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वर्चस्व की जंग : एक अखाड़ा परिषद में दो अध्यक्षों ने संभाला काम, उलझी सियासत

अनूप ओझा, प्रयागराज Published by: दुष्यंत शर्मा Updated Wed, 27 Oct 2021 01:16 AM IST
सार

वर्चस्व की लड़ाई में दोनों गुटों ने अपनी-अपनी वैधता का किया दावा। कुंभ के आयोजन में दोनों कमेटियां सुविधाओं के लिए दावा करेंगी पेश।

In akhara parishad two presidents starts work
अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरी - फोटो : Amar Ujala

विस्तार

संन्यासी और वैरागी परंपरा के संतों के बीच वर्चस्व की लड़ाई में दो फाड़ हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के दोनों अध्यक्षों ने धर्म-संस्कृति की रक्षा के लिए काम शुरू कर दिया है। दोनों कमेटियों ने अपनी-अपनी वैधता और बहुमत का दावा किया है। अब कुंभ, अर्ध कुंभ और महाकुंभ में भूमि आवंटन से लेकर संतों-भक्तों की सुविधाओं के लिए दोनों धड़ों की ओर से अलग-अलग दावे पेश किए जाएंगे।



हरिद्वार में एक धड़े के अलग होकर अपनी महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में परिषद की कार्यकारिणी गठित करने के बाद प्रयागराज में दोबारा चुनाव कराए जाने से वर्चस्व की जंग तेज हो गई है।  निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्रपुरी को अलग अध्यक्ष बनाए जाने से अखाड़ा परिषद की सियासत उलझ गई है। अब सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर कुंभ किस कमेटी की अगुवाई में होगा। 


फिलहाल दोनों धड़े के अध्यक्षों ने जिम्मेदारी संभाल ली है। मंगलवार को एक दिन पहले अध्यक्ष चुने गए महंत रवींद्रपुरी और महामंत्री हरि गिरि ने जहां संगम पर कुंभ-2025 की सफलता के लिए गंगा पूजन, आरती कर अलग संदेश दिया, वहीं हरिद्वार में भी सियासी दांव-पेच के तहत दूसरे धड़े की एकजुटता प्रदर्शित की जाती रही। 

ऐसे में अखिल भारतीय अखाड़ा के संतों के बीच छिड़ी रार कम होने का नाम नहीं ले रही है। परिषद के दोनों ही गुट अपने पक्ष में बहुमत होने का दावा करते हुए अपने को असली बताने में जुटे हुए हैं। महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्रपुरी के नेतृत्व वाली अखाड़ा परिषद अपने साथ सात अखाड़ों का बहुमत होने का दावा कर रही है। 

इसमें उनके साथ महानिर्वाणी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, बड़ा उदासीन, निर्मल व बैरागियों के तीन अखाड़े शामिल हैं। जबकि, निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्रपुरी महाराज के नेतृत्व वाली अखाड़ा परिषद भी अपने साथ आठ अखाड़ों के बहुमत का दावा किया है। निरंजनी के सचिव महंत रवींद्र पुरी जिस धड़े के अध्यक्ष बने हैं, उनके मुताबिक उनके साथ जूना, अग्नि, आवाहन आनंद, निरंजनी, निर्मल, नया उदासीन व बैरागी का निर्मोही अखाड़ा उनके साथ है। इस हिसाब से उनके पास बहुमत का आंकड़ा आठ हो जाता है। ऐसे में स्थिति असहज हो गई है।


अखाड़ा परिषद के असली अध्यक्ष महानिर्वाणी के महंत रवींद्र पुरी: देवेंद्र शास्त्री
दारागंज के निरंजनी अखाड़े में हुए अखाड़ा परिषद के चुनाव में केवल छह अखाड़ों ने ही हिस्सा लिया है। प्रयागराज में हुई बैठक में न तो निर्मल अखाड़े के रेशम सिंह को मतदान करने का अधिकार था और न ही बैरागी निर्मोही अखाड़े के मदन मोहन दास को। ऐसे में संख्या बल छह ही रह जाता है। यह कहना है निर्मल अखाड़े के सचिव महंत देवेंद्र सिंह शास्त्री का। 
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उनका कहना है कि महानिर्वाणी के सचिव महंत रवींद्र पुरी की अखाड़ा परिषद के असली अध्यक्ष हैं। पूर्व महामंत्री हरि गिरि की ओर से प्रयागराज में बुलाई गई बैठक में फर्जी संतों के आधार पर बहुमत का झूठा दावा किया गया है। नियम के विपरीत एजेंडा और बिना अध्यक्ष की मौजूदगी के बैठक में छह अखाड़ों की ओर से किया गया निरंजनी के सचिव रवींद्र पुरी का अध्यक्ष के पद पर मनोनयन अवैधानिक है। 


हरिद्वार में सात अखाड़ों ने बहुमत के आधार पर मुझे अध्यक्ष चुना है। मैंने संन्यासी, उदासी, बैरागी और वैष्णव सभी चारों परंपराओं के संतों को मिलाकर कार्यकारिणी गठित की है। इसमें किसी तरह का मतभेद नहीं है। मेरे नेतृत्व वाली परिषद को ही कुंभ कराने का अधिकार होगा। महंत रवींद्र पुरी, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव व अध्यक्ष अखाड़ा परिषद। 

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