चौतरफा बाढ़ का पानी भरने से शीशम के पेड़ पर शरण लिए छह लोग 74 घंटे बाद सुरक्षित निकाल लिए गए। जबकि छप्पर पर शरण लिए 12 लोग चौथे दिन पानी कम होने पर नीचे उतरे और परिवार को सुरक्षित होने की जानकारी दी। सोमवार शारदापार हरीपुर जंगल किनारे गौढ़ी बनाकर रह रहे गांव नहरोसा के 18 लोग अलग-अलग जगहों पर बाढ़ में फंस गए थे । इसमें गांव बमनपुर भागीरथ के समीप छह लोग चार दिन से शीशम के पेड़ पर चढ़कर सहायता का इंतजार कर रहे थे। बाढ़ में छप्पर बहने पर गौढ़ी संचालकों ने शीशम के पेड़ पर शरण ले रखी थी। गौढ़ी के करीब पांच सौ पशु बहकर कहां चले गए। इसकी जानकारी नहीं हो रही है। पेड़ पर फंसे इन लोगों ने घटना की जानकारी मोबाइल पर परिवार और गांव के लोगों को दी। वीडियो क्लिप बनाकर भी भेजी। प्रधान से बाहर निकलवाने की गुहार लगाई।
इसके अलावा अफसरों से भी फोन पर बात कर बाहर निकलवाने की गुहार लगाई। मगर उनको बृहस्पतिवार अपरान्ह तक नहीं निकाला जा सका था। फंसे लोगों के मोबाइल बुधवार अपरान्ह को स्विच ऑफ होने पर उनका संपर्क परिवार और अन्य लोगों से कट गया। इसके अलावा इसी गांव के बमनपुर भागीरथ में गौढ़ी पर रह रहे 12 लोग भी चार दिन से फंसे हुए थे।
ये लोग छप्परों पर शरण लिए हुए थे । इन लोगों ने भी मोबाइल पर अपने फंसे होने की जानकारी परिवार के लोगों के अलावा करीबियों, प्रधान को दी थी। इन लोगों की गौढ़ी के पशु भी लापता हो गए थे। बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए अफसरों ने उच्च अफसरों से संपर्क किया। बृहस्पतिवार को हेलिकॉप्टर को मौके पर फंसे लोगों को निकालने को भेजा गया। मगर फंसे लोग नहीं मिल सके। इसकी जानकारी पर फंसे लोगों के परिवार के लोग चिंतित है। अफसर असमंजस में पड़ गए थे।
पीलीभीत के पूरनपुर में जान बचाने के लिए शीशम के पेड़ पर 74 घंटे तक रहे छह लोगों का कहना है कि जब वो मंजर याद आता है तो अब भी रूह कांप जाती है। पेड़ से नीचे से पानी की तेज धार बह रही थी और ऊपर बरसात हो रही थी। पल-पल यही लग रहा था कि अब जान नहीं बच पाएगी। सभी लोग ऊपर वाले का नाम लेकर दुआ मांग रहे थे।
इन लोगों ने बताया कि सोमवार को रात दो बजे वह लोग पानी से घिरे थे और जान बचाने के लिए पेड़ पर चढ़े थे। जब पानी कम हुआ तो बृहस्पतिवार दोपहर बाद तीन बजे उतर सके। इस तरह से 74 घंटे भूखे प्यासे ऐसे ही बीते।