी वह दबाव बांध में फैलता है और बांध का संतुलन बना रहता है।