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एम्स पर राजनीति छोड़ जमीन दे राज्य सरकार
अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर
Updated Mon, 21 Mar 2016 11:32 PM IST
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महंत आदित्यनाथ
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गोरखपुर। एम्स को लेकर सदर सांसद महंत आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपाइयों ने सोमवार को रेलवे स्टेशन से लेकर डीएम दफ्तर तक पदयात्रा की।
इसके बाद डीएम दफ्तर के सामने आयोजित धरना सभा को संबोधित करते हुए महंत ने कहा कि राज्य सरकार एम्स पर राजनीति छोड़ ऐसी साफ-सुथरी जमीन मुहैया कराए जिसे लेकर कोई विवाद न हो।
उन्होंने कहा कि केंद्र अपना वादा निभाने को तैयार है। बार-बार जमीन की मांग की जा रही है, मगर यह दुखद है कि प्रदेश की सपा सरकार इस दिशा में कोई ठोस पहल करने के बजाए लगातार जनता को गुमराह कर रही है।
प्रदेश सरकार ने केंद्र को ऐसी जमीन का प्रस्ताव दिया है जो न केवल विवादित है बल्कि वहां फोरलेन कनेक्टीविटी और बिजली, पानी की भी कोई माकूल व्यवस्था नहीं है।
एम्स स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन समेत अन्य जरूरी संसाधन मुहैया कराने के लिए महंत ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भी भेजा।
रेलवे स्टेशन से ट्रैफिक चौराहा, काली मंदिर, गणेश चौराहा, कचहरी चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची इस यात्रा में गोरखपुर मंडल समेत पूर्वांचल के कई जिलों के विभिन्न हिन्दू संगठनों के नेता शामिल थे।
सभा को संबोधित करते हुए महंत ने आगे कहा कि एम्स को लेकर प्रदेश सरकार की किसी भी तरह की साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गोरखपुर में एम्स की स्थापना न केवल पूर्वी उप्र के विकास से जुड़ी है बल्कि गोरखपुर, बस्ती तथा आजमगढ़ मंडल के साथ ही देवीपाटन मंडल, पश्चिमोत्तर बिहार तथा नेपाल की तराई के एक बड़े भूभाग की लगभग पांच करोड़ की आबादी को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से भी जरूरी है।
महंत ने कहा कि यही वजह है कि गोरखपुर को ध्यान में रखकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 सांसदों ने फरवरी, 2015 में उनके साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एम्स मुद्दे पर मिले थे।
इस अपील पर ही केन्द्र सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए स्वीकृत एम्स गोरखपुर को उपलब्ध कराया। एम्स स्थापना के लिए जो मानक है वह पहले से ही स्पष्ट है कि जिस राज्य में एम्स की स्थापना होनी है उस राज्य सरकार को 200 एकड़ भूमि, फ ोरलेन कनेक्टीविटी के साथ जल आपूर्ति एवं विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने का शपथ पत्र केन्द्र सरकार को देना होता है।
सवाल उठाते हुए कहा कि क्या कारण है कि प्रदेश सरकार लगातार गलत बयानबाजी करके गोरखपुर में एम्स स्थापना से संबंधित कोई ठोस प्रस्ताव केन्द्र सरकार को उपलब्ध नहीं करा पाई? जबकि फरवरी 2015 से दिसंबर,2015 तक केन्द्र सरकार ने चार पत्र प्रदेश सरकार को लिखें।
धरना सभा को विधायक संत प्रसाद, पूर्व विधायक बजरंग बहादुर सिंह, मेयर सत्या पांडेय, पूर्व मेयर अंजू चौधरी, भाजपा खेलकूद प्रकोष्ट के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश सिंह पहलवान, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र दत्त शुक्ल, विश्व हिन्दू महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भिखारी प्रजापति आदि ने भी संबोधित किया।
इसके बाद डीएम दफ्तर के सामने आयोजित धरना सभा को संबोधित करते हुए महंत ने कहा कि राज्य सरकार एम्स पर राजनीति छोड़ ऐसी साफ-सुथरी जमीन मुहैया कराए जिसे लेकर कोई विवाद न हो।
उन्होंने कहा कि केंद्र अपना वादा निभाने को तैयार है। बार-बार जमीन की मांग की जा रही है, मगर यह दुखद है कि प्रदेश की सपा सरकार इस दिशा में कोई ठोस पहल करने के बजाए लगातार जनता को गुमराह कर रही है।
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प्रदेश सरकार ने केंद्र को ऐसी जमीन का प्रस्ताव दिया है जो न केवल विवादित है बल्कि वहां फोरलेन कनेक्टीविटी और बिजली, पानी की भी कोई माकूल व्यवस्था नहीं है।
एम्स स्थापना के लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन समेत अन्य जरूरी संसाधन मुहैया कराने के लिए महंत ने जिला प्रशासन के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन भी भेजा।
रेलवे स्टेशन से ट्रैफिक चौराहा, काली मंदिर, गणेश चौराहा, कचहरी चौराहा होते हुए कलेक्ट्रेट पहुंची इस यात्रा में गोरखपुर मंडल समेत पूर्वांचल के कई जिलों के विभिन्न हिन्दू संगठनों के नेता शामिल थे।
सभा को संबोधित करते हुए महंत ने आगे कहा कि एम्स को लेकर प्रदेश सरकार की किसी भी तरह की साजिश बर्दाश्त नहीं की जाएगी। गोरखपुर में एम्स की स्थापना न केवल पूर्वी उप्र के विकास से जुड़ी है बल्कि गोरखपुर, बस्ती तथा आजमगढ़ मंडल के साथ ही देवीपाटन मंडल, पश्चिमोत्तर बिहार तथा नेपाल की तराई के एक बड़े भूभाग की लगभग पांच करोड़ की आबादी को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने की दृष्टि से भी जरूरी है।
महंत ने कहा कि यही वजह है कि गोरखपुर को ध्यान में रखकर पूर्वी उत्तर प्रदेश के 12 सांसदों ने फरवरी, 2015 में उनके साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से एम्स मुद्दे पर मिले थे।
इस अपील पर ही केन्द्र सरकार ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए स्वीकृत एम्स गोरखपुर को उपलब्ध कराया। एम्स स्थापना के लिए जो मानक है वह पहले से ही स्पष्ट है कि जिस राज्य में एम्स की स्थापना होनी है उस राज्य सरकार को 200 एकड़ भूमि, फ ोरलेन कनेक्टीविटी के साथ जल आपूर्ति एवं विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने का शपथ पत्र केन्द्र सरकार को देना होता है।
सवाल उठाते हुए कहा कि क्या कारण है कि प्रदेश सरकार लगातार गलत बयानबाजी करके गोरखपुर में एम्स स्थापना से संबंधित कोई ठोस प्रस्ताव केन्द्र सरकार को उपलब्ध नहीं करा पाई? जबकि फरवरी 2015 से दिसंबर,2015 तक केन्द्र सरकार ने चार पत्र प्रदेश सरकार को लिखें।
धरना सभा को विधायक संत प्रसाद, पूर्व विधायक बजरंग बहादुर सिंह, मेयर सत्या पांडेय, पूर्व मेयर अंजू चौधरी, भाजपा खेलकूद प्रकोष्ट के राष्ट्रीय सह संयोजक राकेश सिंह पहलवान, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र दत्त शुक्ल, विश्व हिन्दू महासंघ उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष भिखारी प्रजापति आदि ने भी संबोधित किया।