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भक्तों ने खड़े किए हाथ, संत परेशान
अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
Updated Tue, 17 Jan 2017 01:56 AM IST
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इलाहाबाद
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, इलाहाबाद
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नोटबंदी का असर इस बार माघ मेला क्षेत्र में दिखाई दे रहा है। माघ मेले में महीने भर चलने वाले भंडारों की संख्या में कमी हो गई है। ज्यादातर शिविरों में मुख्य स्नान पर्वों पर ही भंडारा किया जाएगा। भक्तों के हाथ खड़े करने से संत असमंजस में हैं। किसी तरह भंडारा कर रहे संतों के सामने दक्षिणा की रकम जु
खाक चौक, दंडीबाड़ा, आचार्य बाड़ा, महावीर मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, काली सड़क स्थित संतों के शिविरों में दोनों वक्त का भंडारा होता रहा है अब वहां एक वक्त ही हो रहा है। खाक चौक व्यवस्था समिति के महामंत्री सतुआबाबा संतोषदास का कहना है कि सनातन धर्म में दक्षिणा के बगैर अनुष्ठान पूरे नहीं माने जाते हैं। नोटबंदी के कारण अन्नक्षेत्र में कमी आई है। अभी तक किसी भी भक्त ने भंडारा कराने के लिए हामी नहीं भरी है। आश्रम की ओर से किसी तरह से स्नान पर्व पर भंडारा कराया गया है। दक्षिणा देने के लिए दस हजार की रकम जुटाने में दिन भर भटकना पड़ा है। रकम की कमी से परंपरा का निर्वाह भारी पड़ रहा है।
अखिल भारतीय दंडी प्रबंधन समिति के महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम के मुताबिक इस बार हाथ बंधे हैं। भक्तों के पास नकदी न होने से दान दक्षिणा में कमी आई है। किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
त्रिवेणी रोड स्थित साकेतधाम बड़ा भक्तमाल शिविर जगद्गुरु बिनैका बाबा ने दान के लिए स्वैप मशीन लगाई है। कैशलेस मशीन दान लेने के लिए चार बार इस्तेमाल की गई। उसके बाद मशीन खराब हो गई। बिनैका बाबा का कहना है कि मात्र आठ सौ रुपये ही दान में आए। मशीन की लागत भी नहीं निकल पाई है। स्वैप मशीन को बनने के लिए भेजा है। कहा, भंडारा के बाद दक्षिणा देने की परंपरा सनातन से है। जिसका निर्वाह करना मुश्किल हो रहा है। बीते वर्ष 50 हजार प्रतिदिन दक्षिणा बांटी है। इस बार दस रुपये देने के लिए परेशान हैं। स्टेट बैंक की शाखा मेला क्षेत्र में नकदी की व्यवस्था करती थी। इस बार नकदी के लिए भटकना पड़ रहा है।

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खाक चौक, दंडीबाड़ा, आचार्य बाड़ा, महावीर मार्ग, त्रिवेणी मार्ग, काली सड़क स्थित संतों के शिविरों में दोनों वक्त का भंडारा होता रहा है अब वहां एक वक्त ही हो रहा है। खाक चौक व्यवस्था समिति के महामंत्री सतुआबाबा संतोषदास का कहना है कि सनातन धर्म में दक्षिणा के बगैर अनुष्ठान पूरे नहीं माने जाते हैं। नोटबंदी के कारण अन्नक्षेत्र में कमी आई है। अभी तक किसी भी भक्त ने भंडारा कराने के लिए हामी नहीं भरी है। आश्रम की ओर से किसी तरह से स्नान पर्व पर भंडारा कराया गया है। दक्षिणा देने के लिए दस हजार की रकम जुटाने में दिन भर भटकना पड़ा है। रकम की कमी से परंपरा का निर्वाह भारी पड़ रहा है।
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अखिल भारतीय दंडी प्रबंधन समिति के महामंत्री स्वामी ब्रह्माश्रम के मुताबिक इस बार हाथ बंधे हैं। भक्तों के पास नकदी न होने से दान दक्षिणा में कमी आई है। किसी तरह काम चलाया जा रहा है।
त्रिवेणी रोड स्थित साकेतधाम बड़ा भक्तमाल शिविर जगद्गुरु बिनैका बाबा ने दान के लिए स्वैप मशीन लगाई है। कैशलेस मशीन दान लेने के लिए चार बार इस्तेमाल की गई। उसके बाद मशीन खराब हो गई। बिनैका बाबा का कहना है कि मात्र आठ सौ रुपये ही दान में आए। मशीन की लागत भी नहीं निकल पाई है। स्वैप मशीन को बनने के लिए भेजा है। कहा, भंडारा के बाद दक्षिणा देने की परंपरा सनातन से है। जिसका निर्वाह करना मुश्किल हो रहा है। बीते वर्ष 50 हजार प्रतिदिन दक्षिणा बांटी है। इस बार दस रुपये देने के लिए परेशान हैं। स्टेट बैंक की शाखा मेला क्षेत्र में नकदी की व्यवस्था करती थी। इस बार नकदी के लिए भटकना पड़ रहा है।