{"_id":"65b2d3e95bac8ff604098d84","slug":"promising-people-of-bundelkhand-made-service-to-the-country-a-goal-reached-the-pinnacle-on-the-basis-of-hard-work-jhansi-news-c-166-1-mot1006-100104-2024-01-26","type":"story","status":"publish","title_hn":"बुंदेलखंड के होनहार : देश सेवा को बनाया लक्ष्य, मेहनत के दम पर छुआ शिखर","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
बुंदेलखंड के होनहार : देश सेवा को बनाया लक्ष्य, मेहनत के दम पर छुआ शिखर
विज्ञापन

विज्ञापन
अमर उजाला ब्यूरो
झांसी। सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं होता। मेहनत और लगन के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। पिछड़े माने जाने वाले बुुंदेलखंड के होनहारों ने देश सेवा को लक्ष्य बनाया और अपने कड़े परिश्रम की बदौलत सफलता का शिखर छुआ है। मंगलवार को जारी हुए उप्र लोक सेवा आयोग की प्रशासनिक सेवा परीक्षा में बुंदेलखंड के युवाओं ने पहले ही प्रयास में अपनी काबिलियत का परचम लहराया। साथ ही बुंदेलखंड और देश के विकास में अहम योगदान देने का संकल्प दोहराया। कोई एसडीएम बना तो कोई कोषाधिकारी। सफलता उनके घर में तो खुशियां लाई हैं। साथ ही बुंदेलखंड से पिछड़ेपन का दाग मिटाने की उम्मीद जगाती हैं। परीक्षा में सफल युवाओं का कहना है कि अब उनका ध्येय अपने देश, प्रदेश और बुंदेलखंड के विकास के लिए काम करना है। बुंदेलखंड के होनहारों की सफलता की कहानी पर पढि़ए विशेष रिपोर्ट...।
-- -- -- -- -- -- -
फोटाे
सरिता पहले ही प्रयास में बनीं कोषाधिकारी
झांसी के छोटे से कस्बे रानीपुर की रहने वाली सरिता लिधौरिया ने पहले ही प्रयास में परीक्षा में सफलता हासिल की। 13वीं रैंक प्राप्त करने के साथ ही वह कोषाधिकारी बनी हैं। होनहार बिटिया सरिता का सपना आईएएस बनने का है। सरिता बताती हैं कि दो साल पहले उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। एमएससी रसायन विज्ञान कर चुकीं सरिता के पिता दयाराम लिधौरिया शिक्षक हैं। सरिता बताती हैं कि पीसीएस परीक्षा को लक्ष्य बनाकर पढ़ाई शुरू की थी। रोज चार घंटे पढ़ाई करने के साथ ही प्रमुख टॉपिक का रिवीजन किया और सफलता पाई। सरिता के छोटे भाई प्रयागराज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे हैं। जबकि चचेरे भाई जितेंद्र चिकित्सक और भाभी संध्या एमडी हैं। उनके चयन पर लक्ष्मन लिधौरिया, कमलेश, गजेंद्र, घनश्याम, रविंद्र, मुकेश, राहुल, जयचंद लिधौरया व नगरवासियों ने खुशी जाहिर कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इंटरव्यू में पूछा निजी और सरकारी शिक्षा में अंतर: सरिता बताती हैं कि मेन्स में उत्तीर्ण होने के बाद जनवरी में ही इंटरव्यू हुआ था। इंटरव्यू में उनसे निजी और सरकारी शिक्षा में अंतर को लेकर सवाल किया गया। साथ ही बुंदेलखंड में शिक्षा के स्तर को लेकर सवाल किए गए। उनका इंटरव्यू करीब 20 मिनट चला।
-- -- -- -- --
फोटो
किसान के बेटे ने भी पाई सफलता
झांसी की गरौठा तहसील के गांव एवनी के किसान पुत्र ने भी पीसीएस परीक्षा में सफलता पाई है। गांव के मानवेंद्र राजपूत छठवीं रैंक पाकर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बने हैं। मानवेंद्र के पिता चंद्रपाल राजपूत गांव में ही खेती करते हैं। मानवेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा गरौठा से ही हुई। इसके बाद उन्होंने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई भी यहीं से की। मानवेंद्र बताते हैं कि गांव में जब चौपाल लगती थी तो अधिकारी आते थे। उनके काम करने का तरीका देखकर मन में अफसर बनने की तमन्ना जागी। परास्नातक करने के बाद वे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने दिल्ली चले गए। कड़ी मेहनत के बाद पहले प्रयास में परीक्षा में सफलता पाई। अगला लक्ष्य आईएएस बनना है। साथ ही अपने बुंदेलखंड और देश के विकास के लिए काम करना है। मानवेंद्र की मां रामदेवी गृहिणी हैं। जबकि छोटे भाई शिवम राजपूत कोटा में नीट की तैयारी कर रहे हैं।
बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की समस्या दूर करने के क्या उपाय हैं : मानवेंद्र बताते हैं कि इंटरव्यू में उनसे बुंदेलखंड को लेकर सवाल किए गए। ग्रामीण परिवेश से होने के चलते पैनल ने उनसे बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की समस्या को दूर करने को लेकर सवाल किया है। जिसका उन्होंने बखूबी जवाब दिया।
-- -- -- -- -- -
बुंदेलखंड के इन होनहारों ने भी पाई सफलता
- नितेश राज - मऊरानीपुर- एसडीएम
- आनंद राजपूत- बांदा- डिप्टी जेलर
- पवन पटेल- चित्रकूट - एसडीएम
- आनंद तोमर- बांदा - कर निर्धारण अधिकारी
- मयंक मिश्रा - चित्रकूट- डिप्टी एसपी
- विपिन बिहारी मिश्रा - महोबा - सहायक नियंत्रक
- मोहित राजपूत- महोबा- डिप्टी जेलर
- विनोद दोहरे - जालौन- एसडीएम
- नासिर- जालौन- एसडीएम
- देशराज सिंह- जालौन- डिप्टी एसपी

Trending Videos
झांसी। सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं होता। मेहनत और लगन के दम पर कुछ भी हासिल किया जा सकता है। पिछड़े माने जाने वाले बुुंदेलखंड के होनहारों ने देश सेवा को लक्ष्य बनाया और अपने कड़े परिश्रम की बदौलत सफलता का शिखर छुआ है। मंगलवार को जारी हुए उप्र लोक सेवा आयोग की प्रशासनिक सेवा परीक्षा में बुंदेलखंड के युवाओं ने पहले ही प्रयास में अपनी काबिलियत का परचम लहराया। साथ ही बुंदेलखंड और देश के विकास में अहम योगदान देने का संकल्प दोहराया। कोई एसडीएम बना तो कोई कोषाधिकारी। सफलता उनके घर में तो खुशियां लाई हैं। साथ ही बुंदेलखंड से पिछड़ेपन का दाग मिटाने की उम्मीद जगाती हैं। परीक्षा में सफल युवाओं का कहना है कि अब उनका ध्येय अपने देश, प्रदेश और बुंदेलखंड के विकास के लिए काम करना है। बुंदेलखंड के होनहारों की सफलता की कहानी पर पढि़ए विशेष रिपोर्ट...।
फोटाे
सरिता पहले ही प्रयास में बनीं कोषाधिकारी
झांसी के छोटे से कस्बे रानीपुर की रहने वाली सरिता लिधौरिया ने पहले ही प्रयास में परीक्षा में सफलता हासिल की। 13वीं रैंक प्राप्त करने के साथ ही वह कोषाधिकारी बनी हैं। होनहार बिटिया सरिता का सपना आईएएस बनने का है। सरिता बताती हैं कि दो साल पहले उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू की थी। एमएससी रसायन विज्ञान कर चुकीं सरिता के पिता दयाराम लिधौरिया शिक्षक हैं। सरिता बताती हैं कि पीसीएस परीक्षा को लक्ष्य बनाकर पढ़ाई शुरू की थी। रोज चार घंटे पढ़ाई करने के साथ ही प्रमुख टॉपिक का रिवीजन किया और सफलता पाई। सरिता के छोटे भाई प्रयागराज मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहे हैं। जबकि चचेरे भाई जितेंद्र चिकित्सक और भाभी संध्या एमडी हैं। उनके चयन पर लक्ष्मन लिधौरिया, कमलेश, गजेंद्र, घनश्याम, रविंद्र, मुकेश, राहुल, जयचंद लिधौरया व नगरवासियों ने खुशी जाहिर कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
विज्ञापन
विज्ञापन
इंटरव्यू में पूछा निजी और सरकारी शिक्षा में अंतर: सरिता बताती हैं कि मेन्स में उत्तीर्ण होने के बाद जनवरी में ही इंटरव्यू हुआ था। इंटरव्यू में उनसे निजी और सरकारी शिक्षा में अंतर को लेकर सवाल किया गया। साथ ही बुंदेलखंड में शिक्षा के स्तर को लेकर सवाल किए गए। उनका इंटरव्यू करीब 20 मिनट चला।
फोटो
किसान के बेटे ने भी पाई सफलता
झांसी की गरौठा तहसील के गांव एवनी के किसान पुत्र ने भी पीसीएस परीक्षा में सफलता पाई है। गांव के मानवेंद्र राजपूत छठवीं रैंक पाकर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी बने हैं। मानवेंद्र के पिता चंद्रपाल राजपूत गांव में ही खेती करते हैं। मानवेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा गरौठा से ही हुई। इसके बाद उन्होंने स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई भी यहीं से की। मानवेंद्र बताते हैं कि गांव में जब चौपाल लगती थी तो अधिकारी आते थे। उनके काम करने का तरीका देखकर मन में अफसर बनने की तमन्ना जागी। परास्नातक करने के बाद वे सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने दिल्ली चले गए। कड़ी मेहनत के बाद पहले प्रयास में परीक्षा में सफलता पाई। अगला लक्ष्य आईएएस बनना है। साथ ही अपने बुंदेलखंड और देश के विकास के लिए काम करना है। मानवेंद्र की मां रामदेवी गृहिणी हैं। जबकि छोटे भाई शिवम राजपूत कोटा में नीट की तैयारी कर रहे हैं।
बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की समस्या दूर करने के क्या उपाय हैं : मानवेंद्र बताते हैं कि इंटरव्यू में उनसे बुंदेलखंड को लेकर सवाल किए गए। ग्रामीण परिवेश से होने के चलते पैनल ने उनसे बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की समस्या को दूर करने को लेकर सवाल किया है। जिसका उन्होंने बखूबी जवाब दिया।
बुंदेलखंड के इन होनहारों ने भी पाई सफलता
- नितेश राज - मऊरानीपुर- एसडीएम
- आनंद राजपूत- बांदा- डिप्टी जेलर
- पवन पटेल- चित्रकूट - एसडीएम
- आनंद तोमर- बांदा - कर निर्धारण अधिकारी
- मयंक मिश्रा - चित्रकूट- डिप्टी एसपी
- विपिन बिहारी मिश्रा - महोबा - सहायक नियंत्रक
- मोहित राजपूत- महोबा- डिप्टी जेलर
- विनोद दोहरे - जालौन- एसडीएम
- नासिर- जालौन- एसडीएम
- देशराज सिंह- जालौन- डिप्टी एसपी