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Ballia News: दिल की बीमारी ठीक करने के डॉक्टर ही नहीं
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बलिया। शासन ने जिला अस्पताल पर हृदयाघात के मरीजों को तत्काल राहत के लिए 45 हजार रुपये का इंजेक्शन उपलब्ध है। इमरजेंसी में तीन बेड का स्टेमी वार्ड भी बना है। लेकिन इलाज के लिए हृदय रोग विशेषज्ञ ही नहीं।
जिले के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी व इमरजेंसी में हार्ट अटैक के लक्षण वाले 30 से 40 मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। इनमें से रोज चार से ज्यादा की मौत हो जाती है। ठंड बढ़ने के साथ ही दिल के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
यहां हृदय आघात के मरीजों को चिकित्सक भर्ती कर गोल्डेन हावर में इलाज करेंगे। जरूरत होने पर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक या प्रोफेसर से सलाह ले सकते हैं। इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप बना हुआ है। जिसमें सीएचसी से लगाय, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शामिल है। स्टेमी वार्ड में पिछले एक माह से ताला बंद है। इमरजेंसी में सीना में दर्द की परेशानी लेकर आने वाले गंभीर मरीज को गैस की समस्या है या हृदय घात की ये जांच के लिए वार्ड में अब तक ईसीजी मशीन तक नहीं है। मरीज की हालत गंभीर देख चिकित्सक संसाधन की कमी को देखते हुए प्राथमिक इलाज के बाद हायर सेंटर रेफर कर देते हैं। अभी शासन की मंशा के अनुरूप हार्ट अटैक मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
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केस 01 :
शहर से सटे खोरीपाकड़ निवासी भगवान राय की पत्नी सुबह के समय अचेत होकर गिर पड़ीं। परिजनों ने इलाज को जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद हार्ट की समस्या बताते हुए चिकित्सक ने स्टेमी वार्ड की जगह इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर रेफर कर दिया। दूसरे दिन हालत गंभीर होने पर परिजन मऊ लेकर गए, जहां मौत हो गई।
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केस 02 : सुरेमनपुर निवासी पंडित अंजनी पाण्डेय (55) को मंगलवार की सुबह अचानक सीने में दर्द उठने से अचेत होकर गिर पड़े। परिजन इलाज के लिए सोनबरसा सीएचस लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सक ने हार्ट अटैक की बात कही। सीएचसी पर रोग विशेषज्ञ व संसाधन की कमी होेने के कारण समय पर इलाज न मिलने के कारण अंजनी की मौत हो गई।
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केस 03 :
सुखपुरा के आसन निवासी अनिल सिंह 50 वर्ष को शनिवार को मेला घूमकर घर वापस लौटते समय अचानक सीना में दर्द उठा। परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल के इमरजेंसी पहुंचे, जहां चिकित्सक ने नार्मल इलाज किया। थोड़ी देर में मौत हो गई।
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केस 04 :
शहर के विजयपुर निवासी अधिवक्ता परिवार के साथ मेला देखने गए थे। अचानक सीने में दर्द उठने के बाद अचेत हो कर गिर पड़े। वहां मौजूद लोगों ने सीपीआर दिया, राहत मिलने पर पुलिस ने इलाज के लिए जिला अस्पताल के इमरजेंसी में पहुंचाया। वहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।
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हृदय आघात के मरीजों को तत्काल राहत के लिए इमरजेंसी वार्ड में तीन बेड का स्टेमी वार्ड बनाया गया है। इमरजेंसी में हार्ट अटैक के गंभीर मरीज आने पर काॅल डे के चिकित्सक रिपोर्ट के अनुसार स्टेमी वार्ड में भर्ती करते हैं। राहत मिलने पर रेफर किया जाता है। जरूरत होने पर 45 हजार रुपया का इंजेक्शन चिकित्सक को लगाना है। ईसीजी मशीन है। - डॉक्टर एसके यादव, सीएमएस, जिला अस्पताल बलिया।
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जिले के सरकारी अस्पतालों के ओपीडी व इमरजेंसी में हार्ट अटैक के लक्षण वाले 30 से 40 मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं। इनमें से रोज चार से ज्यादा की मौत हो जाती है। ठंड बढ़ने के साथ ही दिल के मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
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यहां हृदय आघात के मरीजों को चिकित्सक भर्ती कर गोल्डेन हावर में इलाज करेंगे। जरूरत होने पर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक या प्रोफेसर से सलाह ले सकते हैं। इसके लिए व्हाट्सएप ग्रुप बना हुआ है। जिसमें सीएचसी से लगाय, जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक शामिल है। स्टेमी वार्ड में पिछले एक माह से ताला बंद है। इमरजेंसी में सीना में दर्द की परेशानी लेकर आने वाले गंभीर मरीज को गैस की समस्या है या हृदय घात की ये जांच के लिए वार्ड में अब तक ईसीजी मशीन तक नहीं है। मरीज की हालत गंभीर देख चिकित्सक संसाधन की कमी को देखते हुए प्राथमिक इलाज के बाद हायर सेंटर रेफर कर देते हैं। अभी शासन की मंशा के अनुरूप हार्ट अटैक मरीजों को चिकित्सकीय सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
केस 01 :
शहर से सटे खोरीपाकड़ निवासी भगवान राय की पत्नी सुबह के समय अचेत होकर गिर पड़ीं। परिजनों ने इलाज को जिला अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया, जहां प्राथमिक इलाज के बाद हार्ट की समस्या बताते हुए चिकित्सक ने स्टेमी वार्ड की जगह इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर रेफर कर दिया। दूसरे दिन हालत गंभीर होने पर परिजन मऊ लेकर गए, जहां मौत हो गई।
केस 02 : सुरेमनपुर निवासी पंडित अंजनी पाण्डेय (55) को मंगलवार की सुबह अचानक सीने में दर्द उठने से अचेत होकर गिर पड़े। परिजन इलाज के लिए सोनबरसा सीएचस लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सक ने हार्ट अटैक की बात कही। सीएचसी पर रोग विशेषज्ञ व संसाधन की कमी होेने के कारण समय पर इलाज न मिलने के कारण अंजनी की मौत हो गई।
केस 03 :
सुखपुरा के आसन निवासी अनिल सिंह 50 वर्ष को शनिवार को मेला घूमकर घर वापस लौटते समय अचानक सीना में दर्द उठा। परिजन इलाज के लिए जिला अस्पताल के इमरजेंसी पहुंचे, जहां चिकित्सक ने नार्मल इलाज किया। थोड़ी देर में मौत हो गई।
केस 04 :
शहर के विजयपुर निवासी अधिवक्ता परिवार के साथ मेला देखने गए थे। अचानक सीने में दर्द उठने के बाद अचेत हो कर गिर पड़े। वहां मौजूद लोगों ने सीपीआर दिया, राहत मिलने पर पुलिस ने इलाज के लिए जिला अस्पताल के इमरजेंसी में पहुंचाया। वहां चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया।
हृदय आघात के मरीजों को तत्काल राहत के लिए इमरजेंसी वार्ड में तीन बेड का स्टेमी वार्ड बनाया गया है। इमरजेंसी में हार्ट अटैक के गंभीर मरीज आने पर काॅल डे के चिकित्सक रिपोर्ट के अनुसार स्टेमी वार्ड में भर्ती करते हैं। राहत मिलने पर रेफर किया जाता है। जरूरत होने पर 45 हजार रुपया का इंजेक्शन चिकित्सक को लगाना है। ईसीजी मशीन है। - डॉक्टर एसके यादव, सीएमएस, जिला अस्पताल बलिया।