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1971 India Pak War : मध्य वायु कमान ने कराची के तेल भंडारण टैंकों को किया था नष्ट
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 09 May 2025 12:20 PM IST
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सार
‘दमनीयः आत्मशत्रवः’ यानी शत्रु का दमन करो, इस आदर्श वाक्य के साथ प्रयागराज स्थित वायुसेना का मध्य वायु कमान (सीएसी) लगातार देश के दुश्मनों पर प्रहार कर रहा है। वर्ष 1971 की जंग में कमान ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया था।

लड़ाकू विमान।
- फोटो : samvad

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विस्तार
‘दमनीयः आत्मशत्रवः’ यानी शत्रु का दमन करो, इस आदर्श वाक्य के साथ प्रयागराज स्थित वायुसेना का मध्य वायु कमान (सीएसी) लगातार देश के दुश्मनों पर प्रहार कर रहा है। वर्ष 1971 की जंग में कमान ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया था। वायुसेना ने कराची स्थित तेल भंडारण टैंकों पर जबरदस्त हमला कर उसे पूरी तरह से बैकफुट पर ला दिया। उस दौरान 60 प्रतिशत तेल भंडार वायुसेना ने नष्ट कर दिए थे। इस युद्ध में भारतीय सेनाओं की निर्णायक जीत और पूर्वी पाकिस्तान को आजाद कराकर बांग्लादेश नामक एक नए स्वतंत्र राष्ट्र का निर्माण सीएसी के इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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तीन दिसंबर, 1971 की शाम पाकिस्तान ने भारतीय वायु सेना के कई अग्रिम ठिकानों पर एक साथ हमला किया। इस पर मध्य वायु कमान के कैनबरा विमानों ने मध्यरात्रि से पहले जवाबी कार्रवाई में पाक के हवाई ठिकानों पर सटीकता के साथ विनाशकारी हमला किया। 35 नंबर स्क्वाड्रन के सात कैनबरा विमानों ने कराची में तेल भंडारण टैंकों पर हमला किया। उससे पाकिस्तान के लगभग 60 प्रतिशत तेल भंडार नष्ट हो गए। युद्ध संपन्न होने के बाद कमान के जवानों को वीरता पुरस्कार भी मिले।
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पेशावर और मुल्तान पर हुए हमले में भी विशेष भूमिका
वर्ष 1965 के युद्ध में भी कमान के कैनबरा एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान में जमकर तांडव किया। चकलाला, मौरीपुर, मुल्तान, पेशावर और सरगोधा में पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर दिन-रात सटीक तरीके से कार्रवाई की गई । 13 और 14 सितंबर की रात नंबर-पांच स्क्वाड्रन के स्क्वाड्रन लीडर चरणजीत सिंह और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मंगत सिंह ने दुश्मन के इलाके में काफी अंदर तक उड़ान भरी और पेशावर में प्रमुख हवाई अड्डे पर हमला किया। युद्ध समाप्त होने के बाद सेंट्रल एयर कमांड के कैनबरा स्क्वाड्रन के सदस्यों को तीन महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मध्य वायु कमान के पास उपलब्धियों का समृद्ध इतिहास है। सीएसी ने देश के आसमान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया है। युद्ध के साथ-साथ शांति के समय में भी गौरव बढ़ाया है। - समीर गंगाखेड़कर, ग्रुप कैप्टन एवं पीआरओ रक्षा मंत्रालय
वर्ष 1965 के युद्ध में भी कमान के कैनबरा एयरक्राफ्ट स्क्वाड्रन ने पाकिस्तान में जमकर तांडव किया। चकलाला, मौरीपुर, मुल्तान, पेशावर और सरगोधा में पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर दिन-रात सटीक तरीके से कार्रवाई की गई । 13 और 14 सितंबर की रात नंबर-पांच स्क्वाड्रन के स्क्वाड्रन लीडर चरणजीत सिंह और फ्लाइट लेफ्टिनेंट मंगत सिंह ने दुश्मन के इलाके में काफी अंदर तक उड़ान भरी और पेशावर में प्रमुख हवाई अड्डे पर हमला किया। युद्ध समाप्त होने के बाद सेंट्रल एयर कमांड के कैनबरा स्क्वाड्रन के सदस्यों को तीन महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
मध्य वायु कमान के पास उपलब्धियों का समृद्ध इतिहास है। सीएसी ने देश के आसमान की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सभी चुनौतियों का डटकर सामना किया है। युद्ध के साथ-साथ शांति के समय में भी गौरव बढ़ाया है। - समीर गंगाखेड़कर, ग्रुप कैप्टन एवं पीआरओ रक्षा मंत्रालय