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स्मार्ट कार्ड का खेल खत्म, पैसा हजम
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Smart card game over, money digested
- फोटो : BANDA
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बांदा। परिवहन निगम की बसों में यात्रा करने के लिए शुरू की गई स्मार्ट कार्ड योजना बंद हो गई है। स्मार्ट कार्ड में रिचार्ज कराई गई रकम हजम कर ली गई है। परिवहन निगम के अधिकारियों का कहना है कि योजना बंद करते समय सूचना दी गई थी। लोग पैसा लेने नहीं आए तो क्या करें? जबकि हकीकत ये है कि लाभार्थी दो साल से पैसों के लिए परिवहन निगम के कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं। करीब 2000 लाभार्थियों के 10 लाख रुपये फंसे हैं।
परिवहन निगम ने वर्ष 2016 में प्राइवेट कंपनी की मदद से स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की थी। प्रत्येक डिपो में काउंटर खोलकर 550 रुपये का कैशलेश स्मार्ट कार्ड बनाया गया था। इस कार्ड के इस्तेमाल पर लाभार्थी को किराये में 20 फीसदी की छूट देने की बात कही गई थी। चित्रकूटधाम मंडल की बसों में नियमित यात्रा करने वाले दो हजार से अधिक यात्रियों ने स्मार्ट कार्ड बनवाए थे। इनमें शिक्षक, छात्र, अधिवक्ता आदि शामिल थे। कार्ड बनवाने के बाद किसी ने एक हजार तो किसी ने दो हजार रुपये का रिचार्ज कराया। कार्ड में डलवाए गए रुपये छह माह तक खर्च किए जा सकते थे। कोरोना काल में योजना बंद होने के बाद शुरू नहीं हुई।
ऐसे होता था स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल
यात्री टिकट कटाने के लिए कंडक्टर को स्मार्ट कार्ड देता था। कंडक्टर उसे ईटीएस में लगाकर निर्धारित दूरी की यात्रा का पैसा ले लेता था और टिकट देता था। पैसा कटने के बाद यात्री के मोबाइल पर मैसेज आ जाता था।
वर्जन
जब स्मार्ट कार्ड योजना बंद की गई थी तब लाभार्थियों को सूचना दी गई थी। कुछेक लोग पैसा लेने आए भी। जो लोग नहीं आए उनका पैसा फंस गया है। अब वापस होगा या नहीं कुछ कह नहीं सकते। शासन की योजना थी। वहीं से पता चलेगा। अशोक कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम
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परिवहन निगम ने वर्ष 2016 में प्राइवेट कंपनी की मदद से स्मार्ट कार्ड योजना शुरू की थी। प्रत्येक डिपो में काउंटर खोलकर 550 रुपये का कैशलेश स्मार्ट कार्ड बनाया गया था। इस कार्ड के इस्तेमाल पर लाभार्थी को किराये में 20 फीसदी की छूट देने की बात कही गई थी। चित्रकूटधाम मंडल की बसों में नियमित यात्रा करने वाले दो हजार से अधिक यात्रियों ने स्मार्ट कार्ड बनवाए थे। इनमें शिक्षक, छात्र, अधिवक्ता आदि शामिल थे। कार्ड बनवाने के बाद किसी ने एक हजार तो किसी ने दो हजार रुपये का रिचार्ज कराया। कार्ड में डलवाए गए रुपये छह माह तक खर्च किए जा सकते थे। कोरोना काल में योजना बंद होने के बाद शुरू नहीं हुई।
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ऐसे होता था स्मार्ट कार्ड का इस्तेमाल
यात्री टिकट कटाने के लिए कंडक्टर को स्मार्ट कार्ड देता था। कंडक्टर उसे ईटीएस में लगाकर निर्धारित दूरी की यात्रा का पैसा ले लेता था और टिकट देता था। पैसा कटने के बाद यात्री के मोबाइल पर मैसेज आ जाता था।
वर्जन
जब स्मार्ट कार्ड योजना बंद की गई थी तब लाभार्थियों को सूचना दी गई थी। कुछेक लोग पैसा लेने आए भी। जो लोग नहीं आए उनका पैसा फंस गया है। अब वापस होगा या नहीं कुछ कह नहीं सकते। शासन की योजना थी। वहीं से पता चलेगा। अशोक कुमार, क्षेत्रीय प्रबंधक परिवहन निगम