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UPSC Topper Shakti Dubey : खुद की लिखी कविताओं और डायरी के कोट्स से प्रेरणा लेती हैं शक्ति

योगेश नारायण दीक्षति, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Wed, 23 Apr 2025 04:35 PM IST
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सार

सेल्फ मॉटिवेशन यानी आत्म प्रेरणा से सफलता का नायाब उदाहरण पेश किया है संगम नगरी की बेटी शक्ति दुबे ने। बचपन में पुलिस विभाग में कार्यरत पिता को कड़ी मेहनत करते देखती बच्ची ने उसी वक्त ठान लिया था कि पढ़ाई में इतनी मेहनत करेगी जो मिसाल बन जाए।

UPSC Topper Shakti Dubey: Shakti takes inspiration from her own poems and diary quotes
यूपीएससी टॉपर शक्ति दुबे अपने माता-पिता के साथ। - फोटो : अमर उजाला।
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सेल्फ मॉटिवेशन यानी आत्म प्रेरणा से सफलता का नायाब उदाहरण पेश किया है संगम नगरी की बेटी शक्ति दुबे ने। बचपन में पुलिस विभाग में कार्यरत पिता को कड़ी मेहनत करते देखती बच्ची ने उसी वक्त ठान लिया था कि पढ़ाई में इतनी मेहनत करेगी जो मिसाल बन जाए। नतीजा हर कक्षा में टॉप, यूनिवर्सिटी में गोल्ड मेडल और अब यूपीएससी में देश में नंबर वन आ कर मिसाल बन गई हैं शक्ति दुबे। तभी तो सबसे बड़ा इम्तिहान पास करने के बाद अपनी जननी को फोन पर उसने कहा- मां, आपकी तपस्या सफल हुई। और... गदगद पापा तो घर के बाहर डटी मीडिया और चाहने वालों को जवाब देते नहीं थक रहे थे।

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प्रयागराज कमिश्नरेट पुलिस में सब इंस्पेक्टर देवेंद्र दुबे की बेटी शक्ति ने यूपीएसएसी के तीसरे प्रयास में इतनी बड़ी सफलता पाई है जो पूरे देश में चर्चा के केंद्र में है। यूपीएससी मेंस निकालने के बाद शक्ति ने साक्षात्कार के लिए जबर्दस्त तैयारी की थी। इसी दौरान उसका एक मॉक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर आया था। इसमें सामने बैठे साक्षात्कारकर्ता के एक सवाल पर उन्होंने कहा था कि मुझे खुद की लिखी कविताएं और डायरी में दर्ज किए कोट्स उन्हें सदैव प्रेरित करते हैं। इसी इंटरव्यू में शक्ति ने अपने मां और पिता के बारे में भी बताया था कि उनकी खुशी के लिए वह लगातार मेहनत कर यूपीएससी परीक्षा निकालना चाहती हैं।

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अच्छी वक्ता, डिबेट कमेटी को लीड किया

प्रयागराज में स्कूल और यूनिवर्सिटी के दिनों में उसे डिबेट (भाषण प्रतियोगिताओं) में भाग लेना बहुत पसंद रहा है। प्रयागराज से ताल्लुक रखने वाली और वर्तमान में प्रदेश के एक जिले में राजपत्रित महिला अधिकारी भी सिविल की तैयारी कर चुकी हैं और वह शक्ति दुबे के जुनून से वाकिफ हैं। उनके मुताबिक प्रयागराज के स्कूल में जब डिबेट कमेटी बनाई गई तो उसको शक्ति ही लीड करती थीं। किसी विषय पर वह लगातार और हर एंगल पर बोल सकती थी, क्योंकि वह जबर्दस्त तैयारी कर लेती थी। स्कूल के दिनों से ही उसका सामान्य ज्ञान और वैश्विक परिवेश के बारे में जानने की इच्छा बहुत रहती थी। तभी तो विज्ञान की छात्रा रही शक्ति ने सिविल सेवा में ऐच्छिक विषय के रूप में राजनीति विज्ञान व इंटरनेशनल रिलेशन जैसे विषय चुने।

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