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ढेर लगे आलू की झारखंड में मांग
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कमालगंज। आलू का भाव बढ़ने से किसानों की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। व्यापारी भी और अच्छे भाव की आस लगाए हैं। खोदाई के बाद छाया में लगाए गए ढेर वाला आलू टिकाऊ होने से झारखंड भेजा जा रहा है। शीतगृहों में निकासी की शुरुआत हो गई है। शीतगृह वाला मोटे साइज का आलू कोयंबटूर और तेलंगाना भी जा रहा है।
आलू की भारी पैदावार, ओवरलोड शीतगृह, बागों और छायादार जगहों पर लगे आलू के ढेर से बनी अनिश्चय की स्थिति अब छंटने लगी है। ढेर वाला आलू 400 से बढ़कर 580 रुपये पैकेट (50 किलो) पहुंच गया है। भाव बढ़ने से किसान ढेर वाले आलू की धड़ाधड़ बिक्री कर रहे हैं। शीतगृहों से निकलने वाले आलू की तुलना में ढेर वाला आलू टिकाऊ होने से व्यापारी इसे झारखंड भेज रहे हैं।
झारखंड के अलावा पूर्वांचल के जिलों सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़ में भी आलू जा रहा है। जहां ढेर लगे हैं, वहीं जाकर व्यापारी किसानों से सौदा कर रहे हैं। भुगतान के लिए आठ दिन का समय लिया जा रहा है। नकद भुगतान की स्थिति में दो फीसदी धनराशि की कटौती हो रही है। ढेर समाप्त होने के बाद शीतगृहों से निकासी बढ़ने की संभावना है।
राजेपुर सरायमेदा के व्यापारी सफकत का कहना है कि शीतगृह से निकलने वाला मोटा व चमकदार सफेद आलू 750 रुपये पैकेट तक है। क्विंटल में यह 1500 रुपया पड़ रहा है। यह आलू तेलंगाना व कोयंबटूर तक जा रहा है।
प्रगतिशील किसान व आलू व्यापारी संजय पालीवाल ने बताया कि पिछले वर्षों में सफेद आलू ख्याती, पुखराज से हालैंड, लाल गुलाल और कंचन आलू 200 रुपये क्विंटल महंगा रहता था। यह गोश्त के साथ बनने में टूटता नहीं है। अरब देशों व पाकिस्तान आदि में लाल आलू न जा पाने से इस बार इसकी मांग घट गई। सफेद आलू से लाल आलू 100 रुपये क्विंटल सस्ता बिक रहा है। इस बार चिपसोना पर भी सफेद आलू भारी है।
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झारखंड के अलावा पूर्वांचल के जिलों सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, देवरिया, गोरखपुर, आजमगढ़ में भी आलू जा रहा है। जहां ढेर लगे हैं, वहीं जाकर व्यापारी किसानों से सौदा कर रहे हैं। भुगतान के लिए आठ दिन का समय लिया जा रहा है। नकद भुगतान की स्थिति में दो फीसदी धनराशि की कटौती हो रही है। ढेर समाप्त होने के बाद शीतगृहों से निकासी बढ़ने की संभावना है।
राजेपुर सरायमेदा के व्यापारी सफकत का कहना है कि शीतगृह से निकलने वाला मोटा व चमकदार सफेद आलू 750 रुपये पैकेट तक है। क्विंटल में यह 1500 रुपया पड़ रहा है। यह आलू तेलंगाना व कोयंबटूर तक जा रहा है।
प्रगतिशील किसान व आलू व्यापारी संजय पालीवाल ने बताया कि पिछले वर्षों में सफेद आलू ख्याती, पुखराज से हालैंड, लाल गुलाल और कंचन आलू 200 रुपये क्विंटल महंगा रहता था। यह गोश्त के साथ बनने में टूटता नहीं है। अरब देशों व पाकिस्तान आदि में लाल आलू न जा पाने से इस बार इसकी मांग घट गई। सफेद आलू से लाल आलू 100 रुपये क्विंटल सस्ता बिक रहा है। इस बार चिपसोना पर भी सफेद आलू भारी है।
