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Hardoi News: हिंदी, सिर्फ भाषा नहीं भारत की आत्मा, संस्कृति और परंपराओं को है दर्शाती
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फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं
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हरदोई। हिंदी सिर्फ भाषा नहीं भारत की आत्मा है। कवियों और साहित्यकारों का मानना है कि भाषा वही जीवित रहती है जिसे जनता प्रयोग करती है। हिंदी संस्कृति, संस्कारों, परंपराओं और भावनाओं को दर्शाती है।
आज राष्ट्रीय हिंदी दिवस है। वैसे तो सभी दिन हिंदी बोलचाल और लिखापढ़ी में प्रयोग की जाती है। 14 सितंबर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिए जाने की याद दिलाता है और उसके महत्व को दर्शाता है। जिले के उदीयमान कवियों और साहित्यकारों ने बातचीत में हिंदी को महत्व को रेखांकित किया। वहीं, हिंदी को सच्चे मायने में राष्ट्रभाषा मानने की बात कही, सरकारी विभागों के सभी पत्राचार और आदेश आदि हिंदी में ही पारित करने को कहा।
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कवि गीतेश दीक्षित ने बताया कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन के संस्कारों और संस्कृति की सच्ची संवाहक और परिचायक भी है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी है। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में एकता की भावना और मजबूत होगी।
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हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर कवियों ने भी अपने विचार साझा किए। कवि अजीत शुक्ल ने कहा कि भारत मां के मस्तक पर शोभायमान जो बिंदी है, वह सरल, सरस और मधुरमयी सबसे न्यारी हिंदी है। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उस देश के लोगों के लिए गौरव, एकता, अखंडता और अस्मिता का प्रतीक होती है। हिंदी हमारी संस्कृति की संवाहक है। देश को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए हिंदी भाषा की महती आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को हिंदी के संवर्धन के लिए आगे आना चाहिए।
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शिक्षक व साहित्यकार डॉ. श्वेता सिंह गौर ने कहा कि हिंदी अपने ही घर में बेगानी सी हो गई है। हिंदी में हस्ताक्षर करने वाले को लोग अलग दृष्टि से देखते हैं जबकि अधकचरी भी अंग्रेजी बोलने वाला व्यक्ति संभ्रांत समझ जाता है। प्रत्येक साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन कर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री करते हैं। दिवस व पखवाड़ा के आयोजन से नहीं सरकारी विभागों के आदेश और पत्राचार हिंदी में ही किए जाएं। सभी संस्थाओं में हिंदी के प्रयोग को अनिवार्य किया जाए।
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कवि राजेश बाबू अवस्थी ने बताया कि हिंदी भाषा का अपना अलग ही महत्व है। उन्होंने अपनी एक रचना से हिंदी के महत्व को समझाया। सुनाया कि जिसे निज संस्कृतियों पर सजी बिंदी नहीं भाती। जिसे गंगा, त्रिवेणी और कालिंदी नहीं भाती। नहीं अधिकार है उसको कहाए हिंद का बेटा। जिसे निज मातृ भाषा बोलनी हिंदी नहीं आती।
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कवि वैभव शुक्ला ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी हिंदी को सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि अपनी पहचान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी मानती है। हालांकि, वह अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं का प्रयोग करते हैं। हिंदी उनके लिए संवाद का एक ऐसा माध्यम जिसे सोशल मीडिया, ब्लॉग और पॉडकास्ट में अधिकाधिक प्रयोग करते हैं। जोकि यह दर्शाता है कि युवा इसे आधुनिकता के साथ जोड़ रहे हैं। युवा पीढ़ी हिंदी गीत, कविता और कहानियों में खूब रुचि दिखा रहे हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि युवा पीढ़ी में अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पण और श्रद्धा है।
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सीएसएन पीजी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार राय ने बताया कि हिंदी सिर्फ भाषा नहीं अपितु पूरे देश की एकता का सूत्र है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी के माध्यम से पूरी दुनिया में भारत का मस्तक ऊंचा किया है। अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, न्याय व चिकित्सा के क्षेत्र में मातृभाषा हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग से ही हम विकसित भारत की संकल्पना को सच्चे अर्थों में मूर्त कर सकते हैं।

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आज राष्ट्रीय हिंदी दिवस है। वैसे तो सभी दिन हिंदी बोलचाल और लिखापढ़ी में प्रयोग की जाती है। 14 सितंबर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिए जाने की याद दिलाता है और उसके महत्व को दर्शाता है। जिले के उदीयमान कवियों और साहित्यकारों ने बातचीत में हिंदी को महत्व को रेखांकित किया। वहीं, हिंदी को सच्चे मायने में राष्ट्रभाषा मानने की बात कही, सरकारी विभागों के सभी पत्राचार और आदेश आदि हिंदी में ही पारित करने को कहा।
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कवि गीतेश दीक्षित ने बताया कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन के संस्कारों और संस्कृति की सच्ची संवाहक और परिचायक भी है। भाषा वही जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिंदी है। हिंदी भाषा के प्रसार से पूरे देश में एकता की भावना और मजबूत होगी।
हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर कवियों ने भी अपने विचार साझा किए। कवि अजीत शुक्ल ने कहा कि भारत मां के मस्तक पर शोभायमान जो बिंदी है, वह सरल, सरस और मधुरमयी सबसे न्यारी हिंदी है। किसी भी देश की राष्ट्रभाषा उस देश के लोगों के लिए गौरव, एकता, अखंडता और अस्मिता का प्रतीक होती है। हिंदी हमारी संस्कृति की संवाहक है। देश को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए हिंदी भाषा की महती आवश्यकता है। युवा पीढ़ी को हिंदी के संवर्धन के लिए आगे आना चाहिए।
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शिक्षक व साहित्यकार डॉ. श्वेता सिंह गौर ने कहा कि हिंदी अपने ही घर में बेगानी सी हो गई है। हिंदी में हस्ताक्षर करने वाले को लोग अलग दृष्टि से देखते हैं जबकि अधकचरी भी अंग्रेजी बोलने वाला व्यक्ति संभ्रांत समझ जाता है। प्रत्येक साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस का आयोजन कर हम अपने कर्तव्य की इतिश्री करते हैं। दिवस व पखवाड़ा के आयोजन से नहीं सरकारी विभागों के आदेश और पत्राचार हिंदी में ही किए जाएं। सभी संस्थाओं में हिंदी के प्रयोग को अनिवार्य किया जाए।
कवि राजेश बाबू अवस्थी ने बताया कि हिंदी भाषा का अपना अलग ही महत्व है। उन्होंने अपनी एक रचना से हिंदी के महत्व को समझाया। सुनाया कि जिसे निज संस्कृतियों पर सजी बिंदी नहीं भाती। जिसे गंगा, त्रिवेणी और कालिंदी नहीं भाती। नहीं अधिकार है उसको कहाए हिंद का बेटा। जिसे निज मातृ भाषा बोलनी हिंदी नहीं आती।
कवि वैभव शुक्ला ने बताया कि आज की युवा पीढ़ी हिंदी को सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि अपनी पहचान और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी मानती है। हालांकि, वह अंग्रेजी और अन्य विदेशी भाषाओं का प्रयोग करते हैं। हिंदी उनके लिए संवाद का एक ऐसा माध्यम जिसे सोशल मीडिया, ब्लॉग और पॉडकास्ट में अधिकाधिक प्रयोग करते हैं। जोकि यह दर्शाता है कि युवा इसे आधुनिकता के साथ जोड़ रहे हैं। युवा पीढ़ी हिंदी गीत, कविता और कहानियों में खूब रुचि दिखा रहे हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि युवा पीढ़ी में अपनी मातृभाषा के प्रति समर्पण और श्रद्धा है।
सीएसएन पीजी कॉलेज के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. दीपक कुमार राय ने बताया कि हिंदी सिर्फ भाषा नहीं अपितु पूरे देश की एकता का सूत्र है। राष्ट्र पिता महात्मा गांधी से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री मोदी ने हिंदी के माध्यम से पूरी दुनिया में भारत का मस्तक ऊंचा किया है। अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, न्याय व चिकित्सा के क्षेत्र में मातृभाषा हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के प्रयोग से ही हम विकसित भारत की संकल्पना को सच्चे अर्थों में मूर्त कर सकते हैं।
फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं
फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं
फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं
फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं
फोटो 28: गीतेश दीक्षित। स्रोत : स्वयं