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अपनी जड़ों से कटने वाला समाज हो जाता है दिशाहीन : चंपत
संवाद न्यूज एजेंसी, अयोध्या
Updated Sun, 30 Nov 2025 09:42 PM IST
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21- रामकथा प्रशिक्षण केंद्र में आयोजित दीक्षांत समारोह में मौजूद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र
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अयोध्या। किसी भी समाज की शक्ति उसकी जड़ों में होती है। हमारी जड़ें कथा, कीर्तन, गीता, उपनिषद और गांव की सामूहिक परंपराओं में हैं। जो समाज अपनी जड़ों से कटता है, वह दिशाहीन हो जाता है। एकल अभियान उस जड़ को फिर से मजबूत कर रहा है, इसे और व्यापक बनाना समय की जरूरत है। यह बातें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को गोलाघाट स्थित जानकी जीवन मंदिर में कहीं।
ट्रस्ट महासचिव गोलाघाट में संचालित रामकथा प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षुओं का छह माह का प्रशिक्षण पूरा होने पर आयोजित दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल के इतिहासकारों का ही कहना है कि भारत में दूध-घी की नदियां बहती हैं। इसका मतलब है, देश का हर वर्ग संपन्न था। उन्होंने बताया कि संपन्नता अपने साथ कई तरह की विकृतियों को भी जन्म देती है। उसी तरह समाज में कालांतर में विकृतियां आईं। इसके कारण आपसी कलह बढ़ी और विदेशी आक्रांताओं को भी अवसर मिला।
मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने सभी प्रशिक्षुओं को धर्म-संस्कृति व पूर्वजों की परंपराओं की रक्षा का संकल्प दिलाया। इसके साथ ही आशीर्वाद दिया कि वह अपने आसपास के क्षेत्र में भी समाज को जागरूक कर उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखने का प्रयत्न करते रहेंगे। दीक्षांत समारोह का संचालन केंद्रीय व्यवस्था प्रमुख उमाशंकर मिश्र व प्रशिक्षण प्रमुख राम प्रकाश ने किया।
इस अवसर पर एकल अभियान के अखिल भारतीय प्रभारी राजेश गोयल, अखिल भारतीय हरि सत्संग समिति के महामंत्री विजय केडिया, केंद्रीय योजना प्रमुख जीतू वाहान, हरि सत्संग समिति के अध्यक्ष केदारनाथ सिंह, मंत्री रामसरन दुबे, कोषाध्यक्ष श्रीराम केसरवानी, समाजसेवी भगीरथ फेरीवाला, प्रो. लक्ष्मीकांत सिंह, देव कुमार क्षेत्रपाल, अरविंद अग्रवाल, रामतीरथ मौर्य व अन्य मौजूद रहे।
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ट्रस्ट महासचिव गोलाघाट में संचालित रामकथा प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षुओं का छह माह का प्रशिक्षण पूरा होने पर आयोजित दीक्षांत समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल के इतिहासकारों का ही कहना है कि भारत में दूध-घी की नदियां बहती हैं। इसका मतलब है, देश का हर वर्ग संपन्न था। उन्होंने बताया कि संपन्नता अपने साथ कई तरह की विकृतियों को भी जन्म देती है। उसी तरह समाज में कालांतर में विकृतियां आईं। इसके कारण आपसी कलह बढ़ी और विदेशी आक्रांताओं को भी अवसर मिला।
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मणिराम छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास ने सभी प्रशिक्षुओं को धर्म-संस्कृति व पूर्वजों की परंपराओं की रक्षा का संकल्प दिलाया। इसके साथ ही आशीर्वाद दिया कि वह अपने आसपास के क्षेत्र में भी समाज को जागरूक कर उन्हें अपनी जड़ों से जोड़े रखने का प्रयत्न करते रहेंगे। दीक्षांत समारोह का संचालन केंद्रीय व्यवस्था प्रमुख उमाशंकर मिश्र व प्रशिक्षण प्रमुख राम प्रकाश ने किया।
इस अवसर पर एकल अभियान के अखिल भारतीय प्रभारी राजेश गोयल, अखिल भारतीय हरि सत्संग समिति के महामंत्री विजय केडिया, केंद्रीय योजना प्रमुख जीतू वाहान, हरि सत्संग समिति के अध्यक्ष केदारनाथ सिंह, मंत्री रामसरन दुबे, कोषाध्यक्ष श्रीराम केसरवानी, समाजसेवी भगीरथ फेरीवाला, प्रो. लक्ष्मीकांत सिंह, देव कुमार क्षेत्रपाल, अरविंद अग्रवाल, रामतीरथ मौर्य व अन्य मौजूद रहे।