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‘आतंक के दौर में समाधान का मार्ग है पंडित जी का चिंतन’

Bareily Bureau बरेली ब्यूरो
Updated Tue, 21 Sep 2021 01:17 AM IST
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'The path of solution in the era of terror is the contemplation of Panditji'
परिसंवाद को संबोधित करते डॉ. प्रवीण तिवारी। - फोटो : अमर उजाला ब्यूरो, बरेली

पं. दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन के विषयों पर शोधार्थियों को शोध करने का दिया सुझाव

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बरेली। रुहेलखंड विश्वविद्यालय के पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ और शोध निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को ऑनलाइन परिसंवाद आयोजित हुआ। इसमें विश्वविद्यालय के शोधार्थियों, शोध पर्यवेक्षकों के लिए ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के चिंतन पर आधारित शोध के प्रमुख आयाम’ विषय पर परिचर्चा की गई। शोधार्थियों को पंडित जी के चिंतन के विषयों पर शोध करने का सुझाव दिया गया।
परिसंवाद के आयोजक और पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के समन्वयक डॉ. प्रवीण तिवारी ने कहा कि आज विश्व हिंसा व आतंक के दौर से गुजर रहा है। ऐसी स्थिति में पं. दीनदयाल उपाध्याय का चिंतन ही समाधान का मार्ग बताता है। उन्होने कहा कि पंडित जी के एकात्म मानव दर्शन, अंत्योदय, ग्राम स्वराज, परस्पर निर्भर अर्थ संतुलन का दर्शन, आर्थिक विकेंद्रीकरण, पुरुषार्थ चतुष्टय आधारित जीवन पद्धति, सामाजिक समरसता जैसे चिंतन के विषयों पर शोध कार्य की जरूरत है।
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मुख्य वक्ता प्रख्यात विचारक प्रफुल्ल केतकर ने पं. दीनदयाल के स्वदेशी का युगानुकूल और विदेशी का देशानुकूल चिंतन की जानकारी दी। हिन्द स्वराज व ग्राम स्वराज की तुलना, विकेंद्रित विकास की अवधारणा, चुनावी प्रक्रिया में सुधार, नीति अध्ययन, पर्यावरण व विकास के मध्य समन्वय, लोकतंत्र व शांति प्रक्रिया, पार्टीगत राजनीति, भाषा व शिक्षा आदि विषयों पर शोध का सुझाव दिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. केपी सिंह कार्यक्रम के अध्यक्ष रहे। शोध निदेशालय के निदेशक प्रो. सुधीर कुमार ने शोध के क्षेत्र में पं. दीनदयाल के विचारों को प्रोत्साहित करने के आयाम सुझाए। पं. दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के सहायक समन्वयक विमल कुमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

सहकारी खेती, राष्ट्र का भेद आदि विषय सुझाए

मुख्य अतिथि प्रख्यात चिंतक व शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल भाई कोठारी ने शोध के कई विषय सुझाए। इसमें राजनीति आधारित जीवन पद्धत्ति का विकल्प, सहकारी खेती, धर्म का स्वरूप, देश, राज्य व राष्ट्र का भेद, राष्ट्र की अवधारणा, स्वतंत्रता व सामाजिक अनुशासन, भारतीय भाषा व शिक्षा का संबंध आदि विषय शामिल रहे। शोधार्थियों व शिक्षकों के प्रश्नों का उन्होंने जवाब भी दिया। कार्यक्रम में सह-संयोजक विमल कुमार, शोधपीठ के सह-समन्वयक डॉ. रामबाबू सिंह, आयोजन सचिव रश्मि रंजन, सह-सचिव डॉ. मीनाक्षी द्विवेदी, डॉ. कीर्ति प्रजापति समेत विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधार्थी मौजूद रहे।
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