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Amroha News: मर्ज दे रहा दर्द...स्वास्थ्य विभाग तारीख पर तारीख
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अमरोहा। तमाम प्रयासों के बाद भी जिला अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों का अल्ट्रासाउंड नहीं हो पा रहे हैं। रोजाना 60 से ज्यादा मरीजों बिना अल्ट्रासाउंड कारण लौटना पड़ा रहा है। दिनभर में सिर्फ 30 से 35 मरीज के ही अल्ट्रासाउंड हो पा रहे हैं। शनिवार को करीब दस मरीजों के ही अल्ट्रासाउंड हो सके। कुछ मरीज दर्द से परेशान दिखे। वहीं रेडियोलॉजिस्ट अपराध से जुड़े मेडिकल बनाने में व्यस्त रहे। जिन मरीजों के अल्ट्रासाउंड नहीं हुए उन्हें सात दिन बाद की तारीख दी गई है। स्टाफ की मानें तो अल्ट्रासाउंड कराने के लिए करीब 250 से अधिक मरीज प्रतीक्षा में हैं।
जिला अस्पताल में मरीजों के लिए मुफ्त अल्ट्रासाउंड-एक्सरे की सुविधा उपलब्ध हैं। एक अल्ट्रासाउंड मशीन महिला विंग में लगी है, जबकि दूसरी जिला अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग में। तमाम बीमारियों और गर्भवती महिलाओं के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के लिए लिखते हैं, लेकिन समय पर अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाते है। इसका मुख्य कारण महिला विंग के रेडियोलाॅजिस्ट नौकरी छोड़कर चले गए हैं, जिसके बाद इमरजेंसी विंग के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विजयपाल पर यहां की भी जिम्मेदारी आ गई है। वहीं, वह भी कई बार कानूनी प्रक्रिया के चलते बाहर रहते हैं।
जिला अस्पताल में रोजाना 80 से 90 मरीज अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचते हैं, जिनमें चंद मरीजों की जांच हो पाती हैं। अन्य को तारीख देकर वापस भेज दिया जा रहा है। शनिवार को पेट दर्द व अन्य बीमारी से पीड़ित करीब 60 से ज्यादा मरीज बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही वापस लौट गए। जिला अस्पताल की महिला विंग के अल्ट्रासाउंड सेंटर के बाहर कुछ महिलाएं डॉक्टर के इंतजार में बैठी मिलीं। अधिकांश मरीजों को अगली दिन की तारीख देकर वापस भेजा गया। मरीज निराश होकर निजी अस्पतालों में अपना अल्ट्रासाउंड कराने पर मजबूर हैं।-- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -
बाहर अल्ट्रासाउंड कराने में होता है ज्यादा खर्चा
जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड निशुल्क किया जाता है, लेकिन जब कोई मरीज बाहर अल्ट्रासाउंड कराता है तो उसकी जेब पर 800 से 1000 रुपये तक का भार पड़ता है। जिला अस्पताल में लंबी तारीख मिलने की वजह से ज्यादा जरूरत पड़ने पर मरीजों को बाहर भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
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जिला अस्पताल में दो रेडियोलॉजिस्ट के पद हैं, इनमें से एक ही डॉक्टर तैनात हैं। यह डॉक्टर भी मेडिकल या फिर कोर्ट कचहरी के चक्कर में व्यस्त रहते हैं। शनिवार को अपराध से जुड़े मेडिकल तैयार करते हैं। ऐसे में मरीजों के अल्ट्रासाउंड प्रभावित होते हैं। शासन को एक रेडियोलॉजिस्ट की डिमांड भेज रखी है। मिलने के बाद ही समस्या का निदान हो पाएगा।-डॉ. चरन सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल
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जिला अस्पताल में मरीजों के लिए मुफ्त अल्ट्रासाउंड-एक्सरे की सुविधा उपलब्ध हैं। एक अल्ट्रासाउंड मशीन महिला विंग में लगी है, जबकि दूसरी जिला अस्पताल की मुख्य बिल्डिंग में। तमाम बीमारियों और गर्भवती महिलाओं के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड के लिए लिखते हैं, लेकिन समय पर अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाते है। इसका मुख्य कारण महिला विंग के रेडियोलाॅजिस्ट नौकरी छोड़कर चले गए हैं, जिसके बाद इमरजेंसी विंग के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. विजयपाल पर यहां की भी जिम्मेदारी आ गई है। वहीं, वह भी कई बार कानूनी प्रक्रिया के चलते बाहर रहते हैं।
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जिला अस्पताल में रोजाना 80 से 90 मरीज अल्ट्रासाउंड कराने पहुंचते हैं, जिनमें चंद मरीजों की जांच हो पाती हैं। अन्य को तारीख देकर वापस भेज दिया जा रहा है। शनिवार को पेट दर्द व अन्य बीमारी से पीड़ित करीब 60 से ज्यादा मरीज बिना अल्ट्रासाउंड कराए ही वापस लौट गए। जिला अस्पताल की महिला विंग के अल्ट्रासाउंड सेंटर के बाहर कुछ महिलाएं डॉक्टर के इंतजार में बैठी मिलीं। अधिकांश मरीजों को अगली दिन की तारीख देकर वापस भेजा गया। मरीज निराश होकर निजी अस्पतालों में अपना अल्ट्रासाउंड कराने पर मजबूर हैं।
बाहर अल्ट्रासाउंड कराने में होता है ज्यादा खर्चा
जिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड निशुल्क किया जाता है, लेकिन जब कोई मरीज बाहर अल्ट्रासाउंड कराता है तो उसकी जेब पर 800 से 1000 रुपये तक का भार पड़ता है। जिला अस्पताल में लंबी तारीख मिलने की वजह से ज्यादा जरूरत पड़ने पर मरीजों को बाहर भी अल्ट्रासाउंड कराने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
जिला अस्पताल में दो रेडियोलॉजिस्ट के पद हैं, इनमें से एक ही डॉक्टर तैनात हैं। यह डॉक्टर भी मेडिकल या फिर कोर्ट कचहरी के चक्कर में व्यस्त रहते हैं। शनिवार को अपराध से जुड़े मेडिकल तैयार करते हैं। ऐसे में मरीजों के अल्ट्रासाउंड प्रभावित होते हैं। शासन को एक रेडियोलॉजिस्ट की डिमांड भेज रखी है। मिलने के बाद ही समस्या का निदान हो पाएगा।-डॉ. चरन सिंह, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल
