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अब 40 से 50 वर्ष की उम्र में होने लगीं हैं बीमारियां
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जिला अस्पताल में अल्जाइमर के बारे में जानकारी देते चिकित्सक गण
- फोटो : ETAWAH
इटावा। अल्जाइमर का कनेक्शन दिमाग से होता है, कहते हैं जब जरूरी टिश्यूज मस्तिष्क संचार के लिए सही से काम नहीं करते, तब इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
यह बात मंगलवार को सीएमएस डॉ.एमएम आर्या ने जिला चिकित्सालय में अल्जाइमर दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कही। उन्होंने रोग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
डा.आर्या ने कहा कि बदलते वक्त में जो बीमारी कभी 65 से 70 साल के बाद हुआ करती थी। अब 40 से 50 की उम्र में भी होने लगी है। नौजवान भी इसका शिकार होने लगे हैं।
बदलती जीवनशैली और तनावपूर्ण जीवन से भी यह बीमारी जन्म लेने लगती है। बताया हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। इसमें लोगों को अक्सर कुछ याद नहीं रहता है।
खाना खाकर और चीजों को रखकर भूल जाते हैं। यही नहीं इंसान का नाम और शक्ल भी भूल जाते हैं। इसका कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। कार्यक्रम में हॉस्पिटल मैनेजर डॉ. निखिलेश, डॉ. पीके गुप्ता, मानसिक प्रकोष्ठ की ओर से क्लीनिक साइकोलॉजिस्ट रामेश्वरी प्रजापति, सेक्रेटरी क्लिनिकल, साइकोलॉजिस्ट, मेडिकल सोशल वर्कर दिलीप कुमार चौबे, विवेक कुमार आदि उपस्थित रहे।
अल्जाइमर के लक्षण
- याददाशत कम होना।
- बोलने में दिक्कत होना।
- चीजों को समझने में समस्या होना।
- स्थान और समय में मेलजोल नहीं कर पाना।
- दिमाग का अस्थिर होना।
- अकारण गुस्सा या चिड़चिड़ापन, रोना आना।
- निर्णय लेने में कठिनाई आना।
- किसी पर विश्वास नहीं करना व भ्रामक स्थिति में रहना।
बचाव के उपाय
- आहार परामर्शदाता से चर्चा कर भरपूर डाइट लें।
- लोगों से मिलते रहें, मन नहीं करने पर भी लोगों के बीच बैठे रहे।
- पर्याप्त नींद लें। नींद नहीं आने पर डॉक्टर से चर्चा करें।
- सकारात्मक सोच रखें।
- ध्यान व योगा करें।
- पानी भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
- डाइट में साबुत अनाज, प्रोटीन को शामिल करें।
क्यों होती है अल्जाइमर बीमारी
अल्जाइमर का खतरा उस वक्त बढ़ जाता है, जब दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है।
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यह बात मंगलवार को सीएमएस डॉ.एमएम आर्या ने जिला चिकित्सालय में अल्जाइमर दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में कही। उन्होंने रोग के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी।
डा.आर्या ने कहा कि बदलते वक्त में जो बीमारी कभी 65 से 70 साल के बाद हुआ करती थी। अब 40 से 50 की उम्र में भी होने लगी है। नौजवान भी इसका शिकार होने लगे हैं।
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बदलती जीवनशैली और तनावपूर्ण जीवन से भी यह बीमारी जन्म लेने लगती है। बताया हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। इसमें लोगों को अक्सर कुछ याद नहीं रहता है।
खाना खाकर और चीजों को रखकर भूल जाते हैं। यही नहीं इंसान का नाम और शक्ल भी भूल जाते हैं। इसका कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। कार्यक्रम में हॉस्पिटल मैनेजर डॉ. निखिलेश, डॉ. पीके गुप्ता, मानसिक प्रकोष्ठ की ओर से क्लीनिक साइकोलॉजिस्ट रामेश्वरी प्रजापति, सेक्रेटरी क्लिनिकल, साइकोलॉजिस्ट, मेडिकल सोशल वर्कर दिलीप कुमार चौबे, विवेक कुमार आदि उपस्थित रहे।
अल्जाइमर के लक्षण
- याददाशत कम होना।
- बोलने में दिक्कत होना।
- चीजों को समझने में समस्या होना।
- स्थान और समय में मेलजोल नहीं कर पाना।
- दिमाग का अस्थिर होना।
- अकारण गुस्सा या चिड़चिड़ापन, रोना आना।
- निर्णय लेने में कठिनाई आना।
- किसी पर विश्वास नहीं करना व भ्रामक स्थिति में रहना।
बचाव के उपाय
- आहार परामर्शदाता से चर्चा कर भरपूर डाइट लें।
- लोगों से मिलते रहें, मन नहीं करने पर भी लोगों के बीच बैठे रहे।
- पर्याप्त नींद लें। नींद नहीं आने पर डॉक्टर से चर्चा करें।
- सकारात्मक सोच रखें।
- ध्यान व योगा करें।
- पानी भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
- डाइट में साबुत अनाज, प्रोटीन को शामिल करें।
क्यों होती है अल्जाइमर बीमारी
अल्जाइमर का खतरा उस वक्त बढ़ जाता है, जब दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है।