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Ballia News: आयुर्वेदिक अस्पतालों में 50 दवाओं में 49 खत्म, सिर्फ गैस का चूर्ण बंट रहा
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राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय बलिया।संवाद
- फोटो : भिनगा में सुबह 11 बजे तक छाया रहा घना कोहरा।
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बलिया। जिले के राजकीय आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सालयों में तीन महीने से दवा का अभाव है। बेहतर इलाज की आस में आने वाले मरीजों को दवा न मिलने से निराशा हाथ लगी है। अस्पताल में 50 प्रकार की दवा की जगह सिर्फ एक दवा गैस का चूर्ण मिल रहा है। मरीज बाहर की दवा खरीद कर खाते हैं। दवा के अभाव में ओपीडी में मरीजों की संख्या कम हो गई है।
जिला राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में एमडी महिला चिकित्सक तैनात हैं। बैरिया, रसड़ा से लेकर बेल्थरारोड तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल की ओपीडी रोजाना सौ के करीब है। पिछले तीन माह से गैस की दवा छोड़ अधिकतर दवाएं खत्म है। वहीं, हाल ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों का है।
दवा के अभाव में मरीजों की संख्या कम हो गई है। ठंड में सर्दी, खांस, बुखार के अलावा जोड़ों में दर्द, सांस की परेशानी व असाध्य रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सक इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मजबूरन बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। दवा के नाम पर सिर्फ अस्पताल में सिर्फ गैस की दवा मिल रही है। अगस्त माह में आईएमपीसीएल के तहत 15 लाख की आयुर्वेदिक व दो लाख रुपये की यूनानी दवा की खरीद हुई थी। जिले के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में हर माह 3800 सौ मरीजों का ओपीडी में इलाज होता है। जिला राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में तीन हजार मरीज आते हैं।
24 फार्मासिस्ट के भरोसे 68 अस्पताल : जनपद में 68 आयुर्वेदिक अस्पताल है। इसमें चार यूनानी है। सभी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की कमी है। 68 में सिर्फ 24 फार्मासिस्ट तैनात हैं। 60 चिकित्सकों की तैनाती है। इनमें 58 आयुर्वेद और दो यूनानी विधि के चिकित्सक हैं। जबकि शहर के जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में एक महिला चिकित्सक तैनात हैं। इनके जिम्मे प्रतिदिन 90 से 110 ओपीडी होती है।
14 साल से नहीं हुआ कोई भी प्रसव
जिला महिला अस्पताल की तर्ज पर राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में भी महिलाओं और पुरुषों का इलाज होता है। 15 शैय्या का अस्पताल में गर्भवती का प्रसव की सुविधा मौजूद है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में महिलाओं का प्रसव नहीं होता है। ओपीडी व प्रसव कक्ष में रखे उपकरण व सामान खराब हो चुके हैं। महिला चिकित्सा अधिकारी का पद भी यहां पर खाली है, सिर्फ एक चिकित्सक तैनात है।
बेरुआरबारी निवासी अमित कुमार ने बताया कि बुखार कई दिनों से नहीं छोड़ रहा था। आयुर्वेदिक अस्पताल में गया था, लेकिन वहां दवा नहीं मिली। चिकित्सक से दिखाने के बाद अस्पताल में सिर्फ गैस की दवा मिली है।
देवरियाकला गांव निवासी रत्न मौर्या ने बताया की पत्नी को पैर में दर्द व बुखार है। आयुर्वेदिक की एमडी चिकित्सक को दिखाया तो पता चला कि अस्पताल में लंबे समय से दवाएं नहीं है। जिससे परेशान हुआ।
अगस्त में 17 लाख रुपये में दवा का टेंडर हुआ था। सभी अस्पतालों में दवाएं भेजी गई थी। कुछ अस्पतालों में दवाओं की कमी है। दवा खरीद का प्रस्ताव उच्चाधिकारी को भेज दिया गया है। आॅर्डर मिलते ही टेंडर किया जाएगा। - डॉक्टर आनंद सिंह कुशवाह, क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी।
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जिला राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में एमडी महिला चिकित्सक तैनात हैं। बैरिया, रसड़ा से लेकर बेल्थरारोड तक के मरीज इलाज के लिए आते हैं। अस्पताल की ओपीडी रोजाना सौ के करीब है। पिछले तीन माह से गैस की दवा छोड़ अधिकतर दवाएं खत्म है। वहीं, हाल ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों का है।
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दवा के अभाव में मरीजों की संख्या कम हो गई है। ठंड में सर्दी, खांस, बुखार के अलावा जोड़ों में दर्द, सांस की परेशानी व असाध्य रोगों के मरीजों की संख्या बढ़ी है। चिकित्सक इलाज के लिए आने वाले मरीजों को मजबूरन बाहर की दवाएं लिख रहे हैं। दवा के नाम पर सिर्फ अस्पताल में सिर्फ गैस की दवा मिल रही है। अगस्त माह में आईएमपीसीएल के तहत 15 लाख की आयुर्वेदिक व दो लाख रुपये की यूनानी दवा की खरीद हुई थी। जिले के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों में हर माह 3800 सौ मरीजों का ओपीडी में इलाज होता है। जिला राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में तीन हजार मरीज आते हैं।
24 फार्मासिस्ट के भरोसे 68 अस्पताल : जनपद में 68 आयुर्वेदिक अस्पताल है। इसमें चार यूनानी है। सभी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की कमी है। 68 में सिर्फ 24 फार्मासिस्ट तैनात हैं। 60 चिकित्सकों की तैनाती है। इनमें 58 आयुर्वेद और दो यूनानी विधि के चिकित्सक हैं। जबकि शहर के जिला आयुर्वेदिक अस्पताल में एक महिला चिकित्सक तैनात हैं। इनके जिम्मे प्रतिदिन 90 से 110 ओपीडी होती है।
14 साल से नहीं हुआ कोई भी प्रसव
जिला महिला अस्पताल की तर्ज पर राजकीय आयुर्वेद अस्पताल में भी महिलाओं और पुरुषों का इलाज होता है। 15 शैय्या का अस्पताल में गर्भवती का प्रसव की सुविधा मौजूद है, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में महिलाओं का प्रसव नहीं होता है। ओपीडी व प्रसव कक्ष में रखे उपकरण व सामान खराब हो चुके हैं। महिला चिकित्सा अधिकारी का पद भी यहां पर खाली है, सिर्फ एक चिकित्सक तैनात है।
बेरुआरबारी निवासी अमित कुमार ने बताया कि बुखार कई दिनों से नहीं छोड़ रहा था। आयुर्वेदिक अस्पताल में गया था, लेकिन वहां दवा नहीं मिली। चिकित्सक से दिखाने के बाद अस्पताल में सिर्फ गैस की दवा मिली है।
देवरियाकला गांव निवासी रत्न मौर्या ने बताया की पत्नी को पैर में दर्द व बुखार है। आयुर्वेदिक की एमडी चिकित्सक को दिखाया तो पता चला कि अस्पताल में लंबे समय से दवाएं नहीं है। जिससे परेशान हुआ।
अगस्त में 17 लाख रुपये में दवा का टेंडर हुआ था। सभी अस्पतालों में दवाएं भेजी गई थी। कुछ अस्पतालों में दवाओं की कमी है। दवा खरीद का प्रस्ताव उच्चाधिकारी को भेज दिया गया है। आॅर्डर मिलते ही टेंडर किया जाएगा। - डॉक्टर आनंद सिंह कुशवाह, क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी।
