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कार एजेंसी मालिक सहित पांच दर्ज होगी रिपोर्ट
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कार एजेंसी मालिक सहित पांच दर्ज होगी रिपोर्ट
बिजनौर। सीजेएम विमल त्रिपाठी ने मानकों को पूरा न करने वाली सेंट्रो गाड़ी को गलत तौर से बेच देने के मामले में चौधरी हुंडई के मैनेजर, दो असिस्टेंट मैनेजर नासिर व निशा व प्रोपराइटर विवेक चौधरी तथा चोला मंडल फाइनेंस कंपनी के मैनेजर के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर विवेचना करने का आदेश कोतवाली शहर पुलिस को दिए हैं।
चांदपुर के गांव खेड़की निवासी मोहम्मद आरिफ द्वारा न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि उसने अपनी भांजी नगमा की शादी में उपहार स्वरूप एक सेंट्रो एरा गाड़ी, जिसकी शोरूम में कीमत रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस व फाइनेंस की फाइल समेत चार लाख 48 हजार रुपये में खरीदी थी। उसने अपने भाई कासिम के नाम से ये गाड़ी खरीदी थी। एक लाख 89 हजार रुपये कैश दिए गए थे और दो लाख 59 हजार रुपये चोला मंडल फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस कराए गए थे। मासिक किस्त सात हजार 475 रुपये जमा होना तय हुई थी। 31 अक्तूबर 2019 को उसके भाई कासिम को गाड़ी का मालिक बताकर गाड़ी दे दी गई। उस समय उसके भाई कासिम से कुछ कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए थे और कहा गया था कि 15 दिन के अंदर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाएगा और साथ में सारे कागज ले जाना। जब इंश्योरेंस के बारे में कहा गया तो उन लोगों ने एक ऑनलाइन कागज दिखाकर कहा कि उनका इंश्योरेंस हो गया है।
इस गाड़ी की किस्त बराबर जमा होती रही, लेकिन गाड़ी का इंश्योरेंस व रजिस्ट्रेशन के कागजात उन्हें नहीं दिए गए। लॉक डाउन का बहाना करके उन्हें टालते रहे। जब वह एआरटीओ ऑफिस गया और संपर्क किया तो बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा था कि जो भी बीएस 4 के दोपहिया व चौपहिया वाहन हैं, उन्हें मार्च 2018 तक बेच दिया जाए। एक अप्रैल के बाद बीएस 4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। आरोप लगाया गया कि चौधरी हुंडई ने उसे वो वाहन बेचा जिसका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा और बीमा व रजिस्ट्रेशन के पैैसे भी हड़प लिए। इस कारण उसकी भांजी का रिश्ता भी टूटने की कगार पर है, तथा उसकी ससुराल वाले दूसरी गाड़ी मांग रहे हैं।
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चांदपुर के गांव खेड़की निवासी मोहम्मद आरिफ द्वारा न्यायालय में दिए प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि उसने अपनी भांजी नगमा की शादी में उपहार स्वरूप एक सेंट्रो एरा गाड़ी, जिसकी शोरूम में कीमत रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस व फाइनेंस की फाइल समेत चार लाख 48 हजार रुपये में खरीदी थी। उसने अपने भाई कासिम के नाम से ये गाड़ी खरीदी थी। एक लाख 89 हजार रुपये कैश दिए गए थे और दो लाख 59 हजार रुपये चोला मंडल फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस कराए गए थे। मासिक किस्त सात हजार 475 रुपये जमा होना तय हुई थी। 31 अक्तूबर 2019 को उसके भाई कासिम को गाड़ी का मालिक बताकर गाड़ी दे दी गई। उस समय उसके भाई कासिम से कुछ कोरे कागजों पर हस्ताक्षर कराए गए थे और कहा गया था कि 15 दिन के अंदर वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाएगा और साथ में सारे कागज ले जाना। जब इंश्योरेंस के बारे में कहा गया तो उन लोगों ने एक ऑनलाइन कागज दिखाकर कहा कि उनका इंश्योरेंस हो गया है।
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इस गाड़ी की किस्त बराबर जमा होती रही, लेकिन गाड़ी का इंश्योरेंस व रजिस्ट्रेशन के कागजात उन्हें नहीं दिए गए। लॉक डाउन का बहाना करके उन्हें टालते रहे। जब वह एआरटीओ ऑफिस गया और संपर्क किया तो बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में कहा था कि जो भी बीएस 4 के दोपहिया व चौपहिया वाहन हैं, उन्हें मार्च 2018 तक बेच दिया जाए। एक अप्रैल के बाद बीएस 4 वाहनों का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। आरोप लगाया गया कि चौधरी हुंडई ने उसे वो वाहन बेचा जिसका रजिस्ट्रेशन नहीं होगा और बीमा व रजिस्ट्रेशन के पैैसे भी हड़प लिए। इस कारण उसकी भांजी का रिश्ता भी टूटने की कगार पर है, तथा उसकी ससुराल वाले दूसरी गाड़ी मांग रहे हैं।