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एंटीबायोटिक और पेट में जलन की भी दवा नहीं, जिला अस्पताल में 50 फीसदी दवाएं नहीं, मरीज बाहर से खरीद रहे
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Banda: There is no medicine for antibiotic and stomach irritation, 50 percent medicines are not available in the district hospital, patients are buying from outside
- फोटो : BANDA
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बांदा। बेहतर और मुफ्त इलाज के लंबे-चौड़े दावों के बावजूद जिला अस्पताल की बदहाली दूर होने का नाम नहीं ले रही। एंटीबायोटिक व पेट में जलन समेत कई जरूरी दवाओं की कमी है। मरीजों को करीब 50 फीसदी दवाएं बाहर से खरीदने के लिए कहा जा रहा है।
इन दिनों जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 1200 से 1400 मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। अस्पताल में दवाएं न होने से मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ रहा है।
ये दवाएं हुईं खत्म
यहां सिफाक्सिम-200 एमजी, सिपरो, सेफिकजिम आदि दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसके साथ ही पेट में जलन व गैस के लिए दी जाने वाली टेबलेट रेनीटिडीन भी खत्म हो गई।
10 दिन में केवल पांच दिन की दी जा रही दवा
दवाओं में भी कटौती की जा रही है। उदाहरण के तौर पर डॉक्टर मरीज को 10 दिन की दवाएं लिख रहे हैं तो काउंटर से मात्र 5 दिन की ही दवा दी जा रही है। इससे भी मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
केस-1
कमासिन निवासी विनय ने बताया कि काफी दिनों से बुखार आ रहा है। फिजीशियन ने उसे पैरासिटामाल सहित रेनीटिडीन और सिफाक्सिन-200 दवा लिख दी। औषधि काउंटर से उसे पैरासिटामाल ही मिली। बाकी दवा बाहर से खरीदने की सलाह दी गई।
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केस-2
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बंगालीपुरा के राजू ने बताया कि आंख में दिक्कत है। नेत्र विभाग के डॉक्टर ने उन्हें दो आई ड्राप लिखे। इनमें एंटी एलर्जी आई ड्राप नहीं मिला। मात्र एक ड्राप देकर चलता कर दिया गया। एंटीबायोटिक दवा भी नहीं मिली।
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केस-3
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चित्रकूट जनपद के रसिन गांव निवासी अच्छेलाल ने बताया कि डाक्टर ने 10 दिन की दवा लिखी थी। औषधि काउंटर से पांच दिन की दवा दी गई। विरोध करने पर भी सुनवाई नहीं हुई। आने-जाने में लगभग 300 रुपये खर्च हो जाते हैं।
दवाओं की मांग की गई
कुछ एंटीबायोटिक दवाएं नहीं हैं। उनके स्थान पर दूसरी एंटीबायोटिक जैसे एजीथ्रोमाइसिन आदि दी जा रही हैं। रेनीटिडीन की जगह पर ओम्प्राजॉल टेबलेट मरीजों को दी जा है, लेकिन मरीज डॉक्टर की लिखी दवा ही मांगते हैं। इस वजह से दवाएं नहीं मिल पा रहीं हैं। शासन को पत्र भेजकर दवाओं की मांग की गई है।
- डॉ. एसएन मिश्र
सीएमएस, जिला अस्पताल, बांदा।
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इन दिनों जिला अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 1200 से 1400 मरीज इलाज कराने आ रहे हैं। अस्पताल में दवाएं न होने से मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ रहा है।
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ये दवाएं हुईं खत्म
यहां सिफाक्सिम-200 एमजी, सिपरो, सेफिकजिम आदि दवाएं नहीं मिल रही हैं। इसके साथ ही पेट में जलन व गैस के लिए दी जाने वाली टेबलेट रेनीटिडीन भी खत्म हो गई।
10 दिन में केवल पांच दिन की दी जा रही दवा
दवाओं में भी कटौती की जा रही है। उदाहरण के तौर पर डॉक्टर मरीज को 10 दिन की दवाएं लिख रहे हैं तो काउंटर से मात्र 5 दिन की ही दवा दी जा रही है। इससे भी मरीजों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
केस-1
कमासिन निवासी विनय ने बताया कि काफी दिनों से बुखार आ रहा है। फिजीशियन ने उसे पैरासिटामाल सहित रेनीटिडीन और सिफाक्सिन-200 दवा लिख दी। औषधि काउंटर से उसे पैरासिटामाल ही मिली। बाकी दवा बाहर से खरीदने की सलाह दी गई।
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केस-2
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बंगालीपुरा के राजू ने बताया कि आंख में दिक्कत है। नेत्र विभाग के डॉक्टर ने उन्हें दो आई ड्राप लिखे। इनमें एंटी एलर्जी आई ड्राप नहीं मिला। मात्र एक ड्राप देकर चलता कर दिया गया। एंटीबायोटिक दवा भी नहीं मिली।
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केस-3
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चित्रकूट जनपद के रसिन गांव निवासी अच्छेलाल ने बताया कि डाक्टर ने 10 दिन की दवा लिखी थी। औषधि काउंटर से पांच दिन की दवा दी गई। विरोध करने पर भी सुनवाई नहीं हुई। आने-जाने में लगभग 300 रुपये खर्च हो जाते हैं।
दवाओं की मांग की गई
कुछ एंटीबायोटिक दवाएं नहीं हैं। उनके स्थान पर दूसरी एंटीबायोटिक जैसे एजीथ्रोमाइसिन आदि दी जा रही हैं। रेनीटिडीन की जगह पर ओम्प्राजॉल टेबलेट मरीजों को दी जा है, लेकिन मरीज डॉक्टर की लिखी दवा ही मांगते हैं। इस वजह से दवाएं नहीं मिल पा रहीं हैं। शासन को पत्र भेजकर दवाओं की मांग की गई है।
- डॉ. एसएन मिश्र
सीएमएस, जिला अस्पताल, बांदा।