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Hapur News: कथा में भजनों की धुन पर थिरके श्रद्धालु
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संवाद न्यूज एजेंसी
हापुड़। गढ़ रोड स्थित राम मंदिर के पास आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बृहस्पतिवार को जीवन के वास्तविक उद्देश्य, भगवन्नाम के महत्व की निर्मलता की ओर उन्मुख किया। भजन, कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन में भजनों की धुन पर श्रद्धालु थिरके।
पुंडरीक गोस्वामी महाराज ने बताया कि मनुष्य का सच्चा सौभाग्य प्रभु के चरणों में निष्काम भक्ति और सतत स्मरण से ही जागृत होता है। जीवन की सभी उपलब्धियां तभी सार्थक हैं जब उनका केंद्र भगवान हों और अहंकार, द्वेष व ईर्ष्या जैसे आंतरिक शत्रुओं का त्याग किया जाए। भागवत भक्ति का मूल स्वरूप विनम्रता, करुणा और सेवा भावना है।
भगवद्-कथा केवल सुनने का विषय नहीं, बल्कि जीवन में उतारने योग्य आचरण-संहिता है, जो मन, वाणी और कर्म तीनों को पवित्र बनाती है। डिजिटल युग में भी भक्ति और चरित्र निर्माण की आवश्यकता पहले से अधिक है, क्योंकि भटकाव के साधन बढ़ गए हैं। ऐसे समय में श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथ जीवन को सही दिशा देते हैं।
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हापुड़। गढ़ रोड स्थित राम मंदिर के पास आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में बृहस्पतिवार को जीवन के वास्तविक उद्देश्य, भगवन्नाम के महत्व की निर्मलता की ओर उन्मुख किया। भजन, कीर्तन और हरिनाम संकीर्तन में भजनों की धुन पर श्रद्धालु थिरके।
पुंडरीक गोस्वामी महाराज ने बताया कि मनुष्य का सच्चा सौभाग्य प्रभु के चरणों में निष्काम भक्ति और सतत स्मरण से ही जागृत होता है। जीवन की सभी उपलब्धियां तभी सार्थक हैं जब उनका केंद्र भगवान हों और अहंकार, द्वेष व ईर्ष्या जैसे आंतरिक शत्रुओं का त्याग किया जाए। भागवत भक्ति का मूल स्वरूप विनम्रता, करुणा और सेवा भावना है।
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भगवद्-कथा केवल सुनने का विषय नहीं, बल्कि जीवन में उतारने योग्य आचरण-संहिता है, जो मन, वाणी और कर्म तीनों को पवित्र बनाती है। डिजिटल युग में भी भक्ति और चरित्र निर्माण की आवश्यकता पहले से अधिक है, क्योंकि भटकाव के साधन बढ़ गए हैं। ऐसे समय में श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथ जीवन को सही दिशा देते हैं।