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जमानत राशि वापसी पर पेंच फंसा
Bareilly
Updated Sat, 10 Nov 2012 12:00 PM IST
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बरेली। नगर निकाय चुनाव में किस्मत अजमाने वाले लोगों की जमानत राशि भी दांव पर लग गई है। दिक्कत तो यह आई है कि ब्यौरा जमा करने का समय घटाकर तीन से एक महीना कर दिया गया है। ऐसे में राशि वापसी के आवेदन के लिए कितना समय है, यह तय नहीं हो पा रहा है। आयोग से जवाब मिलने के बाद ही अब राशि की वापसी होगी।
जमानत राशि उन्हें वापस मिलेगी, जिन्होंने कुल मतदान का पांच हिस्सा वोट मिले हों। मेयर के कुल 19 प्रत्याशियों में से सिर्फ तीन ही यह निर्धारित कोटा पा सके। इनमें विजयी हुए डॉ. आईएस तोमर तो शामिल हैं ही, उनके अलावा गुलशन आनंद और शालिनी अग्रवाल शामिल हैं। इन तीनों ने एक महीने में ही जमानत वापसी के लिए आवेदन कर दिया था और व्यय ब्यौरा भी दे दिया था। दिक्कत तो आई पार्षद प्रत्याशियों के मामले में। जमानत राशि पाने के हकदार तमाम प्रत्याशियों ने व्यय ब्यौरा तो एक महीने में दे दिया, मगर वापसी के लिए आवेदन एक महीने के बाद भी किया। दरअसल पहले नियम यही था कि आवेदन और व्यय ब्यौरा तीन महीने में आ जाना चाहिए। अबकी चुनाव के वक्त व्यय ब्यौरे के बारे में ही आयोग के निर्देश आए कि यह एक महीने में जमा हो जाए। आवेदन के बारे में कोई नया निर्देश नहीं आया।
अब पेंच यही है कि एक महीने के बाद आवेदन करने वालों के लिए जमानत राशि दी जाए या नहीं। अफसर इस संकट में हैं कि कहीं व्यय ब्यौरे की तरह आवेदन का समय भी तो तीन से एक महीना नहीं कर दिया गया। यह जानने के लिए उप जिला निर्वाचन अधिकारी एके उपाध्यायन ने आयोग को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। तब तक हकदार तीनों मेयर प्रत्याशियों की राशि भी रोक ली गई है।
जमानत राशि उन्हें वापस मिलेगी, जिन्होंने कुल मतदान का पांच हिस्सा वोट मिले हों। मेयर के कुल 19 प्रत्याशियों में से सिर्फ तीन ही यह निर्धारित कोटा पा सके। इनमें विजयी हुए डॉ. आईएस तोमर तो शामिल हैं ही, उनके अलावा गुलशन आनंद और शालिनी अग्रवाल शामिल हैं। इन तीनों ने एक महीने में ही जमानत वापसी के लिए आवेदन कर दिया था और व्यय ब्यौरा भी दे दिया था। दिक्कत तो आई पार्षद प्रत्याशियों के मामले में। जमानत राशि पाने के हकदार तमाम प्रत्याशियों ने व्यय ब्यौरा तो एक महीने में दे दिया, मगर वापसी के लिए आवेदन एक महीने के बाद भी किया। दरअसल पहले नियम यही था कि आवेदन और व्यय ब्यौरा तीन महीने में आ जाना चाहिए। अबकी चुनाव के वक्त व्यय ब्यौरे के बारे में ही आयोग के निर्देश आए कि यह एक महीने में जमा हो जाए। आवेदन के बारे में कोई नया निर्देश नहीं आया।
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अब पेंच यही है कि एक महीने के बाद आवेदन करने वालों के लिए जमानत राशि दी जाए या नहीं। अफसर इस संकट में हैं कि कहीं व्यय ब्यौरे की तरह आवेदन का समय भी तो तीन से एक महीना नहीं कर दिया गया। यह जानने के लिए उप जिला निर्वाचन अधिकारी एके उपाध्यायन ने आयोग को पत्र लिखकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। तब तक हकदार तीनों मेयर प्रत्याशियों की राशि भी रोक ली गई है।