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Chandauli News: निर्जल व्रत रहकर महिलाओं ने की संतान के दीर्घायु की कामना
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पीडीडीयू नगर के नई बस्ती में पूजन अर्चन करती व्रती महिलाएं। संवाद
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संतान के दीर्घायु की कामना से महिलाओं ने रविवार को निराजल व्रत रखा। माता दुर्गा की पूजा की और राजा जीमूतवाहन की कथा सुनी। शाम को पूजा अर्चना के लिए सरोवरों व नदी के किनारे महिलाओं की भीड़ रही।
वहीं कुछ महिलाओं ने मंदिरों में पहुंच कर तो कुछ ने घर पर ही पूजा अर्चना की। इसके बाद जिउतिया का धागा संतान के गले में डाला। मान्यता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला व्रत रहकर जिउतिया की पूजा करने से संतान की आयु बढ़ती है।
महिलाओं ने जिउतिया की पूजा के लिए फल, फूल, पूजन सामग्री, जिउतिया आदि की खरीदारी की थी। रविवार की सुबह से ही महिलाएं पूजा के लिए तैयारी में जुट गईं। दोपहर बाद व्रती महिलाओं ने सूप, थाल में फल, फूल, धूप, नैवेद्य सहित अन्य पूजा सामग्री सजाई और तालाबों के किनारे पहुंची।
कुछ घरों से महिलाएं ढोल नगाड़ों के साथ परिवार वालों को लेकर पहुंची थीं। नगर के मानसनगर स्थित मानसरोवर तालाब, राममंदिर, माल गोदाम पोखरा, दामोदरदास पोखरा, वेस्टर्न बाजार विश्वकर्मा मंदिर, रविनगर स्थित काली मंदिर आदि स्थानों पर अधिक भीड़ जुटी।
महिलाओं ने सबसे पहले कलश स्थापित किया। इसके बाद कुश से राजा जीमूत वाहन की मूर्ति बनाई। वहीं मां दुर्गा का आह्वान किया। इसके बाद विधि विधान से पूजा अर्चना की। वहीं पुरोहितों से राजा जीमूतवाहन की कथा सुनी।

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वहीं कुछ महिलाओं ने मंदिरों में पहुंच कर तो कुछ ने घर पर ही पूजा अर्चना की। इसके बाद जिउतिया का धागा संतान के गले में डाला। मान्यता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को निर्जला व्रत रहकर जिउतिया की पूजा करने से संतान की आयु बढ़ती है।
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महिलाओं ने जिउतिया की पूजा के लिए फल, फूल, पूजन सामग्री, जिउतिया आदि की खरीदारी की थी। रविवार की सुबह से ही महिलाएं पूजा के लिए तैयारी में जुट गईं। दोपहर बाद व्रती महिलाओं ने सूप, थाल में फल, फूल, धूप, नैवेद्य सहित अन्य पूजा सामग्री सजाई और तालाबों के किनारे पहुंची।
कुछ घरों से महिलाएं ढोल नगाड़ों के साथ परिवार वालों को लेकर पहुंची थीं। नगर के मानसनगर स्थित मानसरोवर तालाब, राममंदिर, माल गोदाम पोखरा, दामोदरदास पोखरा, वेस्टर्न बाजार विश्वकर्मा मंदिर, रविनगर स्थित काली मंदिर आदि स्थानों पर अधिक भीड़ जुटी।
महिलाओं ने सबसे पहले कलश स्थापित किया। इसके बाद कुश से राजा जीमूत वाहन की मूर्ति बनाई। वहीं मां दुर्गा का आह्वान किया। इसके बाद विधि विधान से पूजा अर्चना की। वहीं पुरोहितों से राजा जीमूतवाहन की कथा सुनी।