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Jalaun News: डकैत मंगली केवट की निषाद पार्टी में जाने की तैयारी

Kanpur	 Bureau कानपुर ब्यूरो
Updated Tue, 25 Nov 2025 02:16 AM IST
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Dacoit Mangali Kewat is preparing to join the Nishad Party.
फोटो - 02 पत्नी मालती देवी के साथ डकैत मंगली केवट। संवाद
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उरई। 19 साल बाद जेल से छूटे कुख्यात डकैत मंगली केवट निषाद पार्टी से राजनीति में कदम रखने की तैयारी में है। केवट का कहना है कि वह पार्टी के नेताओं के संपर्क में है। उसका कहना है कि जुर्म के रास्ते में कुछ हासिल नहीं हो सकता। अब वह राजनीति के माध्यम से समाजसेवा करना चाहता है।
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कुठौंद ब्लॉक के विजवाहा गांव निवासी मंगली केवट के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इस पर उसने मजदूरी कर भरण पोषण कर करना शुरू किया। गांव की छोटी-छोटी लड़ाइयों की रंजिश के चलते गांव के लोगों ने उसकी शिकायतें कुठौंद थाने में करना शुरू कर दिया। उसके ऊपर कई मुकदमे लिखवाए गए। इसी दौरान उसके गांव में निर्भय सिंह गुर्जर गैंग ने चार लोगों की पकड़ कर ली थी। इसमें गांव के लोगों ने उसका नाम भी अपहरण करने में लिखवा दिया। इससे पुलिस उसे परेशान करने लगी थी।
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वर्ष 1999 में वह बीहड़ में कूद गया। इसी दौरान उसकी मुलाकात डकैत निर्भय सिंह गुर्जर से हुई। निर्भय ने उसे सहयोग संरक्षण देकर उसका गैंग बनवाया। इसके बाद मंगली केवट ने अपहरण कर फिरौती वसूलने लगा। कई वर्षों तक कानपुर देहात, जालौन, औरैया, इटावा व चंबल के बीहड़ों में रहकर अपराध किए। इस दौरान पुलिस ने उसकी पत्नी व बच्चों को परेशान करना शुरू कर दिया।
मंगली ने पत्नी मालती केवट को गैंग में शामिल कर लिया। इस दौरान उस पर लगभग 50 मुकदमे दर्ज हुए। वर्ष 2006 में कानपुर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसकी पत्नी मालती केवट भी पकड़ ली थी। कोर्ट ने दोनों को कई मामलों में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सजा के दौरान उसे कानपुर देहात, कानपुर नगर व उरई जेल में रखा गया। जेल में उसके अच्छे आचरण को देखते हुए कानपुर देहात जेल प्रशासन ने 19 साल बाद उसे रिहा कर दिया। जेल में बंद उसकी पत्नी मालती भी दो माह पहले सजा पूरी हो जाने के बाद जेल से रिहा हो चुकी है। मंगली व मालती ने बताया कि वह अब बच्चों के साथ निषाद पार्टी के जरिये राजनीति में कदम रखेगा। वह पार्टी के नेताओं के संपर्क में है।



गांव में दूध बेचकर करता था गुजारा, पुलिस ने किया परेशान तो बीहड़ में कूदा
मंगली ने बताया कि परिवार चलाने के लिए वह गांव में खोया और दूध बेचता था। उसने आगरा सहित अन्य जगह पर रहकर मजदूरी व पल्लेदारी भी की लेकिन गांव में उससे रंजिश मानने वाले लोग उसकी थाने शिकायतें करते रहे। पुलिस उसके परिवार को परेशान करने लगी तो वह बागी हो गया। केवट ने बताया कि वह वर्ष 2001 में बीहड़ में उतरा था। वर्ष 2006 तक जंगलों में रहकर अपने गैंग के साथ अपरहण कर फिरौती वसूली करता था। उसके गैंग के साथी पकड़ लाकर उसे देते थे। इसके बाद फिरौती में जो भी मिलता था। उससे गैंग का खर्चा काटकर सदस्यों को बांट दिया जाता था। अपने डकैती जीवन में उसने कभी महिलाओं व गरीबों का शोषण न किया न होने दिया।


जेल में बंदी को आत्महत्या करने से बचाया, तो मिला सम्मान
मंगली व उसकी पत्नी मालती केवट ने बताया कि जेल में बंदियों और कैदियों के साथ अच्छा व्यवहार किया। एक कैदी ने जेल में फंदा लगाने का प्रयास किया लेकिन मंगली से उसे बचा लिया। जेल अधीक्षक ने मंगली को पुरस्कार भी दिया था। मालती ने बताया कि जेल में महिला बंदियों की उसने अपने सजा के दौरान काफी सेवा की।



मंगली के ऊपर तीन मामले अभी विचाराधीन
डकैत मंगली केवट को भले ही रिहाई मिल गई हो लेकिन उसके ऊपर अभी भी तीन मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। मंगली ने बताया कि उस पर उरई में पुलिस मुठभेड़, औरैया में गैंगस्टर व कानपुर में मारपीट का मामला विचाराधीन है। अन्य मामलों में वह दोषमुक्त हो चुका है।

फोटो - 02 पत्नी मालती देवी के साथ डकैत मंगली केवट। संवाद

फोटो - 02 पत्नी मालती देवी के साथ डकैत मंगली केवट। संवाद

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