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Corruption: पीएम फसल बीमा योजना...वास्तविक किसान को मिला तीन रुपया, जालसाज के खाते में पहुंचा 1.46 लाख
अमर उजाला नेटवर्क, झांसी
Published by: दीपक महाजन
Updated Sun, 21 Dec 2025 08:00 AM IST
सार
पीएम फसल बीमा योजना में करोड़ों रुपये के गोलमाल का खुलासा हुआ है। कागजों में फसल बोने वाले जालसाजों के खाते में लाखों रुपये पहुंच गए। जबकि जिन किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई उनको चंद रुपये ही मिल सके।
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बीमा में बेईमानी।
- फोटो : amar ujala
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विस्तार
पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत किसानों को नुकसान से बचाने के इरादे से हुई थी लेकिन जमीनी स्तर पर इसका उल्टा हुआ। फसल खराब होने से जिनको वास्तविक नुकसान हुआ उनमें सैकड़ों किसान ऐसे हैं जिनको महज तीन से 800 रुपये की भरपाई से ही संतोष करना पड़ा जबकि कागजों में फसल बोने वाले जालसाजों के खाते में लाखों रुपये पहुंचे। इन सभी खातों की पड़ताल कराई जा रही है।
रबी सीजन (2024) में हुए करोड़ों रुपये के गोलमाल का अब खुलासा हुआ है। नयागांव, बाजना, डगरवाहा, अक्सेव, अलमपुरा, अटारिया, बराठा, बिजौरा, बिलाटी करके, चिरौरा खुर्द समेत कई गांव में खेती के कुल रकबे से करीब दो गुना रकबे का बीमा कर दिया गया। कागजों में फसली रकबा बढ़ने से जालसाजों के खातों में लाखों रुपये पहुंचे जबकि जिनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई उनको चंद रुपये ही मिल सके।
एक-एक रुपये का दिया क्लेम
गरौठा के देवरी सिंह पुरा निवासी पुष्पेंद्र कुमार को दस गाटे में हुए फसल नुकसान पर एक रुपये से 842 रुपये का बीमा क्लेम मिला। उनके तीन गाटों में हुए नुकसान पर एक-एक रुपये का क्लेम दिया गया जबकि तीन अलग-अलग गाटों में नुकसान की भरपाई के तौर पर 311, 452 एवं 842 रुपये दिए गए। एक गाटे पर महज पांच रुपये का नुकसान माना गया। फर्जीवाड़े में सामने आए नयागांव में सुशीला देवी की आईडी पर अजहर खान की खतौनी से 1,65,049 लाख रुपये हड़प लिए गए। नयागांव में ही सरकारी बंजर जमीन की खतौनी लगाकर 1,73,666 रुपये गटक गए। इस तरह के सैकड़ों मामले अब उजागर हो रहे हैं। उपनिदेशक महेंद्र पाल सिंह का कहना है कि एक सप्ताह में जांच टीम अपनी रिपोर्ट देगी। जालसाजी में इस्तेमाल हुए बैंक खाते भी तलाशे जा रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
कृषि योग्य भूमि से अधिक रकबे का हो गया बीमा
छानबीन के दौरान कई चौंकाने वाली बात उजागर हुई। हैरानी की बात यह कि बीमा पोर्टल पर ही जनपद में कुल कृषि योग्य जमीन से अधिक रकबे का बीमा कर दिया गया। बीमा पोर्टल पर अपलोड दस्तावेज खंगालने पर मालूम चला कि जालसाजों ने खतौनी के साथ खसरे में भी जमकर फर्जीवाड़ा किया। अधिक रकम हड़पने के लिए पोर्टल पर कूटरचित खसरा अपलोड कर दिए। नतीजा यह हुआ कि गांव में जितनी कृषि योग्य जमीन नहीं थी, उससे कई गुना अधिक का बीमा क्लेम सरकार को बांटना पड़ा। अमर उजाला में इसका भंडाफोड़ होने के बाद तहसीलवार इसकी जांच कराई जा रही है।
सांसद के रिश्तेदारों के नाम की जमीन के सहारे हड़पा 3.24 लाख का क्लेम
सांसद अनुराग शर्मा की जमीन ही नहीं बल्कि बीमा क्लेम हड़पने में जालसाजों ने उनके रिश्तेदारों की जमीन का भी सहारा लिया। छानबीन के दौरान यह बात भी सामने आई कि सांसद अनुराग शर्मा के चाचा बृजेंद्र कुमार शर्मा के नाम नया गांव में खाता संख्या 00204 ग्रामकोड 218677 में 0.1210 हेक्टेयर जमीन दर्ज है। इस जमीन पर फार्मर आईडी 11660481 के सहारे शिव कुमार एवं फार्मर आईडी 12345626 के जरिये पूनम देवी ने बीमा कराकर रबी सीजन में अलग-अलग 1,62,265 रुपये हड़प लिया। सांसद अनुराग शर्मा के नाम दर्ज जमीन पर भी इसी तरह जालौन निवासी ऋतिक तिवारी ने फर्जीवाड़ा करके बीमा क्लेम हड़प लिया था।
इस तरह से हुआ फर्जीवाड़ा
रबी सीजन में सर्वाधिक रकम 81,110 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मटर के बीमा पर दी जा रही है। अगर किसी किसान के पास 0.15830 हेक्टेयर जमीन है और माना जाए कि अतिवृष्टि के चलते उसकी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई तो उसे अधिकतम 12838 रुपये का क्लेम मिलना चाहिए था। लेकिन जालसाजों ने 0.15830 हेक्टेयर के खसरे में फर्जीवाड़ा कर जमीन बढ़ा दी। इस वजह से उनके खाते में 1,64,000 रुपये तक की राशि आ गई। सांठगांठ के चलते न लेखपाल ने सत्यापन किया और न ही बीमा कंपनी ने कागजों को चेक किया।
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रबी सीजन (2024) में हुए करोड़ों रुपये के गोलमाल का अब खुलासा हुआ है। नयागांव, बाजना, डगरवाहा, अक्सेव, अलमपुरा, अटारिया, बराठा, बिजौरा, बिलाटी करके, चिरौरा खुर्द समेत कई गांव में खेती के कुल रकबे से करीब दो गुना रकबे का बीमा कर दिया गया। कागजों में फसली रकबा बढ़ने से जालसाजों के खातों में लाखों रुपये पहुंचे जबकि जिनकी फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई उनको चंद रुपये ही मिल सके।
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एक-एक रुपये का दिया क्लेम
गरौठा के देवरी सिंह पुरा निवासी पुष्पेंद्र कुमार को दस गाटे में हुए फसल नुकसान पर एक रुपये से 842 रुपये का बीमा क्लेम मिला। उनके तीन गाटों में हुए नुकसान पर एक-एक रुपये का क्लेम दिया गया जबकि तीन अलग-अलग गाटों में नुकसान की भरपाई के तौर पर 311, 452 एवं 842 रुपये दिए गए। एक गाटे पर महज पांच रुपये का नुकसान माना गया। फर्जीवाड़े में सामने आए नयागांव में सुशीला देवी की आईडी पर अजहर खान की खतौनी से 1,65,049 लाख रुपये हड़प लिए गए। नयागांव में ही सरकारी बंजर जमीन की खतौनी लगाकर 1,73,666 रुपये गटक गए। इस तरह के सैकड़ों मामले अब उजागर हो रहे हैं। उपनिदेशक महेंद्र पाल सिंह का कहना है कि एक सप्ताह में जांच टीम अपनी रिपोर्ट देगी। जालसाजी में इस्तेमाल हुए बैंक खाते भी तलाशे जा रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
कृषि योग्य भूमि से अधिक रकबे का हो गया बीमा
छानबीन के दौरान कई चौंकाने वाली बात उजागर हुई। हैरानी की बात यह कि बीमा पोर्टल पर ही जनपद में कुल कृषि योग्य जमीन से अधिक रकबे का बीमा कर दिया गया। बीमा पोर्टल पर अपलोड दस्तावेज खंगालने पर मालूम चला कि जालसाजों ने खतौनी के साथ खसरे में भी जमकर फर्जीवाड़ा किया। अधिक रकम हड़पने के लिए पोर्टल पर कूटरचित खसरा अपलोड कर दिए। नतीजा यह हुआ कि गांव में जितनी कृषि योग्य जमीन नहीं थी, उससे कई गुना अधिक का बीमा क्लेम सरकार को बांटना पड़ा। अमर उजाला में इसका भंडाफोड़ होने के बाद तहसीलवार इसकी जांच कराई जा रही है।
सांसद के रिश्तेदारों के नाम की जमीन के सहारे हड़पा 3.24 लाख का क्लेम
सांसद अनुराग शर्मा की जमीन ही नहीं बल्कि बीमा क्लेम हड़पने में जालसाजों ने उनके रिश्तेदारों की जमीन का भी सहारा लिया। छानबीन के दौरान यह बात भी सामने आई कि सांसद अनुराग शर्मा के चाचा बृजेंद्र कुमार शर्मा के नाम नया गांव में खाता संख्या 00204 ग्रामकोड 218677 में 0.1210 हेक्टेयर जमीन दर्ज है। इस जमीन पर फार्मर आईडी 11660481 के सहारे शिव कुमार एवं फार्मर आईडी 12345626 के जरिये पूनम देवी ने बीमा कराकर रबी सीजन में अलग-अलग 1,62,265 रुपये हड़प लिया। सांसद अनुराग शर्मा के नाम दर्ज जमीन पर भी इसी तरह जालौन निवासी ऋतिक तिवारी ने फर्जीवाड़ा करके बीमा क्लेम हड़प लिया था।
इस तरह से हुआ फर्जीवाड़ा
रबी सीजन में सर्वाधिक रकम 81,110 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मटर के बीमा पर दी जा रही है। अगर किसी किसान के पास 0.15830 हेक्टेयर जमीन है और माना जाए कि अतिवृष्टि के चलते उसकी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई तो उसे अधिकतम 12838 रुपये का क्लेम मिलना चाहिए था। लेकिन जालसाजों ने 0.15830 हेक्टेयर के खसरे में फर्जीवाड़ा कर जमीन बढ़ा दी। इस वजह से उनके खाते में 1,64,000 रुपये तक की राशि आ गई। सांठगांठ के चलते न लेखपाल ने सत्यापन किया और न ही बीमा कंपनी ने कागजों को चेक किया।
