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Barabanki News: पहली बार सेना से बम निष्क्रिय करना सीख रहे रंगरूट और
संवाद न्यूज एजेंसी, बाराबंकी
Updated Thu, 11 Sep 2025 01:12 AM IST
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बाराबंकी। पुलिस लाइन के परेड ग्राउंड का नजारा बुधवार को कुछ अलग ही दिख रहा था। मैदान में यूपी पुलिस मेंं भर्ती होने वाले 300 रंगरूटों के साथ भारतीय सेना के बम डिस्पोजल यूनिट के जवान मौजूद थे। सेना के जवान हाथों में लिए हाईटेक उपकरणों की मदद से बम को निष्क्रिय करने के गुर सिपाहियों को सिखा रहे थे। यूपी पुलिस में भर्ती हुए इन रंगरूटों को पहली बार सेना के जवानों द्वारा यह पाठ पढ़ाया जा रहा था। इसमें बताया गया कि किसी भी संदिग्ध बम या विस्फोटक से कैसे निपटा जाए। सेना के अफसरों के साथ ही एसपी अर्पित विजयवर्गीय सहित अन्य आला पुलिस अधिकारी भी इस मौके पर मौजूद थे।
इससे रंगरूटों को शुरुआती स्तर पर ही सेना के जवानों जैसे प्रशिक्षण की ट्रेनिंग मिल रही है। इससे न केवल उनमें अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ेगा वरन ड्यूटी के दौरान काम करने में भी मदद मिलेगी। भारतीय सेना की बम डिस्पोजल कंपनी के विशेषज्ञों ने शुरुआत में रंगरूटों को आधुनिक उपकरणों से परिचित कराया। किसी ने पहली बार बम सूट देखा तो किसी की नजरें डिफ्यूज किट पर टिकी दिखी।
प्रशिक्षकों ने समझाया कि बम होने की सूचना पर हालात से घबराने के बजाय सबसे पहले इलाके को खाली कराया जाना चाहिए। इसके बाद सुरक्षित दूरी बनाते हुए बम को निष्क्रिय करने की कार्रवाई की जाना चाहिए। सेना के जवानों ने व्यवहारिक तौर पर दिखाया कि किस तरह रोबोटिक डिवाइस और रिमोट तकनीक का इस्तेमाल कर बम को निष्क्रिय किया जाता है। इस मौके पर बहुउद्देशीय हाल में हुई कार्यशाना में रंगरूटों ने सेना के विशेषज्ञों से सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। किसी ने पूछा कि अगर टाइम डिवाइस लगा हो तो क्या करें तो किसी ने आईईडी मिलने पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जाना। पुलिस लाइन में तीन सौ रंगरूटों का नौ माह का आधारभूत प्रशिक्षण चल रहा है।
हाईटेक प्रशिक्षण से लैस होना जरूरी
अपराधियों के तौर-तरीके बदल चुके हैं। बम और विस्फोटक का खतरा अब सिर्फ सीमावर्ती इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम शहरों और कस्बों तक फैल चुका है। ऐसे में पुलिस को सिर्फ लाठी और राइफल से नहीं, बल्कि हाईटेक प्रशिक्षण से भी लैस होना जरूरी है।
- अर्पित विजयवर्गीय, एसपी

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इससे रंगरूटों को शुरुआती स्तर पर ही सेना के जवानों जैसे प्रशिक्षण की ट्रेनिंग मिल रही है। इससे न केवल उनमें अनुशासन और आत्मविश्वास बढ़ेगा वरन ड्यूटी के दौरान काम करने में भी मदद मिलेगी। भारतीय सेना की बम डिस्पोजल कंपनी के विशेषज्ञों ने शुरुआत में रंगरूटों को आधुनिक उपकरणों से परिचित कराया। किसी ने पहली बार बम सूट देखा तो किसी की नजरें डिफ्यूज किट पर टिकी दिखी।
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प्रशिक्षकों ने समझाया कि बम होने की सूचना पर हालात से घबराने के बजाय सबसे पहले इलाके को खाली कराया जाना चाहिए। इसके बाद सुरक्षित दूरी बनाते हुए बम को निष्क्रिय करने की कार्रवाई की जाना चाहिए। सेना के जवानों ने व्यवहारिक तौर पर दिखाया कि किस तरह रोबोटिक डिवाइस और रिमोट तकनीक का इस्तेमाल कर बम को निष्क्रिय किया जाता है। इस मौके पर बहुउद्देशीय हाल में हुई कार्यशाना में रंगरूटों ने सेना के विशेषज्ञों से सवाल पूछ कर अपनी जिज्ञासाओं का भी समाधान किया। किसी ने पूछा कि अगर टाइम डिवाइस लगा हो तो क्या करें तो किसी ने आईईडी मिलने पर की जाने वाली कार्रवाई के बारे में जाना। पुलिस लाइन में तीन सौ रंगरूटों का नौ माह का आधारभूत प्रशिक्षण चल रहा है।
हाईटेक प्रशिक्षण से लैस होना जरूरी
अपराधियों के तौर-तरीके बदल चुके हैं। बम और विस्फोटक का खतरा अब सिर्फ सीमावर्ती इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि आम शहरों और कस्बों तक फैल चुका है। ऐसे में पुलिस को सिर्फ लाठी और राइफल से नहीं, बल्कि हाईटेक प्रशिक्षण से भी लैस होना जरूरी है।
- अर्पित विजयवर्गीय, एसपी