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Bijnor News: चकबंदी के चक्रव्यूह में फंसे हैं किसान

संवाद न्यूज एजेंसी, बिजनौर Updated Sat, 13 Sep 2025 11:40 PM IST
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Farmers are trapped in the labyrinth of consolidation
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बिजनौर। जिले में 21 गांव ऐसे हैं, जहां चकबंदी शुरू तो हुई, लेकिन पूरा होने का नाम नहीं ले रही है। झालू में 1989 से शुरू हुई चकबंदीआज तक पूरी ही नहीं हो पाई। वहीं दूसरी ओर अपने खेत पाने के लिए चकबंदी विभाग में 813 मुकदमे लंबित हैं।
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चकबंदी विभाग की जटिल प्रक्रिया ने किसानों को फायदा पहुंचाने की बजाय उन्हें उलझा दिया। कस्बा झालू में दर्जनों किसान ऐसे हैं, जो अपने खेत पाने के लिए मुकदमे तक लड़ रहे हैं। झालू के जयपाल सिंह कहते हैं कि 20 साल मुकदमा लड़ते हुए हो उम्र 83 वर्ष की हो चुकी है। अपना हक आज तक नहीं मिल पाया। ऐसा ही हाल दूसरे गांवों का भी है।
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n कभी हड़ताल तो कभी मिलती है तारीख : चकबंदी विभाग के डीडीसी विभाग में 183, एसओसी विभाग में 370, सीओ बिजनौर चकबंदी में 191, सीओ नगीना चकबंदी कोर्ट में 69 मुकदमे चल रहे हैं। किसानों का कहना है कि हर तारीख पर 500 रुपये से एक हजार रुपये तक खर्च हो जाते हैं। यहां आकर देखते हैं तो कभी वकीलों की हड़ताल मिलती है तो कभी कोर्ट से तारीख मिल जाती है।
n इन गांवों में चल रही चकबंदी : झालू में वर्ष 1989 से, हल्दौर में वर्ष 1993 से, नगीना के नूरमोहम्मदपुर में 2016 से, कमालपुर पुरैनी में वर्ष 2018 से, कस्बा बिजनौर में 1993 से, भागूवाला में 2007 से, शाहअलीपुर कोटरा में 2006 से, आदमपुर तखावली में 2017 से, कमालद्दीन हुसैनपुर में 2006 से ताजगंज में 2023 से, सादताबाद में 2009 से, औरंगशाहपुरनरायण में 2009 से, आजमपुर में 2009 से चकबंदी चल रही है। इन गांव सहित कुल 21 जगहों पर चकबंदी प्रक्रिया में है।
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