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Balrampur News: महिला आरक्षी से छेड़छाड़ की आईजी ने शुरू की जांच
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बलरामपुर।
मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद कोतवाली देहात में महिला आरक्षी से छेड़छाड़ मामले की ठप पड़ी जांच ने तेजी पकड़ी। बुधवार को आईजी ने अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट देखी। पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मामले के तूल पकड़ने के बाद अब कार्रवाई की तैयारी है।
छेड़खानी मामले में मुख्य आरक्षी के साथ पांच अन्य आरक्षी पर गंभीर आरोप लगे हैं। विशाखा कमेटी की जांच आठ महीने से पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने जवाब तलब किया तो जांच को आगे बढ़ाते हुए रिपोर्ट भेजने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी गई है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य आरक्षी पर गंभीर आरोप थे, लेकिन अब तक की जांच में इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। अब अधिकारी दो बिंदुओं पर मंथन करने में जुटे हैं। पहली यह कि मामले की एफआईआर दर्ज कराई जाए या फिर निलंबन की कार्रवाई हो। इसे लेकर आला अधिकारी बुधवार को मंथन में जुटे रहे। फिलहाल देर शाम तक कोई निर्णय नहीं हो सका। वहीं, आंतरिक जांच का हवाला देकर अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
लाइनहाजिर पुलिसकर्मियों को मिली है अहम जिम्मेदारी
छेड़छाड़ की शिकायत पर लाइनहाजिर किए गए पुलिसकर्मियों को अलग-अलग ड्यूटी लगाई गई है। एक पुलिसकर्मी को तो न्यायालय के एक अधिकारी की सुरक्षा में लगाया गया है। इसके साथ ही दूसरे पुलिसकर्मी को एक बड़े अधिकारी के साथ लगाया जा चुका है, वहीं एक पुलिसकर्मी जांच से जुड़े एक अधिकारी के साथ ही है। इसकी विभागीय चर्चा अब जोर पकड़ने लगी है।
तत्काल होनी चाहिए गंभीर कार्रवाई
थाने में महिलाकर्मी के साथ छेड़खानी की घटना बेहद गंभीर होती है। ऐसे मामलों में संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक को अपने स्तर से शिकायत पर तत्काल रिपोर्ट देकर गंभीर कार्रवाई करानी चाहिए थी। विशाखा कमेटी को भी माहभर में जांच रिपोर्ट दे देनी चाहिए। देरी करने का संकेत साफ है कि आरोपियों को समय दिया जा रहा है। मामले में तत्परता से कार्रवाई होनी चाहिए।
अशोक कुमार, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी (सीबीसीआईडी)
दर्ज होनी चाहिए एफआईआर
महिला आरक्षी ने छेड़छाड़ के आरोप की शिकायत की है। पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। कानून के हिसाब से आपराधिक मामलों में आरोपों की जांच एफआईआर दर्ज करके ही होनी चाहिए। कमेटी गठित कर ऐसे गंभीर मामले को लटकाना नहीं चाहिए। देरी से साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। इस मामले में अधिकारियों को गंभीरता दिखानी चाहिए।
कमलेश्वर सिंह, महामंत्री जिला बार एसोसिएशन, बलरामपुर
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मुख्यमंत्री की सख्ती के बाद कोतवाली देहात में महिला आरक्षी से छेड़छाड़ मामले की ठप पड़ी जांच ने तेजी पकड़ी। बुधवार को आईजी ने अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट देखी। पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। मामले के तूल पकड़ने के बाद अब कार्रवाई की तैयारी है।
छेड़खानी मामले में मुख्य आरक्षी के साथ पांच अन्य आरक्षी पर गंभीर आरोप लगे हैं। विशाखा कमेटी की जांच आठ महीने से पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में जब मुख्यमंत्री कार्यालय ने जवाब तलब किया तो जांच को आगे बढ़ाते हुए रिपोर्ट भेजने में सावधानी बरतनी शुरू कर दी गई है।
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विभागीय सूत्रों के अनुसार मुख्य आरक्षी पर गंभीर आरोप थे, लेकिन अब तक की जांच में इस ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। अब अधिकारी दो बिंदुओं पर मंथन करने में जुटे हैं। पहली यह कि मामले की एफआईआर दर्ज कराई जाए या फिर निलंबन की कार्रवाई हो। इसे लेकर आला अधिकारी बुधवार को मंथन में जुटे रहे। फिलहाल देर शाम तक कोई निर्णय नहीं हो सका। वहीं, आंतरिक जांच का हवाला देकर अधिकारी अभी कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं।
लाइनहाजिर पुलिसकर्मियों को मिली है अहम जिम्मेदारी
छेड़छाड़ की शिकायत पर लाइनहाजिर किए गए पुलिसकर्मियों को अलग-अलग ड्यूटी लगाई गई है। एक पुलिसकर्मी को तो न्यायालय के एक अधिकारी की सुरक्षा में लगाया गया है। इसके साथ ही दूसरे पुलिसकर्मी को एक बड़े अधिकारी के साथ लगाया जा चुका है, वहीं एक पुलिसकर्मी जांच से जुड़े एक अधिकारी के साथ ही है। इसकी विभागीय चर्चा अब जोर पकड़ने लगी है।
तत्काल होनी चाहिए गंभीर कार्रवाई
थाने में महिलाकर्मी के साथ छेड़खानी की घटना बेहद गंभीर होती है। ऐसे मामलों में संबंधित क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक को अपने स्तर से शिकायत पर तत्काल रिपोर्ट देकर गंभीर कार्रवाई करानी चाहिए थी। विशाखा कमेटी को भी माहभर में जांच रिपोर्ट दे देनी चाहिए। देरी करने का संकेत साफ है कि आरोपियों को समय दिया जा रहा है। मामले में तत्परता से कार्रवाई होनी चाहिए।
अशोक कुमार, सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी (सीबीसीआईडी)
दर्ज होनी चाहिए एफआईआर
महिला आरक्षी ने छेड़छाड़ के आरोप की शिकायत की है। पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए। कानून के हिसाब से आपराधिक मामलों में आरोपों की जांच एफआईआर दर्ज करके ही होनी चाहिए। कमेटी गठित कर ऐसे गंभीर मामले को लटकाना नहीं चाहिए। देरी से साक्ष्य प्रभावित हो सकते हैं। इस मामले में अधिकारियों को गंभीरता दिखानी चाहिए।
कमलेश्वर सिंह, महामंत्री जिला बार एसोसिएशन, बलरामपुर