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Farrukhabad News: एक वर्ष में 76 में से सिर्फ 11 की आई विसरा रिपोर्ट
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फर्रुखाबाद। विसरा रिपोर्ट लंबित होने से कई मामलों की जांच लंबित है। एक साल में जिले में लगभग 76 विसरों की रिपोर्ट विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाई जा चुकी हैं। इनमें सिर्फ 11 की ही जांच आई है। अमृतपुर सर्किल क्षेत्र में तो कोई जांच रिपोर्ट ही नहीं आई है।
हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि समय-समय पर वह लोग विधि विज्ञान प्रयोगशाला पत्राचार करते हैं।
मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के गांव बनकटी निवासी रामरतन समेत पांच लोगों के खिलाफ 16 फरवरी 2024 को दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। रामरतन ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव व डीजीपी को आदेश दिए कि विसरा रिपोर्ट जांच अधिकारियों को समय से दिलवाए जाने की व्यवस्था करें।
अक्सर संदिग्ध हालात में मौत के मामलों में पोस्टमार्टम होने के बाद मौत की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। इसके चलते विसरा सुरक्षित कर लिया जाता है। पोस्टमार्टम हाउस से संबंधित थाना पुलिस को विसरा सौंप दिया जाता है।
थानों से विसरा जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाया जाता है। वहां से जांच रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं। इसके चलते मुकदमे की जांच भी प्रभावित होती है। विसरा रिपोर्ट न आने से विवेचक भी मजबूरी में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल नहीं कर पाते हैं। जिले से एक साल में 76 विसरा रिपोर्ट जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाई गईं। इनमें मात्र 11 की रिपोर्ट ही आई है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि महत्वपूर्ण मामलों में विशेष रुचि लेकर जांच जल्दी कराई जाती है। इसके चलते विसरा रिपोर्ट भी जल्द मंगवाने का प्रयास होता है। सामान्य मामलों में विशेष रुचि नहीं दिखाई जाती। सीओ अमृतपुर संजय वर्मा ने बताया कि एक साल में छह विसरा जांच के लिए भेजे हैं लेकिन किसी की रिपोर्ट नहीं आई। अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह ने बताया कि हर थाने से विसरा जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाए जाते हैं। जांच रिपोर्ट मंगवाने के लिए समय-समय पर पत्राचार भी किया जाता है।
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हालांकि विभागीय अधिकारियों का दावा है कि समय-समय पर वह लोग विधि विज्ञान प्रयोगशाला पत्राचार करते हैं।
मोहम्मदाबाद कोतवाली क्षेत्र के गांव बनकटी निवासी रामरतन समेत पांच लोगों के खिलाफ 16 फरवरी 2024 को दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। रामरतन ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
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इसके बाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव व डीजीपी को आदेश दिए कि विसरा रिपोर्ट जांच अधिकारियों को समय से दिलवाए जाने की व्यवस्था करें।
अक्सर संदिग्ध हालात में मौत के मामलों में पोस्टमार्टम होने के बाद मौत की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती। इसके चलते विसरा सुरक्षित कर लिया जाता है। पोस्टमार्टम हाउस से संबंधित थाना पुलिस को विसरा सौंप दिया जाता है।
थानों से विसरा जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाया जाता है। वहां से जांच रिपोर्ट आने में महीनों लग जाते हैं। इसके चलते मुकदमे की जांच भी प्रभावित होती है। विसरा रिपोर्ट न आने से विवेचक भी मजबूरी में आरोपपत्र (चार्जशीट) दाखिल नहीं कर पाते हैं। जिले से एक साल में 76 विसरा रिपोर्ट जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाई गईं। इनमें मात्र 11 की रिपोर्ट ही आई है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि महत्वपूर्ण मामलों में विशेष रुचि लेकर जांच जल्दी कराई जाती है। इसके चलते विसरा रिपोर्ट भी जल्द मंगवाने का प्रयास होता है। सामान्य मामलों में विशेष रुचि नहीं दिखाई जाती। सीओ अमृतपुर संजय वर्मा ने बताया कि एक साल में छह विसरा जांच के लिए भेजे हैं लेकिन किसी की रिपोर्ट नहीं आई। अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. संजय कुमार सिंह ने बताया कि हर थाने से विसरा जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला भिजवाए जाते हैं। जांच रिपोर्ट मंगवाने के लिए समय-समय पर पत्राचार भी किया जाता है।