सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Ballia News ›   If there is no data on land loss after 2015, how will compensation be given?

Ballia News: 2015 के बाद जमीन कटान का आंकड़ा ही नहीं तो मुआवजा कैसे देंगे

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Tue, 14 Oct 2025 01:47 AM IST
विज्ञापन
If there is no data on land loss after 2015, how will compensation be given?
विज्ञापन
बैरिया। तहसील क्षेत्र से गुजरने वाली गंगा और सरयू नदी हर साल बाढ़ के दिनों में तटवर्ती लोगों पर कहर बनकर टूटती हैं। ग्रामीणों के मकानों के साथ ही सैकड़ों एकड़ उपजाऊ जमीन कटान में कटकर बह जाती है। तहसील के आंकड़ों के अनुसार पांच साल में लगभग 59 हेक्टेयर भूमि कटकर बह गई। वर्ष 2014-2015 के बाद कितनी जमीन नदी में समाई इसका तहसील प्रशासन के पास आंकड़ा ही नहीं है।

तहसील प्रशासन ने 2008-09 से 2014-15 तक जो आंकड़े दर्ज किए गए हैं, उसके मुताबिक पांच वर्षों में 58.896 खेत नदियों में विलीन हो गए। यह तो सरकारी आंकड़ा है। हकीकत में हर वर्ष सैकड़ों एकड़ जमीन नदियों में समा जाती है। बहुत से किसान जानकारी के अभाव में सहायता राशि से वंचित रह जाते हैं। 2014-15 के बाद तो कोई पड़ताल ही नहीं कराई गई। किसानों के अनुसार वर्ष 2015 के बाद से अब तक करीब 100 हेक्टेयर उपजाऊ भूमि सरयू व गंगा नदी में समा चुकी है। कटान से तहसील क्षेत्र के तटवर्ती लोग बेघर हो कर दरदर की ठोकर खा रहे हैं। जिन किसानों के पास कभी 10 एकड़ जमीन हुआ करती थी, मौजूदा समय में भूमिहीन हो चुके हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

बैरिया के उपजिलाधिकारी आलोक प्रताप सिंह ने कहा कि जिन काश्तकारों की भूमि कटान की भेंट चढ़ चुकी है। उन्हें अनुदान दिया जाना है। कटान वाले क्षेत्रों की पड़ताल करने के बाद काश्तकारों को अनुदान दिया जाएगा। काश्तकार भी नुकसान का मुआवजा लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सिमट रहा तहसील का क्षेत्रफल : नदियों की कटान से तहसील का क्षेत्रफल भी लगातार सिमटता जा रहा है। बैरिया तहसील का क्षेत्रफल 42213 वर्ग हेक्टेयर है। सिंचित भूमि 17363 हेक्टेयर, असिंचित भूमि 12913 हेक्टेयर है। 34076 हेक्टेयर में आबादी है। अनुपयोगी भूमि 8461 हेक्टेयर है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2008-09 में 11.212 हेक्टेयर, 2009-10 में 05.50 हेक्टेयर, 2010-11 में 21.30 हेक्टेयर, 2011-12 में 9.128 हेक्टेयर भूमि सरयू और गंगा में समा गई थी। वर्ष 2012-13 में बहुआरा मौजा की 1.756 हेक्टेयर भूमि कटकर बह गई। वर्ष 2014-15 में करीब 10 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन गंगा नदी की भेंट चढ़ गई। इस वर्ष 150 से ज्यादा लोगों के मकान कटान में बह गए।

कहां-कहां कटान प्रशासन को पता ही नहीं : तहसील प्रशासन को अंदाजा नहीं है कि कटान कहां-कहां हो रहा है। कटान में कुल कितनी भूमि सरयू एवं गंगा की लहरों की भेंट चढ़ चुकी हैं। नियमानुसार तहसील के लेखपाल और कानूनगो को इलाके की जमीन की पड़ताल करनी चाहिए लेकिन उनकी रुचि इस काम में नहीं दिख रही है। कई वर्षों से लगातार गोपाल नगर टाड़ी, आधिसिघुआ, भुसवला, जगदीशपुर, इब्राहिमाबाद नौबरार, नौरंगा में जबरदस्त कटान हो रहा है। सैकड़ो एकड़ परवल का खेत नदी में विलीन हो चुका है। जानकारी के अभाव में किसान अनुदान के लिए उपजिलाधिकारी को प्रार्थना पत्र नहीं देते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed