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राज्य कर्मचारी समिति: एसआईटी की जांच के बाद आवंटियों को कार्रवाई का इंतजार, समिति ने किया यह पलटवार
अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़
Published by: चमन शर्मा
Updated Mon, 31 Mar 2025 03:46 PM IST
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सार
राज्य कर्मचारियों व पेंशनरों के अपने घर के सपने को पूरा करने के लिए बनी असदपुर साइट की 300 करोड़ रुपये कीमत की 15.71 हेक्टेयर भूमि 99 साल के पट्टे के जरिये बंदरबांट कर दी गई।

घोटाला सांकेतिक तस्वीर।
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
अलीगढ़ के राज्य कर्मचारी विकास लोक सहकारी आवास समिति की असदपुर साइट में गोलमाल की एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अब आवंटियों को कार्रवाई का इंतजार है। वहीं 30 मार्च को इस मामले में समिति पदाधिकारियों ने शिकायत करने वाले आवंटियों के कई आरोपों को मनगढ़ंत बताया है। कहा है कि हमने ये पक्ष समिति के समक्ष भी रखे थे।

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इस संबंध में मीडिया को जानकारी देते हुए समिति के वर्तमान सचिव जितेंद्र कुमार ने बताया कि उनकी समिति ने तीन साइटों को विकसित किया। जिसमें असदपुर साइट की 15.21 हेक्टेयर भूमि उनके कार्यभार संभालने से पहले ही किसानों से इकरारनामा के जरिये ली गई। मगर उसके बैनामे नहीं कराए। उसी पर आवंटियों को प्लॉट आवंटित कर दिए। इस पर पानी की टंकी व कार्यालय का निर्माण कराना धन का दुरुपयोग था।
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2007 में तत्कालीन सचिव धर्मेंद्र कुमार ने बैनामों के प्रयास किए, लेकिन किसान राजी नहीं हुए। इस पर हमने मुकदमे भी अदालत में दायर किए, जिनकी आज भी हम लड़ाई लड़ रहे। समिति में कुल 2577 सदस्य व कुल 906 प्लॉट धारक हैं, जबकि संघर्ष समिति ने एसआईटी को 35000 सदस्य बताए, जो गलत तथ्य है। 1200 निर्माण भी नहीं हैं। प्लॉट आवंटन 1986 से 1992 के मध्य पूर्व पदाधिकारियों ने कर दिए। हमने कोई नया आवंटन नहीं किया। जिन आवंटियों ने अपने आवंटन स्थानांतरित किए, वे नए सदस्य बने हैं। कोई नया सदस्य भी नहीं बनाया। साथ में संघर्ष समिति ने हमारी समिति के पंजीकरण पर ही अपनी समिति का पंजीकरण नंबर चढ़ा रखा है, यह भी गलत है।
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उन्होंने 300 करोड़ के गबन पर भी यह कहकर सवाल खड़ा किया,तीनों साइटों की भूमि क्रमश: सिर्फ 76 लाख, 57 लाख व 4 लाख में खरीदी गई। पूर्व में हम पर लिखे मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट लग गई है। अब हमने मुकदमा दर्ज कराया है, जिससे संघर्ष समिति घबराई हुई है। संघर्ष समिति में कुछ ऐसे भी सदस्य हैं, जो समिति में नहीं हैं। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि आरोपों व मुकदमों से बचने के लिए ये लोग शिकायत कर रहे हैं। बता दें कि इस मामले में मंडलायुक्त की अगुवाई वाली एसआईटी ने जांच कर शासन को रिपोर्ट भेजी है, जिसमें अब कार्रवाई का इंतजार है।