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Bijnor News: ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया से भी प्रभावित हुआ खांडसारी उद्योग
संवाद न्यूज एजेंसी, बिजनौर
Updated Fri, 12 Dec 2025 11:59 PM IST
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बिजनौर। जिले में चीनी मिल लगने के बाद से खांडसारी उद्योग की संख्या घट गई। लेकिन अब ऑनलाइन भुगतान प्रक्रिया से भी खांडसारी उद्योग प्रभावित हुआ है। नकद पैसे के लिए किसान गन्ना क्रेशर में डालते हैं। मगर, सरकार के नियमों की वजह से किसानों को ऑनलाइन भुगतान देना पड़ रहा है। वहीं, कोल्हुओं के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है। इसकी वजह से किसान क्रेशर की जगह कोल्हू पर गन्ना डाल रहे हैं।
जिले में साल 2001 के आसपास तक करीब 1200 क्रेशर थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर केवल 76 रह गई है। जबकि, कोल्हुओं की संख्या बढ़कर 550 हो गई है। नियमों की वजह से खांडसारी उद्योग धीरे-धीरे ठप हो गए। क्रेशर संचालकों का कहना है कि सरकार का सहयोग नहीं मिलने से खांडसारी उद्योग पिछड़ गया है। प्रदेश में साल 2001 के आसपास यूपी सरकार ने किसान को अपने गन्ने का गुड़ बनाने के लिए छोटा कोल्हू लगाने की अनुमति दी थी। मगर, अब इसे व्यापारिक रूप दे दिया गया है। गन्ना किसानों से खरीदकर गुड़ बनाया जा रहा है। क्रेशर बंद होने का यह भी बड़ा कारण है।
बेसिक कोटा पूरा करने के लिए चीनी मिल पर गन्ना डालते हैं किसान
जिले में 10 चीनी मिल संचालित हैं। किसान अपनी पर्चियों का बेसिक कोटा पूरा करने के लिए चीनी मिल में ही गन्ना डालते हैं। किसान को चाहे कितनी भी पैसे की जरूरत हो। वह क्रेशर में गन्ना न डालकर मिल में ही डालते हैं। क्योंकि, एक साल मिल में पर्ची के हिसाब से पूरा गन्ना नहीं डालने से आगामी सत्र में पर्चियां घट जाती है। चीनी मिल की वजह से भी क्रेशर बंद हो रहे हैं।
बोले उद्यमी
सरकारी नियमों से पिछड़ा क्रेशर उद्योग : अवनीश
आईआईए चेयरमैन अवनीश अग्रवाल का कहना है कि चीनी मिल, कोल्हुओं के संचालन से क्रेशर बंद हो गए हैं। किसान पैसे के लिए क्रेशर में गन्ना डालते हैं। लेकिन सरकार ने ऑनलाइन भुगतान करने का नियम बनाया है। यह भी एक बाधा है।
खांडसारी उद्योग चलाने के लिए शुरू हो योजनाएं : अजीत कुमार
क्रेशर संचालक अजीत कुमार ने बताया कि सरकार को खांडसारी उद्योग को चलाने के लिए कुछ योजनाएं शुरू करनी चाहिए। सरकारी नियम की वजह से क्रेशर को आगे चलाना मुश्किल हो रहा है।
खांडसारी उद्योग को बढ़ावा दे सरकार : नवनीत
क्रेशर संचालक नवनीत कुमार अग्रवाल ने कहा कि कोल्हुओं के संचालन का कोई नियम नहीं है। जबकि, क्रेशर संचालित करने पर मंडी टैक्स सहित अन्य गाइडलाइन का पालन करना होता है। क्रेशर को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार को सहयोग करना चाहिए।
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जिले में साल 2001 के आसपास तक करीब 1200 क्रेशर थे। लेकिन अब इनकी संख्या घटकर केवल 76 रह गई है। जबकि, कोल्हुओं की संख्या बढ़कर 550 हो गई है। नियमों की वजह से खांडसारी उद्योग धीरे-धीरे ठप हो गए। क्रेशर संचालकों का कहना है कि सरकार का सहयोग नहीं मिलने से खांडसारी उद्योग पिछड़ गया है। प्रदेश में साल 2001 के आसपास यूपी सरकार ने किसान को अपने गन्ने का गुड़ बनाने के लिए छोटा कोल्हू लगाने की अनुमति दी थी। मगर, अब इसे व्यापारिक रूप दे दिया गया है। गन्ना किसानों से खरीदकर गुड़ बनाया जा रहा है। क्रेशर बंद होने का यह भी बड़ा कारण है।
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जिले में 10 चीनी मिल संचालित हैं। किसान अपनी पर्चियों का बेसिक कोटा पूरा करने के लिए चीनी मिल में ही गन्ना डालते हैं। किसान को चाहे कितनी भी पैसे की जरूरत हो। वह क्रेशर में गन्ना न डालकर मिल में ही डालते हैं। क्योंकि, एक साल मिल में पर्ची के हिसाब से पूरा गन्ना नहीं डालने से आगामी सत्र में पर्चियां घट जाती है। चीनी मिल की वजह से भी क्रेशर बंद हो रहे हैं।
बोले उद्यमी
सरकारी नियमों से पिछड़ा क्रेशर उद्योग : अवनीश
आईआईए चेयरमैन अवनीश अग्रवाल का कहना है कि चीनी मिल, कोल्हुओं के संचालन से क्रेशर बंद हो गए हैं। किसान पैसे के लिए क्रेशर में गन्ना डालते हैं। लेकिन सरकार ने ऑनलाइन भुगतान करने का नियम बनाया है। यह भी एक बाधा है।
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