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Budaun News: सारस को रास आ रही आबोहवा, छह माह में बढ़कर 115 हुए
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सारस
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बदायूं। जिले की प्राकृतिक आबोहवा अब राज्यपक्षी सारस को पसंद आ रही है। यही कारण है कि उनकी संख्या ग्रीष्मकालीन गणना जून के मुकाबले दिसंबर में बढ़कर 115 हो गई है। जून में जिले की चार वन रेंज में कुल 109 सारस दर्ज किए गए थे। इसमें 24 सारस के बच्चे भी देखे गए हैं, जो जिले में इनके सफल प्रजनन का संकेत देते हैं।
प्रदेश में सारस को राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है। सामाजिक वानिकी एवं वन्य जंतु प्रभाग की ओर से की गई शीतकालीन गणना में सारसों की संख्या में हुई वृद्धि को उत्साहजनक माना जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में सारस खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इसी कारण इनका कुनबा लगातार बढ़ रहा है।
विभाग के अनुसार, सारस आमतौर पर तालाब, पोखर, झीलों के किनारे की दलदली भूमि और कृषि क्षेत्रों को अपना बसेरा बनाते हैं। खेतों में मिलने वाले कीड़े-मकोड़े इनका प्रमुख भोजन होते हैं, इसलिए सारस को किसानों का मित्र भी कहा जाता है। जिले की भौगोलिक संरचना सारस के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। जिले में गंगा और रामगंगा जैसी बड़ी नदियां, इसके अलावा बड़ी संख्या में तालाब उपलब्ध हैं, जो इनके लिए प्राकृतिक आवास का काम करती हैं। सारस का खुले में सुरक्षित घूमना इस बात का प्रमाण है कि जिले का वातावरण इनके लिए अनुकूल बना हुआ है।
बिसौली रेंज में सबसे अधिक सारस
यदि रेंजवार आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले की बिसौली वन रेंज में सबसे अधिक 42 सारस पाए गए हैं। इसके बाद दातागंज वन रेंज में 31 सारस, बदायूं वन रेंज में 23 सारस, जबकि सहसवान वन रेंज में सबसे कम 19 सारस दर्ज किए गए हैं। चारों वन रेंजों में इस बार सारस के बच्चे भी देखे गए हैं, जिससे आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
जिले में तेजी से सारस की संख्या बढ़ रही है। यह सकारात्मक संकेत है। आने वाले दिनों अब भी संख्या बढ़ने का अनुमान है। - निधि चौहान, डीएफओ
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प्रदेश में सारस को राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है। सामाजिक वानिकी एवं वन्य जंतु प्रभाग की ओर से की गई शीतकालीन गणना में सारसों की संख्या में हुई वृद्धि को उत्साहजनक माना जा रहा है। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिले में सारस खुद को सुरक्षित महसूस कर रहे हैं, इसी कारण इनका कुनबा लगातार बढ़ रहा है।
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विभाग के अनुसार, सारस आमतौर पर तालाब, पोखर, झीलों के किनारे की दलदली भूमि और कृषि क्षेत्रों को अपना बसेरा बनाते हैं। खेतों में मिलने वाले कीड़े-मकोड़े इनका प्रमुख भोजन होते हैं, इसलिए सारस को किसानों का मित्र भी कहा जाता है। जिले की भौगोलिक संरचना सारस के लिए बेहद अनुकूल मानी जाती है। जिले में गंगा और रामगंगा जैसी बड़ी नदियां, इसके अलावा बड़ी संख्या में तालाब उपलब्ध हैं, जो इनके लिए प्राकृतिक आवास का काम करती हैं। सारस का खुले में सुरक्षित घूमना इस बात का प्रमाण है कि जिले का वातावरण इनके लिए अनुकूल बना हुआ है।
बिसौली रेंज में सबसे अधिक सारस
यदि रेंजवार आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले की बिसौली वन रेंज में सबसे अधिक 42 सारस पाए गए हैं। इसके बाद दातागंज वन रेंज में 31 सारस, बदायूं वन रेंज में 23 सारस, जबकि सहसवान वन रेंज में सबसे कम 19 सारस दर्ज किए गए हैं। चारों वन रेंजों में इस बार सारस के बच्चे भी देखे गए हैं, जिससे आने वाले समय में इनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
जिले में तेजी से सारस की संख्या बढ़ रही है। यह सकारात्मक संकेत है। आने वाले दिनों अब भी संख्या बढ़ने का अनुमान है। - निधि चौहान, डीएफओ
