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Taj Mahal: ताज के गुंबद से रिसाव...मरम्मत कार्य हुआ पूरा, संरक्षण देखने आए एएसआई विशेषज्ञ

अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Thu, 24 Jul 2025 10:08 AM IST
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सार

ताज के गुंबद का संरक्षण देखने एएसआई विशेषज्ञ आए। ये विशेषज्ञ गुंबद से रिसाव की मरम्मत के साथ संरक्षण कार्य के बारे में भी सुझाव देंगे।
 

Leakage from Taj's dome Repair work completed ASI experts came to see the conservation
ताज के गुंबद का संरक्षण देखने एएसआई विशेषज्ञ आए - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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ताजमहल के गुंबद से मानसून में हुए रिसाव के बाद उसकी मरम्मत कर ली गई। अब पाड़ लगाकर गुंबद का संरक्षण शुरू किया गया है, जिसे देखने और सुझाव देने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के क्षेत्रीय निदेशक अनिल तिवारी के नेतृत्व में इंजीनियरों की टीम ताजमहल पहुंची। टीम ने गुंबद पर ऊपर जाकर निरीक्षण किया और संरक्षण से जुड़े कार्यों को देखा।
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बीते साल सितंबर में भारी बारिश के कारण ताजमहल के मुख्य गुंबद पर लगे कलश के पास रिसाव हो गया था। एएसआई ने लिडार और थर्मल स्कैनिंग के जरिये कलश के पास के हिस्से में आई दरार से रिसाव पाया, जिसकी मरम्मत कर ली गई।
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अब गुंबद पर संरक्षण कार्य शुरू किया गया है। निरीक्षण के लिए दिल्ली से उत्तर क्षेत्र के निदेशक अनिल तिवारी, अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल, पुरातत्व अभियंता मुनज्जर अली ताजमहल पहुंचे। उन्होंने मुख्य गुंबद पर प्रस्तावित पॉइंट, प्लास्टर और पत्थरों को बदलने के काम के बारे में जानकारी की।

उन्होंने गुंबद से हुए रिसाव वाली जगह को देखा और उनके संरक्षण का ब्योरा लिया। एएसआई के तीनों विशेषज्ञ सदस्यों की टीम मुख्य गुंबद के 84 साल बाद हो रहे संरक्षण पर आगरा सर्किल कार्यालय को सुझाव भी देगी। निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ संरक्षण सहायक प्रिंस वाजपेयी, कलंदर बिंद और सतीश कुमार आदि मौजूद रहे।

बनने के 4 साल बाद से ही रिसाव
ताजमहल के निर्माण के चार साल बाद वर्ष 1652 से ही गुंबद के रिसने की समस्या शुरू हो गई थी। वर्ष 1652 में शहजादा औरंगजेब ने मुगल शहंशाह शाहजहां को ताजमहल में रिसाव की पहली रिपोर्ट दी थी। 4 दिसंबर, 1652 को अपने निरीक्षण में औरंगजेब ने ब्योरा दिया था कि मुख्य मकबरे के गुंबद से बारिश में उत्तर की ओर दो जगह से पानी टपक रहा है।

रिपोर्ट में ताजमहल के चार मेहराबदार द्वार, दूसरी मंजिल की दीर्घाएं, चार छोटे गुंबद, चार उत्तरी बरामदे और सात मेहराबदार भूमिगत कक्षों में भी नमी की जानकारी दी गई। उसके बाद गुंबद की मरम्मत की गई थी। ब्रिटिश काल में पहली बार वर्ष 1872 में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर जे डब्ल्यू एलेक्जेंडर ने मुख्य गुंबद से पानी रिसने पर मरम्मत कराई। इसके बाद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान वर्ष 1941-42 में मुख्य गुंबद की मरम्मत कराई गई थी।
 
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