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High Court Order : काम हेडमास्टर का तो वेतन भी उसी का दिया जाए, कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को दिया निर्देश
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 08 May 2025 03:50 PM IST
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सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर के रूप में काम करने वाले सहायक अध्यापक अगर सभी शर्तें पूरी करते हैं तो वह हेड मास्टर पद का वेतन पाने के हकदार हैं।

अदालत का आदेश
- फोटो : istock

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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हेडमास्टर के रूप में काम करने वाले सहायक अध्यापक अगर सभी शर्तें पूरी करते हैं तो वह हेड मास्टर पद का वेतन पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद को निर्देश दिया है कि ऐसे सहायक अध्यापकों को हेड मास्टर पद का वेतन दिया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका दाखिल करने के तीन वर्ष पूर्व से ही बकाया एरियर का भुगतान किया जाए।
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यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रवीन कुमार गिरि की खंडपीठ ने सचिव बेसिक शिक्षा परिषद की दर्जनों विशेष अपीलों को निस्तारित करते हुए दिया है। एकल पीठ ने ऐसे अध्यापकों को उच्च वेतन मान पाने का हकदार माना था, जो 2014 अथवा लंबे समय से हेड मास्टर पद का काम कर रहे थे, मगर उनको सहायक अध्यापक का ही वेतन दिया जा रहा था। बेसिक शिक्षा परिषद ने विशेष अपील में एकल न्याय पीठ के आदेश को चुनौती दी थी।
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परिषद की अपील में कहा गया की विद्यालयों में अध्यापकों की संख्या शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की ओर से संचालित होती है, जिसमें छात्र संख्या के हिसाब से विद्यालय में अध्यापकों की संख्या का निर्धारण किया गया है। ज्यादातर प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्या 150 और जूनियर हाईस्कूल में 100 से कम है। इसलिए वहां हेड मास्टर का कोई पद नहीं है। ऐसे में हेड मास्टर पद का वेतन नहीं दिया जा सकता। ज्यादातर विद्यालयों में हेड मास्टर की आवश्यकता नहीं है।
इसका विरोध करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता वीके सिंह और अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि जहां प्रबंधन किसी व्यक्ति को उच्च पद पर प्रोन्नत करता है तो संबंधित कर्मचारियों को उस पद की जिम्मेदारियां का भी निर्वहन करना होता है। इसलिए वह उस प्रोन्नत पद का वेतन पाने का हकदार है।
कोर्ट ने कहा कि आरटीई एक्ट 2009 में न्यूनतम संख्या का निर्धारण इसलिए किया गया है, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सके। एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है कि छात्रों की संख्या कम होने से पद अपने आप काम हो जाएंगे। कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए याचियों को हेड मास्टर पद के वेतन का भुगतान का निर्देश दिया है।