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Bijnor News: जंगल में कैसे लगे उद्योग, घोषित नहीं इको सेंसेटिव जोन
संवाद न्यूज एजेंसी, बिजनौर
Updated Mon, 15 Dec 2025 11:54 PM IST
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बिजनौर। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए जोर दिया जा रहा है। लेकिन इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से उद्योग स्थापित नहीं हो पा रहे हैं। अमानगढ़ के पास रिजॉर्ट, कैफेटेरिया, होटल बनाने के लिए उद्यमियों ने एमओयू साइन किए थे। मगर, इको सेंसेटिव जोन की स्थिति साफ नहीं होने से प्राेजेक्ट धरातल पर नहीं उतर सके।
जिले में आयोजित हुई इन्वेस्टर्स समिट में सभी क्षेत्रों में उद्यमियों ने एमओयू साइन किए थे। पर्यटन क्षेत्र में 43 एमओयू साइन हुए। इनमें करीब 1200 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन वन विभाग के नियमों के फेर में निवेशक अपना प्राेजेक्ट शुरू नहीं कर पा रहे हैं। दो साल बाद भी इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं हुआ। इसके बाहर ही स्थायी निर्माण किया जा सकता है।
इसी वजह से अभी उद्यमियों में प्रोजेक्ट शुरू करने को लेकर असमंजस की स्थिति है। निवेशकों ने प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीद ली। लेकिन वन विभाग की रोकटोक की वजह से प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतार रहे हैं।
आईआईए डिविजनल चेयरमैन विकास अग्रवाल के अनुसार इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से निवेशक प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पा रहे हैं। एक तरफ तो पर्यटन को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ नियमों की वजह से रुकावट पैदा हो रही हैं। ऐसे प्रोजेक्ट शुरू करने की अनुमति मिले।
उद्यमी राकेश कर्णवाल ने बताया कि अमानगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कैफेटेरिया शुरू करने के लिए एमओयू साइन किया था। इसके लिए जमीन खरीद ली। लेकिन इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया। इसका जल्द कोई समाधान निकलना चाहिए।
उद्यमी कौशल चौहान ने बताया कि बादीगढ़ चौराहे पर उनका बैंक्वेट हॉल है। अमानगढ़ क्षेत्र में उन्होंने प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए जमीन खरीदी है। लेकिन प्रोजेक्ट को धरातल पर नहीं उतार पा रहे है। जिन लोगों ने निर्माण कार्य किए हैं। वन विभाग की ओर से उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। इसी डर से अभी तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया।
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जिले में आयोजित हुई इन्वेस्टर्स समिट में सभी क्षेत्रों में उद्यमियों ने एमओयू साइन किए थे। पर्यटन क्षेत्र में 43 एमओयू साइन हुए। इनमें करीब 1200 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन वन विभाग के नियमों के फेर में निवेशक अपना प्राेजेक्ट शुरू नहीं कर पा रहे हैं। दो साल बाद भी इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं हुआ। इसके बाहर ही स्थायी निर्माण किया जा सकता है।
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इसी वजह से अभी उद्यमियों में प्रोजेक्ट शुरू करने को लेकर असमंजस की स्थिति है। निवेशकों ने प्रोजेक्ट के लिए जमीन खरीद ली। लेकिन वन विभाग की रोकटोक की वजह से प्रोजेक्ट धरातल पर नहीं उतार रहे हैं।
आईआईए डिविजनल चेयरमैन विकास अग्रवाल के अनुसार इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से निवेशक प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर पा रहे हैं। एक तरफ तो पर्यटन को बढ़ावा देने की बात की जा रही है। वहीं, दूसरी तरफ नियमों की वजह से रुकावट पैदा हो रही हैं। ऐसे प्रोजेक्ट शुरू करने की अनुमति मिले।
उद्यमी राकेश कर्णवाल ने बताया कि अमानगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में कैफेटेरिया शुरू करने के लिए एमओयू साइन किया था। इसके लिए जमीन खरीद ली। लेकिन इको सेंसेटिव जोन घोषित नहीं होने से प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया। इसका जल्द कोई समाधान निकलना चाहिए।
उद्यमी कौशल चौहान ने बताया कि बादीगढ़ चौराहे पर उनका बैंक्वेट हॉल है। अमानगढ़ क्षेत्र में उन्होंने प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए जमीन खरीदी है। लेकिन प्रोजेक्ट को धरातल पर नहीं उतार पा रहे है। जिन लोगों ने निर्माण कार्य किए हैं। वन विभाग की ओर से उन्हें नोटिस दिए जा रहे हैं। इसी डर से अभी तक प्रोजेक्ट शुरू नहीं किया।
