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Ghazipur News: तीन ट्राॅली बालू न देने पर दुकानदार दोषी, मुआवजा देने का आदेश

Varanasi Bureau वाराणसी ब्यूरो
Updated Mon, 22 Dec 2025 01:05 AM IST
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Shopkeeper found guilty of not delivering three trolleys of sand, ordered to pay compensation
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गाजीपुर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतिवेश आयोग ने शुक्रवार को तीन ट्राॅली लाल बालू की आपूर्ति न करने के मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग की दो सदस्यीय पीठ ने इसे उपभोक्ता के साथ सेवा में कमी और अनुचित व्यापार व्यवहार मानते हुए विपक्षी दुकानदार को दोषी ठहराया है। आयोग के अध्यक्ष सुजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सदस्य रणविजय मिश्रा ने परिवाद संख्या 126/2020 में यह निर्णय 19 दिसंबर को पारित किया। मामला रामा यादव निवासी ग्राम देवली कोरिया, पोस्ट बहादुरगंज, तहसील कासिमाबाद द्वारा दायर किया गया था। परिवादी रामा यादव ने बताया कि फोरम में 25 नवंबर 2020 में परिवाद दाखिल किया था, जिसमें आरोप लगाया कि मकान की मरम्मत व नए निर्माण के लिए उन्होंने जैड बिल्डिंग मैटेरियल, प्रो.नन्हे (फैजान खां के माध्यम से) से तीन ट्राॅली लाल बालू का सौदा किया था।
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प्रति ट्रॉली 2680 रुपये के हिसाब से कुल 8040 रुपये तय हुए। परिवादी ने 4 मई 2012 को अग्रिम और 5 मई 2012 को शेष राशि का भुगतान कर रसीद प्राप्त कर ली, लेकिन इसके बावजूद आज तक बालू की आपूर्ति नहीं की गई। बार-बार मांग और कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद बालू नहीं मिली। आयोग ने दोनों पक्षों के दस्तावेजों और दलीलों का अवलोकन करते हुए पाया कि विपक्षी पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि तीन ट्राली बालू की आपूर्ति वास्तव में की गई थी। प्रस्तुत कार्बन रसीद को संदेहास्पद मानते हुए आयोग ने माना कि परिवादी को बालू नहीं मिली और यह स्पष्ट रूप से सेवा में कमी का मामला है। साथ ही आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मामला समय-सीमा के भीतर दायर किया गया है, क्योंकि अंतिम बार 10 दिसंबर 2019 को बालू देने से इन्कार किया गया था। आयोग ने विपक्षीगण को निर्देश दिया है कि आदेश की तिथि से दो माह के भीतर परिवादी को तीन ट्राॅली लाल बालू उपलब्ध कराएं, यदि बालू उपलब्ध कराना संभव न हो तो वर्तमान दर के अनुसार तीन ट्राॅली बालू की कीमत का भुगतान करें। साथ ही मानसिक व आर्थिक क्षति के लिए 5000 रुपये क्षतिपूर्ति तथा 500 रुपये वाद व्यय के रूप में अदा करें। निर्धारित समय सीमा में आदेश का पालन न होने की स्थिति में परिवादी को विधिक कार्रवाई का अधिकार रहेगा। आदेश की प्रति दोनों पक्षों को निशुल्क उपलब्ध कराने के निर्देश भी आयोग द्वारा दिए गए हैं।
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