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फर्जी दस्तावेज से पाई थी नाकरी: धोखाधड़ी के बाद न्याय के हकदार नहीं, हाईकोर्ट ने शिक्षक की नियुक्ति रद्द की

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, प्रयागराज Published by: विकास कुमार Updated Tue, 06 May 2025 09:45 PM IST
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सार

यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर दिया। हाथरस जिले के सरकारी मॉडल इंटर कॉलेज में कार्यरत सहायक शिक्षक चिदानंद को फर्जी दस्तावेज पर नौकरी पाने के आधार पर पद से हटा दिया गया था। 

Got job with fake documents Not entitled to justice after fraud High Court cancels teacher appointment
इलाहाबाद हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाली दस्तावेज से नौकरी पाए शिक्षक की नियुक्ति रद्द कर दी। कहा, धोखाधड़ी और न्याय साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग धोखाधड़ी से लाभ प्राप्त करते हैं, न्यायालय के न्यायिक विवेकाधिकार का लाभ उन्हें नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने तत्काल प्रभाव से शिक्षक को पद से हटाने के साथ ही वेतन व अन्य लाभ देने पर भी रोक लगा दी है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति प्रवीण कुमार गिरि की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील पर दिया। हाथरस जिले के सरकारी मॉडल इंटर कॉलेज में कार्यरत सहायक शिक्षक चिदानंद को फर्जी दस्तावेज पर नौकरी पाने के आधार पर पद से हटा दिया गया था। इसके खिलाफ शिक्षक ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए वेतन के साथ बहाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने विशेष अपील दाखिल कर चुनौती दी।
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कोर्ट की जांच में भी फर्जीवाड़ा की हुई पुष्टि
राज्य सरकार का कहना था कि शिक्षक चिदानंद ने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट व बीएड की फर्जी डिग्रियों के आधार पर नौकरी पाई है। कोर्ट ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) और डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से जानकारी मांगी। एनआईओएस ने हलफनामा प्रस्तुत कर बताया कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के प्रमाणपत्र उसकी ओर से जारी नहीं किए गए हैं।

आंबेडकर विवि ने बताया कि बीएड का जो प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया है, वह 2009-2010 सत्र का है। इस वर्ष को विवि ने शून्य वर्ष घोषित किया था। अत: प्रमाणपत्र वैध नहीं है। इस पर न्यायालय ने सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया।
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