{"_id":"69430b78f686669eb40f5765","slug":"goods-are-being-transported-in-sleeper-buses-and-the-emergency-windows-are-also-jammed-badaun-news-c-123-1-sbly1018-152989-2025-12-18","type":"story","status":"publish","title_hn":"Budaun News: स्लीपर बसों से ढोया जा रहा सामान, आपातकालीन खिड़की भी जाम","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Budaun News: स्लीपर बसों से ढोया जा रहा सामान, आपातकालीन खिड़की भी जाम
विज्ञापन
नवादा चौकी के पास बद्दी को यात्रियों के इंतजार में खड़ी स्लीपर बस। संवाद
विज्ञापन
बदायूं। रोडवेज के अलावा बड़ी संख्या में यात्री स्लीपर बसों से भी यात्रा कर रहे हैं। जिले से बद्दी, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, लखनऊ व अन्य बढ़े शहरों के लिए स्लीपर बसें संचालित हो रहीं हैं। इन बसों से यात्रियों के साथ ही सामान भी अच्छा खासा ले जाया जा रहा है। अधिकांश स्लीपर बसों की आपातकालीन खिड़की भी जाम हैं। ऐसे में यदि कोई हादसा हो जाए तो यात्रियों को जान बचाना आसान नहीं होगा। वहीं परिवहन विभाग के अधिकारी कार्रवाई के नाम पर महज कागजी खानापूरी कर रहे हैं।
स्लीपर बसों की बुधवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि डिकी से लेकर छतों तक सामान ले जाया जा रहा है। अगर कहीं हादसा हो जाए तो बस में लगी आपातकालीन खिड़की तक नहीं खुल सकती या उसके पास सामान भरा होता है। साफ है कि हादसे के बाद लोग आसानी से बस से नहीं निकल सकेंगे। इससे अधिक लोगों की जान जाने से इंकार नहीं किया जा सकता। मथुरा की घटना के बाद हर दिन सामान्य, एसी और स्लीपर बसों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है।
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड सहित अन्य रूट पर चलने वालीं लंबी दूरी की बसों में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। पड़ताल में सामने आया कि 30 सीटर स्लीपर बस में 50 तो 55 सीटर बस में 70 से 80 यात्री ले जाए जा रहे हैं। एक ट्रेवल एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि माल का भाड़ा अलग लिया जाता है। यात्री का किराया अलग होता है। टीम ने बस में आपातकालीन खिड़की और रास्ते के बारे में जानकारी की। एक चालक ने बताया कि हर बस में एक आपातकालीन खिड़की होती है, लेकिन अधिकांश बसों में इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं दी जाती।
यात्रियों के सामान के नाम पर ले जा रहे माल
सूत्र बताते हैं कि बसों में माल की ढुलाई यूं ही नहीं हो रही है। माल के पकड़े जाने पर चालक एक ही बात कहते हैं कि यह सामान यात्री का है। इन दिनों अधिकतर बसों में ऑनलाइन बुकिंग हो रही है। बस में अलग-अलग स्थान से सवारियों को बैठाया जाता है। अधिकारी भी बसों की देरी का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
जिले में एक भी स्लीपर बस पंजीकृत नहीं
एक भी स्लीपर बस का जिले में पंजीकरण नहीं है, बावजूद इसके 20 से अधिक बसें कई प्रदेशों तक दौड़ रहीं हैं। कई बार चालान किए जाने के बावजूद संचालक परिवहन विभाग को राजस्व क्षति पहुंचा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिले में 270 प्राइवेट बसों का एआरटीओ कार्यालय में पंजीकरण है। इनमें से 170 बसों को फुटकर सवारियों के लिए जिले के सात रूट पर संचालित होने का परमिट दिया गया है। करीब सौ बसें ऐसी हैं, जिन पर टूरिस्ट परमिट है।
पुलिस और परिवहन विभाग करता है वसूली
स्लीपर बसों और डग्गामार वाहनों के अवैध संचालन के पीछे पुलिस व परिवहन विभाग का भी बड़ा हाथ रहता है। इन दोनों विभाग के स्तर से लगातार ऐेसे वाहन संचालकों से जमकर वसूली भी की जाती है। इसी का नतीजा है कि लगातार हो रहे हादसों के बाद भी ऐसे वाहन व उनके संचालकों पर शिकंजा नहीं कसा जाता है।
कोने में पड़े थे अग्निशमन सिलिंडर
स्लीपर बसों की बात करें तो आग बुझाने के लिए लगाए गए अग्निशमन सिलिंडर कोने में पड़े थे। साथ ही आपातकालीन दरवाजे को तोड़ने के लिए हथौड़ा तक बस में नहीं मिला। ऐसे में अगर कहीं कोई घटना होती है तो यात्रियों को कैसे बचाया जा सकता है, जिम्मेदारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
इस माह स्लीपर बसों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
परिवहन विभाग के मुताबिक, दिसंबर में एक भी स्लीपर बस पर कार्रवाई नहीं हुई। नवंबर में विभाग ने नौ बसें पकड़ी थीं। परिवहन विभाग ने पांच बसों का चालान कर 1.79 लाख रुपये की राजस्व वसूली भी की थी। चार बसें सीज कर दी गईं थीं।
नवादा चौकी के पास से स्लीपर बसों के संचालन की जानकारी हुई है। चौकी पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। बाकी की कार्रवाई परिवहन विभाग कर रहा है। अवैध तरीके से संचालित बसों पर कार्रवाई कराई जाएगी। -डॉ. बृजेश कुमार सिंह, एसएसपी, बदायूं
समय-समय पर स्लीपर बसों को चेक किया जाता है। यात्रियों की संख्या अधिक होने पर भी चालान काटे जाते हैं। साथ में जीएसटी की टीम भी रहती है, जिससे माल के कागजात भी चेक किए जा सकें। -अमरीश कुमार, एआरटीओ
Trending Videos
स्लीपर बसों की बुधवार को संवाद न्यूज एजेंसी की टीम ने पड़ताल की तो सामने आया कि डिकी से लेकर छतों तक सामान ले जाया जा रहा है। अगर कहीं हादसा हो जाए तो बस में लगी आपातकालीन खिड़की तक नहीं खुल सकती या उसके पास सामान भरा होता है। साफ है कि हादसे के बाद लोग आसानी से बस से नहीं निकल सकेंगे। इससे अधिक लोगों की जान जाने से इंकार नहीं किया जा सकता। मथुरा की घटना के बाद हर दिन सामान्य, एसी और स्लीपर बसों में सफर करने वाले यात्रियों की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है।
विज्ञापन
विज्ञापन
पड़ताल में यह भी सामने आया है कि दिल्ली, राजस्थान और उत्तराखंड सहित अन्य रूट पर चलने वालीं लंबी दूरी की बसों में सुरक्षा के नाम पर सिर्फ खानापूरी हो रही है। पड़ताल में सामने आया कि 30 सीटर स्लीपर बस में 50 तो 55 सीटर बस में 70 से 80 यात्री ले जाए जा रहे हैं। एक ट्रेवल एजेंट ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि माल का भाड़ा अलग लिया जाता है। यात्री का किराया अलग होता है। टीम ने बस में आपातकालीन खिड़की और रास्ते के बारे में जानकारी की। एक चालक ने बताया कि हर बस में एक आपातकालीन खिड़की होती है, लेकिन अधिकांश बसों में इसकी जानकारी यात्रियों को नहीं दी जाती।
यात्रियों के सामान के नाम पर ले जा रहे माल
सूत्र बताते हैं कि बसों में माल की ढुलाई यूं ही नहीं हो रही है। माल के पकड़े जाने पर चालक एक ही बात कहते हैं कि यह सामान यात्री का है। इन दिनों अधिकतर बसों में ऑनलाइन बुकिंग हो रही है। बस में अलग-अलग स्थान से सवारियों को बैठाया जाता है। अधिकारी भी बसों की देरी का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहे हैं।
जिले में एक भी स्लीपर बस पंजीकृत नहीं
एक भी स्लीपर बस का जिले में पंजीकरण नहीं है, बावजूद इसके 20 से अधिक बसें कई प्रदेशों तक दौड़ रहीं हैं। कई बार चालान किए जाने के बावजूद संचालक परिवहन विभाग को राजस्व क्षति पहुंचा रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, जिले में 270 प्राइवेट बसों का एआरटीओ कार्यालय में पंजीकरण है। इनमें से 170 बसों को फुटकर सवारियों के लिए जिले के सात रूट पर संचालित होने का परमिट दिया गया है। करीब सौ बसें ऐसी हैं, जिन पर टूरिस्ट परमिट है।
पुलिस और परिवहन विभाग करता है वसूली
स्लीपर बसों और डग्गामार वाहनों के अवैध संचालन के पीछे पुलिस व परिवहन विभाग का भी बड़ा हाथ रहता है। इन दोनों विभाग के स्तर से लगातार ऐेसे वाहन संचालकों से जमकर वसूली भी की जाती है। इसी का नतीजा है कि लगातार हो रहे हादसों के बाद भी ऐसे वाहन व उनके संचालकों पर शिकंजा नहीं कसा जाता है।
कोने में पड़े थे अग्निशमन सिलिंडर
स्लीपर बसों की बात करें तो आग बुझाने के लिए लगाए गए अग्निशमन सिलिंडर कोने में पड़े थे। साथ ही आपातकालीन दरवाजे को तोड़ने के लिए हथौड़ा तक बस में नहीं मिला। ऐसे में अगर कहीं कोई घटना होती है तो यात्रियों को कैसे बचाया जा सकता है, जिम्मेदारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
इस माह स्लीपर बसों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
परिवहन विभाग के मुताबिक, दिसंबर में एक भी स्लीपर बस पर कार्रवाई नहीं हुई। नवंबर में विभाग ने नौ बसें पकड़ी थीं। परिवहन विभाग ने पांच बसों का चालान कर 1.79 लाख रुपये की राजस्व वसूली भी की थी। चार बसें सीज कर दी गईं थीं।
नवादा चौकी के पास से स्लीपर बसों के संचालन की जानकारी हुई है। चौकी पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। बाकी की कार्रवाई परिवहन विभाग कर रहा है। अवैध तरीके से संचालित बसों पर कार्रवाई कराई जाएगी। -डॉ. बृजेश कुमार सिंह, एसएसपी, बदायूं
समय-समय पर स्लीपर बसों को चेक किया जाता है। यात्रियों की संख्या अधिक होने पर भी चालान काटे जाते हैं। साथ में जीएसटी की टीम भी रहती है, जिससे माल के कागजात भी चेक किए जा सकें। -अमरीश कुमार, एआरटीओ

नवादा चौकी के पास बद्दी को यात्रियों के इंतजार में खड़ी स्लीपर बस। संवाद

नवादा चौकी के पास बद्दी को यात्रियों के इंतजार में खड़ी स्लीपर बस। संवाद

नवादा चौकी के पास बद्दी को यात्रियों के इंतजार में खड़ी स्लीपर बस। संवाद
