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Amethi News: मनुष्य का पतन करती है बुरी संगति
संवाद न्यूज एजेंसी, अमेठी
Updated Wed, 03 Dec 2025 12:43 AM IST
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संग्रामपुर। ठेंगहा में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मंगलवार को आत्मदेव ब्राह्मण और धुंधकारी की कथा सुनकर श्रद्धालु भावुक हो गए। प्रवाचक शिवशंकर त्रिपाठी महाराज ने पाप, भ्रम, मोह और पश्चाताप प्रसंग के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि बुरी संगति मनुष्य का पतन करती है, जबकि सच्चा ज्ञान मोक्ष का मार्ग खोलता है।
उन्होंने बताया कि आत्मदेव ब्राह्मण अत्यंत धर्मनिष्ठ और शांत स्वभाव के थे, किंतु संतान की इच्छा के कारण वे छल के जाल में फंस गए। साध्वी के धोखे से पैदा हुआ धुंधकारी बचपन से ही उद्दंड और पापाचार में लिप्त रहा। उसके दुष्कर्मों से माता-पिता को गहरा दुख मिला। घर-परिवार में अशांति फैलने लगी और आत्मदेव का मन संसार से विरक्त हो गया। अंततः वे तपस्या के लिए जंगल चले गए।
धुंधकारी लोभ, वासना और दुष्ट प्रवृत्तियों के कारण अधर्म के पथ पर आगे बढ़ता गया। उसके पाप इतने बढ़े कि उसकी मृत्यु भी कष्टदायक हुई और वह प्रेत योनि में भटकने लगा। सौतेले भाई विद्वान और धर्मपरायण गोकर्ण ने भागवत कथा का आयोजन कर धुंधकारी को मोक्ष दिलाया। इस प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। प्रवाचक ने कहा कि पाप का परिणाम हमेशा दुख होता है, जबकि भक्ति, सत्संग और पश्चाताप जीवन को दिव्यता की ओर ले जाते हैं। इस मौके पर जगदीश नारायण अग्रहरि, हुकुम चंद्र, यज्ञ नारायण तिवारी, रघुनाथ पांडेय, लक्ष्मीकांत, पुष्पराज सिंह, गायत्री प्रसाद, राम लखन, बजरंग प्रसाद, चित्रकूट मणि, राधेश्याम तिवारी, महादेव बरनवाल आदि मौजूद रहे।
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उन्होंने बताया कि आत्मदेव ब्राह्मण अत्यंत धर्मनिष्ठ और शांत स्वभाव के थे, किंतु संतान की इच्छा के कारण वे छल के जाल में फंस गए। साध्वी के धोखे से पैदा हुआ धुंधकारी बचपन से ही उद्दंड और पापाचार में लिप्त रहा। उसके दुष्कर्मों से माता-पिता को गहरा दुख मिला। घर-परिवार में अशांति फैलने लगी और आत्मदेव का मन संसार से विरक्त हो गया। अंततः वे तपस्या के लिए जंगल चले गए।
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धुंधकारी लोभ, वासना और दुष्ट प्रवृत्तियों के कारण अधर्म के पथ पर आगे बढ़ता गया। उसके पाप इतने बढ़े कि उसकी मृत्यु भी कष्टदायक हुई और वह प्रेत योनि में भटकने लगा। सौतेले भाई विद्वान और धर्मपरायण गोकर्ण ने भागवत कथा का आयोजन कर धुंधकारी को मोक्ष दिलाया। इस प्रसंग को सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। प्रवाचक ने कहा कि पाप का परिणाम हमेशा दुख होता है, जबकि भक्ति, सत्संग और पश्चाताप जीवन को दिव्यता की ओर ले जाते हैं। इस मौके पर जगदीश नारायण अग्रहरि, हुकुम चंद्र, यज्ञ नारायण तिवारी, रघुनाथ पांडेय, लक्ष्मीकांत, पुष्पराज सिंह, गायत्री प्रसाद, राम लखन, बजरंग प्रसाद, चित्रकूट मणि, राधेश्याम तिवारी, महादेव बरनवाल आदि मौजूद रहे।