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GPF News : जीपीएफ भुगतान में नहीं होगी देरी, अनियमितता पर भी लगेगा अंकुश
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 09 May 2025 01:11 PM IST
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सार
सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त होने वाले अफसरों एवं कर्मचारियों को जीपीएफ के भुगतान के लिए अब बहुत भटकना नहीं पड़ेगा। समय से भुगतान होगा। इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है।

पेंशन
- फोटो : अमर उजाला

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विस्तार
सरकारी विभागों से सेवानिवृत्त होने वाले अफसरों एवं कर्मचारियों को जीपीएफ के भुगतान के लिए अब बहुत भटकना नहीं पड़ेगा। समय से भुगतान होगा। इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। यह व्यवस्था फरवरी से ही लागू कर दी गई है। इससे अनियमितता पर भी अंकुश लगने की बात कही जा रही है। पूर्व की व्यवस्था के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने के बाद विभाग की ओर से सभी तरह के दस्तावेज की हार्डकाॅपी महालेखाकार (लेखा एवं हकादारी) (एजी ऑफिस) में भेजे जाते हैं।
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वहां सत्यापन तथा आगे की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कर्मचारी को जीपीएफ भुगतान किए जाते हैं। इससे भुगतान में काफी समय लग जाता है। इसके अलावा इस प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की शिकायत भी बनी रहती है। लेकिन, 30 जनवरी के शासनादेश के क्रम में पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी गई है। इसके तहत विभागाध्यक्षों को सेवानिवृत्त कर्मचारी के सभी दस्तावेज ऑनलाइन भेजने होंगे।
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एजी ऑफिस से इस बाबत मुख्य कोषाधिकारी तथा सभी विभागाध्यक्षाें को पत्र लिखकर जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा गया है। पत्र में लिखा गया है कि फरवरी से नई व्यवस्था लागू हो गई और अब दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन नहीं किया जाएगा। इससे फाइल तैयार करने और इसके आदान-प्रदान पर समय व्यतीत नहीं होगा। इसके अलावा संबंधित अफसरों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी। यानी, निर्धारित अवधि में भुगतान सुनिश्चित करना होगा।
एक हजार पेंशनर्स ने नहीं दिया जीवन प्रमाण पत्र, रुकी पेंशन
जिले में एक हजार से अधिक पेंशनर्स की पेंशन रोक दी गई है। इसकी मुख्य वजह एक वर्ष बीत जाने के बाद भी जीवित होने का प्रमाण नहीं दिया जाना है। इन्हें प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इसके बाद ही पेंशन शुरू हो पाएगी।
नियमानुसार पेंशनर्स को हर वर्ष जीवित होने का प्रमाण देना होता है। प्रमाण पत्र कोषागार में उपस्थित होकर दिया जा सकता है। बैंक के माध्यम से भी प्रमाण पत्र जमा करने की व्यवस्था है। इसके अलावा ऐप के माध्यम से ऑनलाइन भी जीवन प्रमाण पत्र दिया जा सकता है। खास यह कि अब वर्ष में किसी भी समय प्रमाण पत्र दिए जा सकते हैं।
हालांकि, आमतौर पर पेंशनर्स नवंबर-दिसंबर में ही कोषागार में उपस्थित होकर जीवन प्रमाण पत्र देते हैं लेकिन एक हजार से अधिक ने इस बार प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया है। इसकी वजह से उनकी पेंशन रोक दी गई है। मुख्य कोषाधिकारी प्रत्यूष कुमार का कहना है कि इनसे अपील की गई है कि जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दें। ताकि, पेंशन बहाल की जा सके।
निधन के बाद परिवार वालों ने नहीं दी सूचना
करीब 200 ऐसे पेंशनर्स भी हैं जिनका निधन हो गया है लेकिन परिवारवालों ने इसकी सूचना नहीं दी। इसकी वजह से इनके खाते में पेंशन आती रही। ऐसे में परिवारवालों से बाद में रिकवरी की जाती है। मुख्य कोषाधिकारी का कहना है कि हर वर्ष इस तरह के 150 से 200 प्रकरण सामने आते हैं और वसूली करनी पड़ती है। इससे पेंशनर्स के परिवार वालों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने निधन के बाद समय रहते इसकी सूचना देने तथा जरूरी प्रक्रिया पूरी करने की अपील की है।
जिले में एक हजार से अधिक पेंशनर्स की पेंशन रोक दी गई है। इसकी मुख्य वजह एक वर्ष बीत जाने के बाद भी जीवित होने का प्रमाण नहीं दिया जाना है। इन्हें प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। इसके बाद ही पेंशन शुरू हो पाएगी।
नियमानुसार पेंशनर्स को हर वर्ष जीवित होने का प्रमाण देना होता है। प्रमाण पत्र कोषागार में उपस्थित होकर दिया जा सकता है। बैंक के माध्यम से भी प्रमाण पत्र जमा करने की व्यवस्था है। इसके अलावा ऐप के माध्यम से ऑनलाइन भी जीवन प्रमाण पत्र दिया जा सकता है। खास यह कि अब वर्ष में किसी भी समय प्रमाण पत्र दिए जा सकते हैं।
हालांकि, आमतौर पर पेंशनर्स नवंबर-दिसंबर में ही कोषागार में उपस्थित होकर जीवन प्रमाण पत्र देते हैं लेकिन एक हजार से अधिक ने इस बार प्रमाण पत्र नहीं प्रस्तुत किया है। इसकी वजह से उनकी पेंशन रोक दी गई है। मुख्य कोषाधिकारी प्रत्यूष कुमार का कहना है कि इनसे अपील की गई है कि जीवन प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर दें। ताकि, पेंशन बहाल की जा सके।
निधन के बाद परिवार वालों ने नहीं दी सूचना
करीब 200 ऐसे पेंशनर्स भी हैं जिनका निधन हो गया है लेकिन परिवारवालों ने इसकी सूचना नहीं दी। इसकी वजह से इनके खाते में पेंशन आती रही। ऐसे में परिवारवालों से बाद में रिकवरी की जाती है। मुख्य कोषाधिकारी का कहना है कि हर वर्ष इस तरह के 150 से 200 प्रकरण सामने आते हैं और वसूली करनी पड़ती है। इससे पेंशनर्स के परिवार वालों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। उन्होंने निधन के बाद समय रहते इसकी सूचना देने तथा जरूरी प्रक्रिया पूरी करने की अपील की है।