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Jhansi: सांसद को पता नहीं, उनकी जमीन पर ले लिया बीमा क्लेम, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हर स्तर पर धांधली

अमर उजाला नेटवर्क, झांसी Published by: दीपक महाजन Updated Wed, 17 Dec 2025 06:38 AM IST
सार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बड़े स्तर पर धांधली हुई है। घपला करने वालों ने सिर्फ सांसद और किसानों की जमीन पर ही फर्जीवाड़ा नहीं किया बल्कि नदी और तालाब पर भी फसल बीमा ले लिया। 

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Jhansi: MP is unaware that an insurance claim has been taken on his land.
बीमा में बेईमानी। - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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फसल बीमा योजना में करोड़ों का घपला करने वालों ने हर हथकंडे अपनाए हैं। वे रेल लाइन और जंगल की जमीन पर ही नहीं बल्कि नदी, नाला और चकरोड पर भी बीमा क्लेम ले लिया। इतना ही नहीं झांसी सांसद को भी चूना लगा दिया। सांसद की जमीन पर रितिक तिवारी नाम के व्यक्ति ने बीमा कराया और 1.64 लाख की रकम उठा ली।
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पड़ताल में खुला राज
फसल बीमा में हुए घपले की पड़ताल के दौरान कई चौकाने वाले तथ्य मिले हैं। यह बात सामने आई कि इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस कंपनी में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की पालिसी संख्या 0402092400715089278 है। सामुदायिक सेवा केंद्र के जरिए गाटा संख्या 695 में 2.48 हेक्येटर में बीमा कराया गया। बीमा का आवेदन नंबर 040209240071508927801 है। इस जमीन पर बीमा कराने वाले रितिक तिवारी ने अपना पता नौगवां दिया है, जबकि उसका खाता जालौन के डकोर स्थित इंडियन बैंक में है। रितिक ने इस जमीन पर 1.64 लाख का बीमा क्लेम लिया है। जब इस जमीन की खतौनी निकाली गई तो यह 371-12 मंगलम सिविल लाइन निवासी अनुराग शर्मा पुत्र पंडित विश्वनाथ शर्मा के नाम दर्ज है। इन दिनों अनुराग शर्मा झांसी से सांसद हैं। उनके नाम की नयागांव की जमीन गाटा संख्या 695 यूनिक कोड 2186770695200112 है।
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सांसद अनुराग शर्मा - फोटो : फेसबुक
सांसद बोले- जांच कराएंगे
इसका क्षेत्रफल 0.1580 हेक्टेयर है। जब हमने सांसद अनुराग शर्मा को फसल बीमा कराने की जानकारी दी तो उन्होंने आश्चर्य जताया। कहा कि वह किसी रितिक को नहीं जानते हैं। मामले में शिकायत करेंगे और जांच कराएंगे।


नदी, तालाब की जमीन पर भी ले लिया बीमा
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सिर्फ सांसद और किसानों की जमीन पर ही फर्जीवाड़ा नहीं हुआ बल्कि नदी और तालाब पर भी फसल बीमा ले लिया गया। झांसी जनपद के ग्राम सिमरिया के गाटा संख्या 102 और 104 पर नदी है। इस मजीन पर अनिल कुमार, गायबी राहुल अर्जुन आदि ने बीमा करा लिया। इसी तरह थुरट का गाटा संख्या 129 चकमार्ग है। गाटा संख्या 519 तालाब है। इस पर बीमा लेने वालों के खिलाफ लेखपाल ने रिपोर्ट दर्ज करा दी है। वन रेंज जैतपुर में गाटा संख्या 157,158,160 और 174 वन भूमि है। इस पर प्रधानमंत्री फसल बीमा कराने वालों के खिलाफ वन रेंजर ने रिपोर्ट दर्ज कराई है।


वकील की जमीन पर भी फर्जीवाड़ा
कुलपहाड़ बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह यादव भी फसल बीमा में कारनामा करने वालों की चपेट में आ गए। वह बताते हैं कि उनकी खौनरिया गांव की जमीन के गाटा संख्या 90 पर करहराडांग के लोगों के नाम पर से बीमा कर दिया गया है। उन्होंने भी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी है।


सीबीआई जांच की मांग उठी
जय जवान, जय किसान एसोसिएशन के अध्यक्ष गुलाब सिंह कहते हैं कि महोबा में करोड़ा का घपला करने वाली कंपनी इफको टोकियो है। यही कंपनी झांसी में है और वहां भी घपला सामने आया है। यह कंपनी 20 जिले में कार्य कर रही है। हर जगह से शिकायतें मिल रही हैं। ऐसे में प्रदेशभर में सीबीआई जांच होने से आगे गड़बड़ी रुकेगी। दोषियों को सजा मिलेगी और सरकारी धना जरूरतमंद और असली हकदार किसानों तक पहुंचेगा।


6000 से अधिक संदिग्ध खाते मिले
कुदरती कहर से तबाह हुई फसल से किसानों को राहत दिलाने के लिए पांच साल से चल रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फर्जीवाड़े का शिकार हो गई। फसल बीमा की राशि हड़पने के लिए कहीं महोबा की खतौनी का इस्तेमाल किया गया तो कहीं एक ही खतौनी पर नौ-नौ बीमा करा डाले गए। तालाब और सरकारी जमीन की आराजी पर भी बीमा क्लेम ले लिया गया। झांसी में ऐसे 6000 से अधिक संदिग्ध खाते मिले हैं। इनमें कई खातों में बीमा की रकम भी भेजी जा चुकी है। फर्जीवाड़ा सामने आने पर इन खातों को फ्रीज कराकर जांच कराई जा रही है। इस फर्जीवाड़े ने कृषि विभाग में खलबली मचा दी है।


एक खतौनी पर आधा दर्जन से अधिक भरे गए क्लेम
इस साल खरीफ सीजन में अतिवृष्टि से अरहर, उड़द, मूंग एवं मूंगफली की फसल को काफी नुकसान पहुंचा था। बीमा कंपनी ने करीब 150 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया। फर्जीवाड़े के लिए पहले से ही सेंध लगाई जाने लगी। इसके लिए जनसुविधा केंद्र (सीएससी) से करीब 20 हजार बीमा क्लेम भरे गए। कहीं एक खतौनी पर आधा दर्जन से एक दर्जन तक क्लेम भरे गए तो कहीं फर्जी बंटाईदार के नाम पर क्लेम भर दिया गया। गरौठा तहसील के बामौर ब्लॉक में खसरा नंबर 157, 202, 227 एवं 413 में फर्जी बंटाईदार के सहारे एक दर्जन बीमा क्लेम भरे गए। मूल खाताधारक ओमप्रकाश को भनक तक नहीं लगी। इसी तरह फसल बीमा पाने के लिए महोबा की कई आराजी लगा दी गईं। बामौर एवं गरौठा ब्लॉक में सरकारी जमीन पर दर्ज तालाब की जमीन में फसल नुकसान को दर्शाते हुए बीमा क्लेम किया गया। योजना के तहत पिछले महीने तक 67607 किसानों को करीब 50.76 करोड़ रुपये बांटे जा चुके। यह रकम इन खातों तक भी जा पहुंची। फर्जीवाड़ा सामने आने पर अब अफसरों की नींद टूटी है। इस मामले में शासन ने जांच कराने के निर्देश दिए। इसमें 6000 से अधिक खाते संदिग्ध पाए गए। उपनिदेशक कृषि महेंद्र पाल सिंह के मुताबिक इन खातों को फ्रीज कराकर इनकी जांच कराई जा रही है। फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


40 खाताधारकों में बांट दिया बीमा का एक करोड़
गरौठा तहसील की सिमरधा न्याय पंचायत में 40 किसानों के बीच बीमा की एक करोड़ धनराशि गुपचुप तरीके से बांट दी गई जबकि इसी पंचायत के अन्य किसानों को नुकसान के बाद भी बीमा की रकम नहीं मिली। मामला उजागर होने पर संजय शर्मा, पंकज खेरी समेत अन्य किसानों ने जिलाधिकारी से शिकायत की। उनका कहना है कि वर्ष 2023-24 में अतिवृष्टि से नुकसान हुआ लेकिन बीमा की रकम कुछ किसानों के बीच बांट दी गई। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से भी इसकी शिकायत की गई। कृषि मंत्री के निर्देश पर इस मामले की जांच शुरू हुई। जांच में फर्जीवाड़ा की पुष्टि हुई। कृषि विभाग अब वसूली की तैयारी में है।


 

Jhansi: MP is unaware that an insurance claim has been taken on his land.
बीमा योजना में फर्जीवाड़ा। - फोटो : अमर उजाला।
फर्जी बंटाईदार बनकर हड़प ली बीमा की रकम
जानकारों ने बताया कि कई जगहों पर विभागीय कर्मचारियों के साथ साठगांठ करके बतौर बंटाईदार किसी जमीन की खतौनी संख्या अपलोड कराकर किस्त जमा करवा दी जाती है। इसके बाद सत्यापन करने पहुंचे कर्मचारी की मिलीभगत से रिपोर्ट लगा दी जाती है। रिपोर्ट लगने के बाद जब बीमा की रकम भेजी जाती है, तब वह आसानी से खाते में आ जाती है। छानबीन में यह भी बात सामने आई कि महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में रहने वाले जालसाज भी झांसी के किसान की कृषि भूमि का बीमा अपने नाम कराकर क्लेम ले चुके। गरौठा के सैगुवां गांव निवासी ओम प्रकाश ने बताया कि उनकी जमीन का उसे बीमा लाभ नहीं मिल पाया जबकि उसने बीमा पॉलिसी कराते समय प्रीमियम भी जमा किया था। पता चला कि शिवानी नामदेव एवं पंकज पांचाल नामक व्यक्ति ने उसकी जमीन का कृषि बीमा अपने नाम करा लिया। इसकी शिकायत भी उसने कृषि विभाग से की। अब तक कई किसान इस तरह की धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं।


खरीफ सीजन (2025) के दौरान झांसी जिले में हुआ नुकसान
उड़द की फसल 25995 क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 76.4 प्रतिशत हुआ है।
मूंग की फसल 4407.59 क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 75 प्रतिशत हुआ है।
मूंगफली की फसल 125930  क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 65.50 प्रतिशत हुआ है।
तिल की फसल 46350 क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 60.20 प्रतिशत हुआ है।
अरहर की फसल1010  क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 78.25 प्रतिशत हुआ है।
ज्वार की फसल 745 क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 52.45 प्रतिशत हुआ है।
धान की फसल 92450  क्षेत्रफल में बोई गई, जिसका नुकसान 17.24 प्रतिशत हुआ है।


कई साल से चल रहा फर्जीवाड़ा
पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत वर्ष 2016 से हुई थी। उसके बाद से रबी एवं खरीफ सीजन में अलग-अलग बीमा क्लेम किसानों को दिए गए। इस तरह का फर्जीवाड़ा कई साल से चल रहा है। कृषि विभाग अब पुराने मामलों की भी छानबीन करने जा रहा है।
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