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Chandauli News: 30 साल से जर्जर भवन में चल रहा राजकीय पशु चिकित्सालय
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रजपुर का जर्जर राजकीय पशु चिकित्सालय ।संवाद
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सूरजपुर। दोहरीघाट ब्लॉक क्षेेत्र के सूरजपुर स्थित राजकीय पशु चिकित्सालय लगभग तीन दशक से जर्जर भवन में चल रहा है। बरसात में कर्मचारियों को अभिलेख से लेकर दवा सहित तमाम संसाधनों और खुद को सुरक्षित रखना मुश्किल होता है।
भवन का प्लास्टर टूट कर गिरने के चलते अधिकारी, कर्मचारी दहशत में रहते हैं। परेशान पशुपालकों ने विभागीय अधिकारियों को शिकायती पत्र दिए, लेकिन जर्जर भवन की मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी है। स्थानीय राजकीय पशु चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी, तो पशुपालकों को अपने पशुओं के बेहतर इलाज की आस जगी थी, लेकिन पशु अस्पताल के भवन की उचित देखरेख के अभाव में बद से बदतर होती जा रही है। सरकार ने लाखों रुपये खर्च करके संसाधन तो मुहैया करा दिए हैं, लेकिन भवन की जर्जर दशा पर उच्चाधिकारियों के साथ ही साथ जनप्रतिनिधियों की नजर नहीं पड़ रही है। भवन की खिड़की, दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। भवन की दीवारों में दरार आ गई हैं। प्लास्टर लगातार उखड़ रहा है। बरसात के दिन में तो भवन के छत से पानी टपकने लगता है। इससे पशु चिकित्साधिकारी सहित कर्मचारियों को दवा सहित तमाम संसाधनों को सुरक्षित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी भी भवन में अंदर जाने से कतराते हैं। इस संबंध में रविंद्र प्रसाद, श्रीकांत यादव, सुरेंद्र कुमार, राजेंद्र वर्मा का कहना है कि जर्जर भवन की मरम्मत कराने के लिए विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन नया भवन बनाया जाना तो दूर मरम्मत कार्य तक नहीं कराया जा सका है।
कोट
राजकीय पशु चिकित्सालय के जर्जर भवन के मामले में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पत्र भेजा गया है, उनके निर्देश के बाद यहां पर काम शुरू किया जाएगा।
रजनीकांत निगम,पशु चिकित्सा अधिकारी
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भवन का प्लास्टर टूट कर गिरने के चलते अधिकारी, कर्मचारी दहशत में रहते हैं। परेशान पशुपालकों ने विभागीय अधिकारियों को शिकायती पत्र दिए, लेकिन जर्जर भवन की मरम्मत तक नहीं कराई जा सकी है। स्थानीय राजकीय पशु चिकित्सालय की स्थापना वर्ष 1993 में हुई थी, तो पशुपालकों को अपने पशुओं के बेहतर इलाज की आस जगी थी, लेकिन पशु अस्पताल के भवन की उचित देखरेख के अभाव में बद से बदतर होती जा रही है। सरकार ने लाखों रुपये खर्च करके संसाधन तो मुहैया करा दिए हैं, लेकिन भवन की जर्जर दशा पर उच्चाधिकारियों के साथ ही साथ जनप्रतिनिधियों की नजर नहीं पड़ रही है। भवन की खिड़की, दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए हैं। भवन की दीवारों में दरार आ गई हैं। प्लास्टर लगातार उखड़ रहा है। बरसात के दिन में तो भवन के छत से पानी टपकने लगता है। इससे पशु चिकित्साधिकारी सहित कर्मचारियों को दवा सहित तमाम संसाधनों को सुरक्षित करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी भी भवन में अंदर जाने से कतराते हैं। इस संबंध में रविंद्र प्रसाद, श्रीकांत यादव, सुरेंद्र कुमार, राजेंद्र वर्मा का कहना है कि जर्जर भवन की मरम्मत कराने के लिए विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया, लेकिन नया भवन बनाया जाना तो दूर मरम्मत कार्य तक नहीं कराया जा सका है।
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कोट
राजकीय पशु चिकित्सालय के जर्जर भवन के मामले में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को पत्र भेजा गया है, उनके निर्देश के बाद यहां पर काम शुरू किया जाएगा।
रजनीकांत निगम,पशु चिकित्सा अधिकारी