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यूजीसी नेट में ज्यादातर शिक्षा पर सवाल
अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद
Updated Mon, 23 Jan 2017 01:30 AM IST
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इलाहाबाद
- फोटो : अमर उजाला ब्यूरो इलाहाबाद

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की रविवार को राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट, जनवरी-2017) 34 केंद्रों पर हुई। परीक्षा के लिए 24720 परीक्षार्थी पंजीकृत थे, जबकि उपस्थिति 85 प्रतिशत रही। पहली पाली में सामान्य ज्ञान और दूसरी पाली में विषय विशेष की परीक्षा हुई। 100 विषयों में नेट तथा जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) का चयन होगा।
पहली पाली में हुई सामान्य ज्ञान की परीक्षा में शिक्षा से जुड़े सवाल सब पर भारी रहे। बालिका शिक्षा, उच्च शिक्षा, रिसर्च के सिद्धांत समेत शिक्षा से जुड़े सवाल सबसे ज्यादा पूछे गए। परीक्षार्थी शादाब जमील ओर अंजलि ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि हाईकोर्ट की आरओ-एआरओ परीक्षा की तरह से इसमें सम सामयिक मुद्दों पर सवाल पूछे जाएंगे। इसी तरह से हमने तैयारी भी की थी, लेकिन इनसे चार-पांच प्रश्न ही पूछे गए, बाकी सभी सवाल पुराने पैटर्न पर रहे। दूसरी पाली की विषय विशेष परीक्षा का पेपर भी परीक्षार्थियों के मुताबिक कठिन रहा।
कैलाश सिंह ने बताया कि राजनीतिशास्त्र में इस बार अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अधिक फोकस था। संविधान से जुड़े सवाल पूछे ही नहीं गए। इरशाद अहमद ने बताया कि काव्य पंक्तियों से जुड़े सवालों ने काफी उलझाया। अनवर सिद्दीकी ने बताया कि उर्दू लेखकों के जन्म से जुड़े सवालों में विकल्पों को लेकर असमंजस की स्थिति रही। कविता के मुताबिक पत्रकारिता विषय के पेपर में सनसनीखेज पत्रकारिता पर सवाल पूछे गए।
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पहली पाली में हुई सामान्य ज्ञान की परीक्षा में शिक्षा से जुड़े सवाल सब पर भारी रहे। बालिका शिक्षा, उच्च शिक्षा, रिसर्च के सिद्धांत समेत शिक्षा से जुड़े सवाल सबसे ज्यादा पूछे गए। परीक्षार्थी शादाब जमील ओर अंजलि ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि हाईकोर्ट की आरओ-एआरओ परीक्षा की तरह से इसमें सम सामयिक मुद्दों पर सवाल पूछे जाएंगे। इसी तरह से हमने तैयारी भी की थी, लेकिन इनसे चार-पांच प्रश्न ही पूछे गए, बाकी सभी सवाल पुराने पैटर्न पर रहे। दूसरी पाली की विषय विशेष परीक्षा का पेपर भी परीक्षार्थियों के मुताबिक कठिन रहा।
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कैलाश सिंह ने बताया कि राजनीतिशास्त्र में इस बार अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर अधिक फोकस था। संविधान से जुड़े सवाल पूछे ही नहीं गए। इरशाद अहमद ने बताया कि काव्य पंक्तियों से जुड़े सवालों ने काफी उलझाया। अनवर सिद्दीकी ने बताया कि उर्दू लेखकों के जन्म से जुड़े सवालों में विकल्पों को लेकर असमंजस की स्थिति रही। कविता के मुताबिक पत्रकारिता विषय के पेपर में सनसनीखेज पत्रकारिता पर सवाल पूछे गए।