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Hamirpur News: तारीख पड़ी न हुई सुनवाई, पति के कर्ज से निजात पाई
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर
Updated Sun, 14 Dec 2025 12:49 AM IST
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हमीरपुर। कोई तारीख पड़ी न ही सुनवाई हुई और लोक अदालत में वाद निपट गया। इससे कर्जदार छुटकारा पाकर खुशी-खुशी अपने घर को लौट गए।
शनिवार को दीवानी न्यायालय सभागार में लोक अदालत का आयोजन किया गया। राठ निवासी कर्जदार सुखवती भी लोक अदालत की नोटिस मिलने पर आई। बताया कि उसके पति कृष्ण मुरारी ने आर्यावर्त बैंक शाखा धनौरी से फरवरी 2015 में 1.12 लाख रुपये का केसीसी बनवाया था, इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। कर्ज के बारे में अभी तक उसे जानकारी ही नहीं हुई। लोक अदालत की नोटिस पहुंचने के बाद उसे कर्ज की चिंता हुई, जो 10 साल में बढ़कर 1.79 लाख रुपये हो गया है। किसी तरह पैसे का बंदोबस्त करके 30 हजार में पूरा कर्ज निपट गया है।
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पिता ने लिया कर्ज, बेटों ने चुकाया
अरतरा गांव निवासी संजय, बसंत व सुशील ने बताया कि उनके पिता बलराम दुबे ने आर्यावर्त बैंक से अक्तूबर 2013 में 2.87 लाख रुपये का कर्ज लिया था। घरेलू समस्याओं के चलते पिता कर्ज नहीं भर पाए और उनकी वर्ष 2017 में मौत हो गई, इसके बाद साल 2019 में उनकी मां गुजर गईं। बैंक का कर्ज बढ़कर 9.22 लाख रुपये से अधिक पहुंच गया। लोक अदालत की नोटिस मिलने पर तीनों भाइयाें ने मिलकर कुल 80 हजार में समझौता कर कर्ज से छुटकारा पाया है।
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70 हजार में नहीं बनी बात
सुमेरपुर क्षेत्र के पत्योरा गांव निवासी अब्दुल हकीम भी परेशान दिखे। बताया कि उसके पिता कलुवा ने वर्ष 2016-17 में केनरा बैंक से 90 हजार का कर्ज लिया था। जो बढ़कर सवा लाख से ऊपर पहुंच गया है। 20 हजार रुपये एक बार जमा भी कर चुके हैं। बैंक की मैडम 90 हजार रुपये जमा करने को कह रही थी, लेकिन उसके पास इतने 70 हजार रुपये की व्यवस्था थी। बात नहीं बन सकी है।
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लोक अदालत में 18,626 वादों का हुआ निस्तारण
- न्यायालय, राजस्व व बैंक द्वारा कुल 11.48 करोड़ से अधिक की धनराशि हुई प्राप्त
हमीरपुर। न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला जज मनोज कुमार राय की देखरेख में लोक अदालत में कुल 18,626 वादों का निपटारा सुलह-समझौता के आधार पर कराया गया। न्यायालय, राजस्व व बैंक द्वारा कुल 11.48 करोड़ से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश से एक, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय से 22, मोटर दुर्घटना 50, अपर जिला न्यायाधीश प्रथम 90, डकैती कोर्ट 03, पॉक्सो एक्ट 03, सीजीएम 741, सिविल जज (सीडि.) 108, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट 553, सिविल जज (जूडि) 663, सिविल जज (सीडि) 114 सहित सभी न्यायालयों से कुल 4,344 वाद निस्तारित किए गए। राजस्व विभाग द्वारा 13,597 वादों का निस्तारण किया गया। एलडीएम संगम लाल मिश्रा के अनुसार सभी बैंकों के कुल 22,621 मामलों में से 674 वादों का निस्तारण कराया गया। कुल 18,626 वादों का निस्तारण किया गया।
इस मौके पर सक्षम संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथि देव सिंह सोनी, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय ज्ञान प्रकाश सिंह, एमसीटी से अरुण कुमार मल्ल, बार संघ अध्यक्ष महेंद्र सिंह, न्यायाधीश उदय वीर सिंह, प्रमोद कुमार, लोक अदालत के नोडल अनिल कुमार खरवार, रनवीर सिंह, कीर्ति माला सिंह, विनय कुमार सिह, निहारिका जायसवाल, अभिषेक त्रिपाठी, महेंद्र कुमार पांडेय सहित सभी न्यायाधीश मौजूद रहे।
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शनिवार को दीवानी न्यायालय सभागार में लोक अदालत का आयोजन किया गया। राठ निवासी कर्जदार सुखवती भी लोक अदालत की नोटिस मिलने पर आई। बताया कि उसके पति कृष्ण मुरारी ने आर्यावर्त बैंक शाखा धनौरी से फरवरी 2015 में 1.12 लाख रुपये का केसीसी बनवाया था, इसके बाद उनकी मौत हो गई थी। कर्ज के बारे में अभी तक उसे जानकारी ही नहीं हुई। लोक अदालत की नोटिस पहुंचने के बाद उसे कर्ज की चिंता हुई, जो 10 साल में बढ़कर 1.79 लाख रुपये हो गया है। किसी तरह पैसे का बंदोबस्त करके 30 हजार में पूरा कर्ज निपट गया है।
पिता ने लिया कर्ज, बेटों ने चुकाया
अरतरा गांव निवासी संजय, बसंत व सुशील ने बताया कि उनके पिता बलराम दुबे ने आर्यावर्त बैंक से अक्तूबर 2013 में 2.87 लाख रुपये का कर्ज लिया था। घरेलू समस्याओं के चलते पिता कर्ज नहीं भर पाए और उनकी वर्ष 2017 में मौत हो गई, इसके बाद साल 2019 में उनकी मां गुजर गईं। बैंक का कर्ज बढ़कर 9.22 लाख रुपये से अधिक पहुंच गया। लोक अदालत की नोटिस मिलने पर तीनों भाइयाें ने मिलकर कुल 80 हजार में समझौता कर कर्ज से छुटकारा पाया है।
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70 हजार में नहीं बनी बात
सुमेरपुर क्षेत्र के पत्योरा गांव निवासी अब्दुल हकीम भी परेशान दिखे। बताया कि उसके पिता कलुवा ने वर्ष 2016-17 में केनरा बैंक से 90 हजार का कर्ज लिया था। जो बढ़कर सवा लाख से ऊपर पहुंच गया है। 20 हजार रुपये एक बार जमा भी कर चुके हैं। बैंक की मैडम 90 हजार रुपये जमा करने को कह रही थी, लेकिन उसके पास इतने 70 हजार रुपये की व्यवस्था थी। बात नहीं बन सकी है।
लोक अदालत में 18,626 वादों का हुआ निस्तारण
- न्यायालय, राजस्व व बैंक द्वारा कुल 11.48 करोड़ से अधिक की धनराशि हुई प्राप्त
हमीरपुर। न्यायालय परिसर में शनिवार को जिला जज मनोज कुमार राय की देखरेख में लोक अदालत में कुल 18,626 वादों का निपटारा सुलह-समझौता के आधार पर कराया गया। न्यायालय, राजस्व व बैंक द्वारा कुल 11.48 करोड़ से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश से एक, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय से 22, मोटर दुर्घटना 50, अपर जिला न्यायाधीश प्रथम 90, डकैती कोर्ट 03, पॉक्सो एक्ट 03, सीजीएम 741, सिविल जज (सीडि.) 108, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट 553, सिविल जज (जूडि) 663, सिविल जज (सीडि) 114 सहित सभी न्यायालयों से कुल 4,344 वाद निस्तारित किए गए। राजस्व विभाग द्वारा 13,597 वादों का निस्तारण किया गया। एलडीएम संगम लाल मिश्रा के अनुसार सभी बैंकों के कुल 22,621 मामलों में से 674 वादों का निस्तारण कराया गया। कुल 18,626 वादों का निस्तारण किया गया।
इस मौके पर सक्षम संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष व विशिष्ट अतिथि देव सिंह सोनी, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय ज्ञान प्रकाश सिंह, एमसीटी से अरुण कुमार मल्ल, बार संघ अध्यक्ष महेंद्र सिंह, न्यायाधीश उदय वीर सिंह, प्रमोद कुमार, लोक अदालत के नोडल अनिल कुमार खरवार, रनवीर सिंह, कीर्ति माला सिंह, विनय कुमार सिह, निहारिका जायसवाल, अभिषेक त्रिपाठी, महेंद्र कुमार पांडेय सहित सभी न्यायाधीश मौजूद रहे।
