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स्कूल की छत गिरी, 20 छात्र-छात्राएं घायल

स्कूल की छत गिरी, 20 छात्र-छात्राएं घायल Updated Sun, 23 Oct 2016 12:38 AM IST
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स्कूल की छत गिरी, 20 छात्र-छात्राएं घायल - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो
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कलेक्ट्रेट रोड स्थित अखाड़ा वाली गली स्थित श्री नेहरू इंटरमीडिएट कालेज में प्रबंधन की लापरवाही से बच्चों की जान खतरे में पड़ गई। शनिवार को कालेज में बाल सभा के दौरान साइंस लैब की छत गिर गई। मलबे में 20 छात्र और छात्राएं दब गए। चीखपुकार और भगदड़ मच गई। मोहल्ले के लोग बचाव में जुट गए। सभी घायलों को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। सूचना पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी भी आ गए। क्षेत्र के लोगों ने जर्जर भवन में कालेज संचालित होने पर हंगामा भी किया। 
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कालेज में एक से 12वीं तक की कक्षाओं में 300 छात्र-छात्राएं हैं। हर शनिवार को कालेज के गेट के पास बने हाल में कक्षा सातवीं से नौवीं तक के छात्र-छात्राओं की बाल सभा होती हैं। हॉल के नीचे बेसमेंट में साइंस लैब बनी है। बाल सभा में किसी भी एक टॉपिक पर बच्चों को बोलना होता है। तकरीबन 12:30 बजे सभा के खत्म होने पर जैसे ही विद्यार्थी अपनी क्लास में जाने लगे, तभी लैब की छत गिर पड़ी। इससे हॉल में मौजूद तकरीबन 20 छात्र-छात्राएं मलबे के साथ तकरीबन दस फुट नीचे लैब में गिरे। हादसे से बच्चे चीखने लगे। कालेज में अफरातफरी मच गई। स्टाफ और छात्रों ने लोगों की मदद से सभी विद्यार्थियों को बाहर निकाला। घायलों को अस्पताल में प्राथमिक उपचार दिलाया गया। 
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समोना, मोहित (कक्षा नौ), संदीप, योगेश, हर्ष, अजय (कक्षा 10), डाली, दीपशिखा (कक्षा 11), कल्पना, पिंकी, अंबिका (कक्षा 12), स्वाती, रिंकू, अतीत, लकी, अंकित, रोहित, सौरभ, करन, धीरज को चोट आईं। किसी के हाथ में तो किसी के सिर और पैर में चोट लगी। कालेज की वाइस प्रिंसिपल ऊषा सिंह का कहना है कि लैब का गार्डर निकलने से हादसा हुआ। हर साल जून में मरम्मत होती है। अभी हाल ही में दीवार बनाई गई थी। गार्डर के सपोर्ट के लिए बल्लियां बीच में लगी है। किसी गार्डर के कमजोर होने की वजह से हादसा हुआ। 
उधर, क्षेत्रीय लोगों का कहना था कि भवन काफी जर्जर है। छत पर कमजोर गार्डर लगी हैं। उनके सपोर्ट के लिए बल्लियां लगाई गई हैं। वह भी कमजोर हो चुकी हैं। हादसे की तरफ कालेज प्रबंधन का कोई ध्यान नहीं है। 
अभिभावकों ने किया हंगामा
कालेज में हुए हादसे की जानकारी पर बच्चों के अभिभावक कालेज आ गए। उन्होंने हंगामा कर दिया। अभिभावकों का कहना था कि हादसे की जानकारी स्टाफ ने फोन करके नहीं दी। मोहल्ले के लोगों से ही उन्हें पता चला। काफी देर तक उनके बच्चे घर नहीं पहुंचाए गए, जिससे वह बच्चों को ढूंढते रहे। शिक्षिकाओं ने भी सही जवाब नहीं दिया। इस पर आक्रोशित अभिभावकों ने हंगामा किया। समोना की मां पद्मा की वाइस प्रिंसिपल से झड़प भी हो गई। काफी देर बाद समोना को अस्पताल से लाया गया। उसके पैर में चोट लगी थी।

एडेड कालेजों का और बुरा हाल
आगरा।   यूपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त वित्त विहीन विद्यालयों की दशा फिर भी ठीक है। अधिकतर एडेड विद्यालयों के भवनों की दशा खराब है। सरकार की ओर से इनके लिए भी बजट नहीं दिया जा रहा है। छात्रों से लिए जाने वाले अनुपस्थिति शुल्क, विलंब शुल्क आदि का कुछ हिस्सा ही मरम्मत में लगाने की अनुमति है। 
 किसी विद्यार्थी के एक दिन अनुपस्थित रहने पर एक रुपये पेनाल्टी के रूप में लिए जातेे हैं। इसका 80 फीसदी शासन को 20 फीसदी विद्यालय के खाते में आता पहुंचता है। वर्ष भर में कुल मिलाकर विद्यालय को दो से ढाई हजार रुपये मिल पाते हैं, इनमें विद्यालय के मरम्मत की बात दूर, रंगाई-पुताई भी मुश्किल हो जाती है। राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अंतर्गत राजकीय के अलावा सहायता प्राप्त विद्यालयों को बजट दिया जाना था, ऐसा हो नहीं सका। अगस्त में विक्टोरिया इंटर कालेज में केमेस्ट्री लैब की छत गिर गई थी। 

विद्यालय से मांगा जाएगा स्पष्टीकरण
आगरा। नेहरू इंटर कालेज में छत गिरने की सूचना माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों को नहीं मिली। नहीं दी गई। कोई भी मौके पर नहीं पहुंचा। जिला विद्यालय निरीक्षक डा. जितेंद्र सिंह यादव ने बताया कि शाम को उनका सूचना मिली, वह भी कहीं और से। उनका कहना है कि विद्यालय भवन के रख-रखाव की जिम्मेदारी विद्यालय प्रबंधन की है। यदि भवन जर्जर था, तो उसमें विद्यार्थियों को नहीं बैठने देना चाहिए था। विद्यालय प्रबंधन और प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। विद्यालय के मान्यता प्रत्याहरण की संस्तुति की जाएगी।  

यहां प्रबंधन नहीं, फिर भी बजट नहीं
आगरा। नगर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय भवनों की दशा सर्वाधिक खराब है। कई भवन गिरासू स्थिति में हैं। बारिश के दौरान चार से पांच विद्यालयों की छतें गिरीं। कुछ जगहों पर विद्यार्थियों को चोटें भी आईं। इन विद्यालयों के मरम्मत की जानकारी बेसिक शिक्षा विभाग की है, यहां प्रबंधन नहीं है। इसके बाद भी बजट नहीं दिया जा रहा है। वर्ष में विद्यालय के मरम्मत के नाम पर पांच से दस हजार रुपये दिए जाते हैं, इनसे रंगाई-पुताई भी ठीक से नहीं हो पाती। 
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